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ट्रैफिक विवादों का खौफनाक अंजाम! हर साल होते हैं लगभग 2 लाख मामले...

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हाल ही में मुंबई में हुई दो घटनाओं ने एक बार फिर रोड रेज के भयावह परिणामों को उजागर किया है। पहली घटना में एक स्कॉर्पियो चालक ने ओवरटेकिंग को लेकर हुए विवाद में अपने वाहन को लोगों पर चढ़ाने की कोशिश की, जबकि दूसरी घटना में एक ऑटो चालक ने गलत साइड से बाइक ओवरटेक की। इस छोटे-से विवाद ने बढ़ते-बढ़ते मारपीट का रूप ले लिया, और दुखद रूप से एक व्यक्ति की जान चली गई। ये घटनाएं सड़क पर बढ़ते आक्रामकता और क्रोध का नतीजा हैं, जो कि रोड रेज के रूप में सामने आ रही हैं।

रोड रेज की बढ़ती घटनाएं-

भारत में रोड रेज के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मार्च 2022 में संसद में जानकारी दी थी कि साल 2019 में भारत में 1.5 लाख से अधिक रोड रेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले दर्ज किए गए थे। 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 2 लाख 15 हजार हो गया, जो बताता है कि देश में सड़क पर गुस्सैल व्यवहार कितना बढ़ चुका है।

क्या है रोड रेज?

रोड रेज का तात्पर्य सड़क पर गाड़ी चलाते समय गुस्से में आकर किसी को धमकाना, डराना, या आक्रामक व्यवहार करना है। इसके तहत गलत इशारे करना, गालियां देना, और डराने के मकसद से खतरनाक तरीके से वाहन चलाना शामिल है। यह सिर्फ छोटी-मोटी झड़पों तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि कभी-कभी यह इतना बढ़ सकता है कि इसमें लोगों को गंभीर चोटें लग जाती हैं, या दुर्भाग्यवश उनकी जान भी चली जाती है।

कानूनी परिभाषा और सजा का प्रावधान-

भारत में फिलहाल ‘रोड रेज’ की कोई विशेष कानूनी परिभाषा नहीं है। हालांकि, अगर कोई घटना घटती है, तो मोटर वाहन अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत दोषियों को सजा दी जा सकती है। 2011 में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री गुरदास कामत ने भी लोकसभा में बताया था कि कानून में रोड रेज के लिए अलग से कोई परिभाषा नहीं है, लेकिन इसकी घटनाओं को दूसरे कानूनों के तहत सजा दी जा सकती है।

क्या कारण है रोड रेज का?

विशेषज्ञों का मानना है कि रोड रेज अक्सर मामूली बातों पर शुरू हो जाता है, जैसे कि ट्रैफिक में फंसे होने पर बार-बार हॉर्न बजाना या गलत तरीके से ओवरटेक करना। आजकल लोगों में सहनशक्ति की कमी के कारण छोटे-छोटे मुद्दे भी बड़े विवादों का रूप ले लेते हैं। मनोचिकित्सक इसे 'डिसप्लेसमेंट डिफेंस मैकेनिज्म' कहते हैं। इसका मतलब होता है कि किसी और जगह का गुस्सा सड़क पर निकालना। कई बार लोग अपने काम या निजी जीवन से संबंधित गुस्से को सड़क पर गाड़ी चलाते समय निकालते हैं। इस स्थिति में अक्सर कमजोर दिखने वाले वाहन चालकों, जैसे कि बाइक या रिक्शा चालकों पर आक्रामकता दिखाई जाती है।

रोड रेज से कैसे बचें?

रोड रेज से बचने के लिए संयम और ट्रैफिक नियमों का पालन आवश्यक है। यदि कोई आपको उकसाने की कोशिश करता है या आपसे झगड़ा करने की स्थिति में आ जाता है, तो सबसे बेहतर उपाय यही है कि आप शांत रहें और उसे नजरअंदाज करें।

सहजता बनाए रखें और कानून का सहारा लें-

अगर किसी ने सच में कोई गलती की है, तो उसका वाहन नंबर नोट करें और पुलिस में शिकायत दर्ज करें। किसी छोटी-सी बात को ईगो का मुद्दा न बनाएं। यदि कभी गाड़ी को भौतिक नुकसान होता है, तो उसे सिर्फ नुकसान समझें और अपनी जान को जोखिम में डालने की बजाय कानून की सहायता लें।

समाज के प्रति जिम्मेदारी-

रोड रेज जैसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि समाज में गुस्से पर काबू पाने और एक-दूसरे के प्रति सहनशीलता बनाए रखने की जरूरत है। ट्रैफिक नियमों का पालन करने और संयम बनाए रखने से हम न केवल अपने जीवन की सुरक्षा कर सकते हैं, बल्कि दूसरों के जीवन को भी सुरक्षित बना सकते हैं।

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