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2050 के बाद विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला होगा यह धर्म, क्या है एक्स मुस्लिम मूवमेंट?

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(Special Story) धार्मिक समूहों के आधार पर प्यू रिसर्च सेंटर की ओर से हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अगली आधी शताब्दी में सबसे बड़े धर्म के रूप में ईसाई धर्म की जगह मुसलमानों की जनसंख्या विश्व भर में दोगुनी गति से बढ़ेगी। नतीजतन 2050 के बाद वह विश्वभर में सर्वाधिक जनसंख्या वाला पहला धर्म बन जाएगा। प्यू रिसर्च सेंटर की इस रिपोर्ट के साथ ही एक्स मुस्लिम मूवमेंट भी चर्चा में है।। तो यह एक्स मुस्लिम कौन होते हैं? इनसे जुड़ा मूवमेंट क्या है? और इसकी शुरुआत कब और क्यों हुई आइए विस्तार से जानते हैं....

एक्स मुस्लिम मूवमेंट क्या है ?

इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों की आबादी को देंखें तो ईसाईयों के बाद यह सबसे बड़ा धर्म है। साथ ही यह सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म भी है, हालांकि यह वर्तमान समय में एक ऐसे खतरे का सामना कर रहा है जो इसने शायद पहले कभी न किया हो। यह ख़तरा है दुनिया में इस्लाम छोड़ने वालों की बढ़ती हुई आबादी का, जो खुद की पहचान एक्समुस्लिम के रूप में बताते हैं। लेकिन यह एक्स मुस्लिम कौन हैं पहले यह समझते हैं।
एक्स मुस्लिम वे लोग होते हैं जो मुसलमान के रूप में पले-बढ़े या इस्लाम के अनुयायी थे, लेकिन बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म छोड़ दिया। हाल के कुछ दिनों में उनकी संख्या में वृद्धि हुई है। यह अमेरिका और यूरोप से बढ़ते हुए यह दुनिया के कई देशों फ़ैल रहा है। इसमें भारत भी शामिल है। यहां यह केरल में सबसे ज्यादा एक्टिव है। यह अपनी पहचान गुप्त न रखकर बाकायदा एक संगठन के रूप में कार्य करते हैं। इस संगठन का नाम है एक्समुस्लिम ऑफ केरल (EMU)।  यह संगठन करीब पांच साल पहले उनके लिए बना, जो इस्लाम छोड़ चुके हैं। इसके अलावा एक अन्य ग्रुप जिसका नाम नॉन रिलीजियस सिटीजन भी है, इसमें ऐसे लोग शामिल हैं जो इस्लाम को छोड़ने वाले या उसे पसंद न करने वाले नहीं बल्कि वे लोग है जो किसी धर्म को नहीं मानते। 

दुनिया के 23 देशों में धर्मत्याग है अपराध-

इस्लाम में धर्मत्याग के बारे में बात कारें तो ऐसी मान्यताओं के कारण पूर्व मुसलामानों को अभी भी अपने परिवारों और समुदायों से बहिष्कार या प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे किस देश में रहते हैं। बता दें कि दुनिया भर में 23 देश ऐसे हैं जहां धर्मत्याग को अपराध के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, इनमें से 13 इसे मृत्युदंड अपराध मानते हैं। वहीं जो लोग अपनी पहचान एक मुस्लिम बताते हैं वे इस तरह की बातों पर सख्त विरोध जताते हैं। वे सोशल मीडिया पर इसी तरह की बातें लिखते हैं, धर्मगुरुओं को बहस के लिए उकसाते हैं और लोगों को यह मजहब छोड़ने के लिए कहते हैं। इस तरह के बदलाव के पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं जैसे धार्मिक विश्वासों में बदलाव होना, व्यक्तिगत अनुभव होना, या किसी अन्य विचारधाराओं या धर्मों में रूचि होना जैसे कई कारण हो सकते हैं।  

भारत में कैसे लोग हैं एक्स मुस्लिम-
 
हैरानी की बात यह है कि इस मूवमेंट में ज्यादातर लोग काफी पढ़े लिखे होते हैं। उनका तर्क होता है कि इस्लाम धर्म में साइंस पर जोर नहीं, पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग नियम, जैसे महिलाओं को प्रॉपर्टी में पुरुषों से आधा हक़ मिलता है। इसके अलावा म्यूजिक और डांस जैसी आम चीजों पर भी मनाही है। इससे जुडी एक रिपोर्ट पर नज़र डालें तो साल 2018 में छपी प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट यह बताती है कि अमेरिका में रहने वाले 23 प्रतिशत वयस्क, जो कि मुस्लिम फॅमिली में पले-बढ़े, अब अपनी पहचान को इस्लाम से नहीं जोड़ते हैं। इनमें से 7 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो इस्लाम की सीख से सहमत नहीं थे।  

अन्य देशों की बात करें तो मुस्लिम-बहुल देशों में इस्लाम छोड़ने पर कड़ी सजा निर्धारित होने के कारण लोग सीधे-सीधे धर्म से दूरी का ऐलान नहीं कर पाते। इससे जुड़ा एक सर्वे मिडिल ईस्ट में साल 1981 से लेकर 2020 तक हुआ। यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के इस सर्वे में पाया गया कि इराक, ट्यूनीशिया और मोरक्को जैसे देशों में इस्लाम को मानने वाले अब खुद को नास्तिक बताने लगे हैं। हालांकि ये चोरी-छिपे ही ऐसी बातें करते हैं। और वही लोग खुलकर सामने आते हैं जो देश छोड़कर कहीं और बस चुके हैं या शरण ले चुके हैं। इसके अलावा लेबनान में 43 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे अपने घर या कम्फर्ट जोन में इस्लाम की प्रैक्टिस नहीं करते। रिसर्च नेटवर्क अरब बैरोमीटर ने 25 हजार लोगों पर ये पोल किया था। 

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