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बच्चों के लिए खतरनांक हैं ये सिरप!  DCGI ने लगाई रोक

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(Special Story) आजकल सर्दियों का मौसम चल रहा है। ऐसे में सर्दी-जुकाम होना आम बात है। सर्दी-खांसी से राहत के लिए आप भी अपने बच्चों को सिरप देते होंगे... लेकिन कहीं आप अपने बच्चों को ऐसा सिरप ही तो नहीं दे रहे हैं जो खतरनांक हो, जिस पर DCGI ने रोक लगा दी है। आइए विस्तार से समझते हैं क्या है पूरा मामला...

DCGI ने सभी राज्यों को जारी की चेतावनी- 

भारत के दवा नियामक Drug Controller General of India यानी DCGI ने चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सर्दी और खांसी के कफ सिरप के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। DCGI ने चेतावनी जारी करते हुए 18 दिसंबर को सभी राज्यों को एक लेटर भेजा है। इसमें लिखकर दो दवाओं क्लोरफेनिरामाइन मैलेट और फिनाइलफ्राइन के कॉकटेल का उपयोग करके बनाए गए सिरप की पैकेजिंग पर लेबलिंग इसी के मुताबिक करने को कहा है। दरअसल, इन दोनों दवाओं के मिश्रण से तैयार किए गए सिरप या गोलियों का उपयोग सामान्य सर्दी के लक्षणों के इलाज के लिए किया जाता है। यह प्रतिबंध सीरप के इस्तेमाल से दुनियाभर में 141 बच्चों की मौत के मद्देनजर लिया गया है। सभी ड्रग कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं, कि इन दोनों दवाओं के इस्तेमाल से तैयार सिरप की लेबलिंग तुरंत अपडेट की जाए। 

कोकाटे समिति की सिफारिश पर लिया गया निर्णय-

राज्यों के लिखे गए लेटर में कहा गया है, "क्लोरफेनिरामाइन मैलेट आईपी 2एमजी + फिनाइलफ्राइन एचसीआई आईपी 5एमजी ड्रॉप/एमएल  की फिक्स  डोज कॉम्बिनेश को प्रोफेसर कोकाटे की समिति द्वारा तर्क संगत घोषित किया गया है। और समिति की सिफारिश के आधार पर इस कार्यालय ने 18 महीने के नीतिगत निर्णय के तहत 17 जुलाई 2015 को विषय एफडीसी के निरंतर विनिर्माण और विपणन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किया है। "

लेटर में आगे कहा गया है कि शिशुओं के लिए अस्वीकृत एंटी-कोल्ड ड्रग फॉर्मूलेशन को बढ़ावा देने के बाद चिंताएं सामने आ रही हैं। इस मामले पर विचार-विमर्श किया गया था।  विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी- पल्मोनरी) की बैठक 6 जून, 2023 को हुई, जिसमें क्लोरफेनिरामाइन मैलेट आईपी 2एमजी + फिनाइलफ्राइन एचसीएल आईपी 5एमजी ड्रॉप/एमएल के एफडीसी के उपयोग के संबंध में मुद्दे के आलोक में समिति के समक्ष चर्चा की गई। 

कंपनियों को पैकेजिंग पर चेतावनी लिखने के निर्देश लेटर में कहा गया है, "समिति ने सिफारिश की है कि एफडीसी का इस्तेमाल 4 साल से कम उम्र के बच्चों में नहीं किया जाना चाहिए और तदनुसार कंपनियों को लेबल और पैकेज इंसर्ट पर इस संबंध में चेतावनी का उल्लेख करना चाहिए।

इन देशों ने भारत में बनी दवाओं से बच्चों की मौत के किए थे दावे-

आपको बता दें कि साल 2022 में मेडन फार्मा के 4 सिरप से कथित रूप से करीब 70 बच्चों की मौत की खबरे सामने आई थीं। इसमें 5 साल से भी कम उम्र के बच्चों की मौत हुई थी। इन सारी मौतों की वजह किडनी  इंजरी बताई गई थी। गांबिया सरकार ने जांच में पाया था कि भारतीय कंपनी की बनी दवाई से ये मौतें हुईं हैं। इन सभी मौतों में लक्षण एक जैसे थे। वहीं, उज्बेकिस्तान सरकार ने आरोप लगाया था कि भारत में बने कफ सिरप की वजह से  उनके देश में 18 बच्चों की मौत हुई है। उज्बेक हेल्थ मिनिस्ट्री ने नोएडा के मेरियन बायोटेक में बने कफ सिरप DOK-1 MAX पीने से बच्चों की जान जाने का दावा किया था। 

कफ सिरप में ये कॉम्बिनेशन हैं खतरनाक- 

गाम्बिया में हुए  बच्चों की मौत के मामले के बाद साल 2022 में WHO ने रिपोर्ट में कहा था कि कफ-सिरप में डाई एथिलीन ग्लाइकोल (diethylene glycol) और इथिलीन ग्लाइकोल (ethylene glycol) की इतनी मात्रा है कि ये इंसानों के लिए जानलेवा हो  सकती है।  दरअसल, इन कंपाउंड की वजह से भारत में भी 33 लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन इन कंपाउंड पर बैन नहीं लगाया गया है।

इसके अलावा ये कॉम्बिनेशन भी डेंजरेस हैं!

कोडीन + क्लोरफेनिरामाइन
कोडीन +क्लोरफेनिरामाइन + मेथेनॉल
कोडीन + ट्राइप्रोलिडीन
फोलकोडीन या फोलकोडाइन
प्रोमेथाजिन
इन कॉम्बिनेशन की दवाएं अलग-अलग नामों से अभी भी मार्केट में उपलब्ध हैं।

 

दो तरह की होती हैं खांसी-

डॉक्टरों के मुताबिक खांसी दो तरह की होती है और दोनों का इलाज अलग-अलग होता है लेकिन अक्सर बिना सही जानकारी के अपने मन से खांसी की दवाई खरीद कर पीने लगते हैं जो बेहद गलत है। इससे तबीयत ज्यादा बिगड़ती है। उसके बाद वे डॉक्टर के पास जाते हैं। याद रखें कि दवाई सही मात्रा में ली जाए, तो साइड इफेक्ट के चांस भी कम होते हैं।

 

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