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भारत में रेबीज से सबसे ज्यादा मौतें! क्या सिर्फ कुत्ते हैं इसके जिम्मेदार?

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सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश ने एक बार फिर भारत में आवारा कुत्तों की समस्या को राष्ट्रीय बहस का विषय बना दिया है। सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से आवारा कुत्तों को 6 से 8 हफ्तों के भीतर हटाने का आदेश दिया है। यह फैसला देश की राजधानी, नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम जैसे क्षेत्रों में लागू होगा, जिससे आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

राजनीति से बॉलीवुड तक गूंजा सुप्रीम कोर्ट का फरमान

कोर्ट ने विशेष रूप से नवजातों और छोटे बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, जिन्हें आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने और रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा है। इस आदेश के बाद राजनीति से लेकर बॉलीवुड तक प्रतिक्रिया सामने आ चुकी है—राहुल गांधी, मेनका गांधी और प्रियंका चतुर्वेदी जैसे नेताओं ने इस पर टिप्पणी की है, वहीं पेटा और अन्य पशु कल्याण संगठनों ने चिंता जाहिर की है।

भारत में आवारा कुत्तों की तस्वीर कितनी गंभीर?

2019 की 20वीं पशुधन जनगणना के मुताबिक, भारत में 1.53 करोड़ आवारा कुत्ते दर्ज थे। हालांकि, विशेषज्ञों और संगठनों का दावा है कि इनकी वास्तविक संख्या 6 करोड़ से भी ज्यादा हो सकती है। अकेले दिल्ली में अनुमानित 10 लाख से अधिक आवारा कुत्ते हैं। बीमा कंपनी एको की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के छह महानगरों में सड़क दुर्घटनाओं में 58% मामले कुत्तों के कारण हुए। यही नहीं, रेबीज की वजह से हर साल सैकड़ों लोगों की जान जाती है। भारत में रेबीज से होने वाली मौतों का विश्व में सबसे बड़ा प्रतिशत है।

भारत में रेबीज और कुत्तों के काटने के मामले

भारत में 2024 में कुत्तों के काटने के लाखों मामले दर्ज किए गए, हालांकि सभी राज्यों में आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाते। केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय को इस दिशा में पारदर्शिता और आंकड़ों के संग्रहण पर जोर देने की आवश्यकता है।

दुनिया ने आवारा कुत्तों से कैसे निपटा?

भारत की तरह कई देशों में आवारा कुत्ते लंबे समय तक बड़ी समस्या रहे हैं, लेकिन कई जगहों पर सरकारों ने इनसे सख्ती और समझदारी दोनों से निपटा है:

1. नीदरलैंड्स:

नीदरलैंड्स आज दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां एक भी आवारा कुत्ता नहीं है। यह सफलता नसबंदी, टीकाकरण, सख्त कानून, और जागरूकता अभियानों के जरिए दशकों की मेहनत से मिली। 1923 के बाद से वहां रेबीज का एक भी केस सामने नहीं आया है।

2. थाईलैंड:

बैंकॉक में 2016 से मोबाइल क्लीनिक और डाटा ट्रैकिंग की मदद से आवारा कुत्तों की संख्या और रेबीज के मामलों में कमी लाई गई।

3. भूटान:

दुनिया का पहला देश जिसने अपने सभी आवारा कुत्तों का 100% टीकाकरण और नसबंदी की।

4. तुर्किये:

यहां एक सख्त लेकिन विवादास्पद कानून लागू किया गया जिसमें आक्रामक और बीमार कुत्तों को मारने तक की इजाजत है। हालांकि पशु अधिकार संगठनों ने इसकी कड़ी आलोचना की है। इससे पहले 2004 में नीदरलैंड्स जैसा मॉडल लागू करने की कोशिश विफल रही थी।

भारत के लिए आगे का रास्ता क्या हो?

भारत के लिए नीदरलैंड्स और भूटान जैसे देशों के मॉडल प्रेरणास्रोत हो सकते हैं। कुत्तों की अनियंत्रित संख्या, रेबीज जैसे रोग, और सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए जरूरी है कि:

  • राष्ट्रीय स्तर पर पॉलिसी बनाई जाए

  • सभी कुत्तों का पंजीकरण और टीकाकरण अनिवार्य हो

  • नसबंदी को युद्ध स्तर पर लागू किया जाए

  • शहरी निकायों को फंडिंग और संसाधन दिए जाएं

  • पशु प्रेम और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाया जाए

कानून से आगे सोचने की ज़रूरत

भारत में आवारा कुत्तों की समस्या सिर्फ कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य और नागरिक सुरक्षा से जुड़ा गहरा संकट है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस दिशा में एक निर्णायक कदम हो सकता है, बशर्ते इसे लागू करने की प्रक्रिया मानवीय हो, वैज्ञानिक हो और पारदर्शिता से भरी हो।

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