नींद हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत पर गहरा प्रभाव डालती है। अब, दक्षिण कोरिया के इंस्टीट्यूट फॉर बेसिक साइंस के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल विकसित किया है, जो आपकी नींद के पैटर्न का विश्लेषण कर मूड डिसऑर्डर जैसे अवसाद और बाइपोलर डिसऑर्डर का सटीक पूर्वानुमान लगा सकता है। यह शोध हाल ही में NPJ डिजिटल मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
एआई और स्मार्ट वॉच: सेहत सुधारने का नया जरिया
शोधकर्ताओं ने एआई टूल को पहनने वाले डिवाइस, जैसे स्मार्टवॉच, से मिले आंकड़ों पर आधारित किया है। इन डिवाइस से मिलने वाले स्लीप-वेक रिदम (नींद और जागने की लय) के आंकड़े, मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी के लिए उपयोगी साबित हो रहे हैं। मूड डिसऑर्डर, जैसे बाइपोलर डिसऑर्डर, से ग्रस्त व्यक्ति अक्सर भावनात्मक उतार-चढ़ाव का अनुभव करते हैं। इस नई तकनीक से इन गड़बड़ियों को समय रहते पहचाना जा सकता है, जिससे इलाज सस्ता और सरल होगा।
कैसे काम करता है एआई मॉडल?
प्रमुख शोधकर्ता किम जे क्यूंग के मुताबिक, यह एआई मॉडल केवल नींद और जागने के पैटर्न के आधार पर मूड बदलने की संभावना की भविष्यवाणी करता है।
- लागत में कमी: यह मॉडल महंगे मानसिक स्वास्थ्य आकलनों की आवश्यकता को कम करता है।
- जल्दी पहचान: बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पकड़ने में सहायक है।
- किफायती समाधान: केवल नींद के डेटा का उपयोग करके मूड डिसऑर्डर की निगरानी और प्रबंधन का आसान तरीका प्रदान करता है।
मरीजों के लिए साबित हो सकता है वरदान
इस एआई टूल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह उन मरीजों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जो लंबे समय से मूड डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह डिवाइस शुरुआती स्तर पर ही बीमारी को पकड़ सकता है। इसके चलते न केवल इलाज में तेजी आएगी, बल्कि इसे आसान और किफायती भी बनाया जा सकेगा।
नींद का समय और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा कनेक्शन
अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि सर्कैडियन रिदम (शरीर की आंतरिक घड़ी) आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
अगर आप देर से सोते और देर से जागते हैं, तो यह आपकी सर्कैडियन रिदम में देरी करता है। इससे अवसाद या उदासी का खतरा बढ़ सकता है।
- जल्दी सोने और जागने का प्रभाव:
अगर आप जल्दी सोते और जल्दी जागते हैं, तो यह सर्कैडियन रिदम को तेज कर सकता है, जिससे अति-उत्तेजना या बेचैनी हो सकती है।
स्वस्थ रहने के लिए नींद के टिप्स
- हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
- नींद के लिए 7-9 घंटे का समय सुनिश्चित करें।
- सोने से पहले स्क्रीन टाइम (मोबाइल, लैपटॉप) को कम करें।
- कैफीन और भारी भोजन से बचें, खासकर सोने से पहले।
एआई आधारित यह स्लीप मॉनिटरिंग टूल-
इस नई तकनीक ने यह साबित कर दिया है कि एआई केवल टेक्नोलॉजी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। एआई आधारित यह स्लीप मॉनिटरिंग टूल न केवल मूड डिसऑर्डर के शुरुआती लक्षणों की पहचान करेगा, बल्कि इलाज को भी सुलभ और किफायती बनाएगा। तो, अगली बार जब आपका मूड खराब हो, तो अपनी नींद के पैटर्न पर एक नजर जरूर डालें।