अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर आगामी उपचुनाव के लिए भाजपा ने 39 वर्षीय चंद्रभानु पासवान को अपना प्रत्याशी चुना है। वह सपा के प्रत्याशी अजीत प्रसाद के खिलाफ मैदान में उतरेंगे। खास बात यह है कि दोनों उम्मीदवार पासी समुदाय से हैं, जिससे यह चुनाव जातीय आधार पर और भी दिलचस्प बन गया है।
चंद्रभानु पासवान की पृष्ठभूमि-
चंद्रभानु पासवान रुदौली के परसोली गांव के निवासी हैं और यह उनका पहला विधानसभा चुनाव है। पेशे से व्यापारी, चंद्रभानु रुदौली में कपड़ों और कागज का कारोबार करते हैं। उनके पिता लंबे समय तक ग्राम प्रधान रहे हैं और उनकी पत्नी कंचन पासवान जिला पंचायत सदस्य हैं।
मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव का कारण-
लोकसभा चुनाव 2024 में अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद मिल्कीपुर सीट खाली हो गई थी। अब 5 फरवरी को यहां उपचुनाव के लिए मतदान होगा, और 8 फरवरी को नतीजे घोषित होंगे।
टिकट मिलने के पीछे की वजह
भा.ज.पा. में टिकट के प्रमुख दावेदारों में बाबा गोरखनाथ का नाम था, लेकिन उनके चुनाव याचिका के कारण चुनाव स्थगित हो गया, जिससे पार्टी में नाराजगी फैल गई। यही वजह थी कि चंद्रभानु को टिकट दिया गया।
मिल्कीपुर क्षेत्र में पासी समाज के करीब 55 हजार मतदाता हैं। सपा ने अजीत प्रसाद को टिकट देकर पासी वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की, तो भाजपा ने चंद्रभानु को एक विकल्प के रूप में खड़ा किया।
- युवा चेहरा और नई नेतृत्व की तलाश-
चंद्रभानु की उम्र सिर्फ 39 वर्ष है, और पार्टी युवा चेहरा पेश करने के पक्ष में है। साथ ही, उनके परिवार का राजनीति से जुड़ा अनुभव भी एक बड़ा लाभ साबित हो सकता है।
भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला-
मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला देखा जाएगा, क्योंकि बसपा ने चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया है और कांग्रेस सपा का समर्थन कर रही है। सपा ने अजीत प्रसाद को टिकट दिया है, जो पासी समाज के वोटों को आकर्षित करने का प्रयास करेंगे।
सपा ने अजीत प्रसाद को क्यों दिया टिकट ?
अजीत प्रसाद अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं। क्षेत्र के पासी मतदाताओं में अवधेश प्रसाद की मजबूत पकड़ है। 30 हजार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता भी हैं। 30 हजार यादव मतदाता हैं। यादव, दलित और मुस्लिम (पीडीए) को साधने के लिए भी अजीत प्रसाद को सपा ने प्रत्याशी बनाया है।
राजनीति में एक नया मोड़?
विश्लेषकों का मानना है कि मिल्कीपुर उपचुनाव का नतीजा राजनीतिक परसेप्शन को बदल सकता है। भाजपा और योगी सरकार ने मिल्कीपुर में कुंदरकी जैसी बड़ी जीत की रणनीति बनाई है, जिसमें कई मंत्रियों की टीम सक्रिय रूप से चुनावी मैदान में उतरने वाली है।
कुंदरकी की तर्ज पर बड़ी जीत की तैयारी-
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मिल्कीपुर उपचुनाव का परिणाम राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को नया मोड़ दे सकता है। इस रणनीतिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, योगी सरकार और भाजपा ने मिल्कीपुर में कुंदरकी की तरह बड़ी जीत हासिल करने की योजना बनाई है। कटेहरी उपचुनाव में शानदार जीत दिलाने वाले जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और कुंदरकी में पार्टी की विजय के नायक जेपीएस राठौर के नेतृत्व में छह मंत्रियों की टीम अब 3 फरवरी तक मिल्कीपुर में ही पूरी तरह से सक्रिय रहेगी।