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मीथेन उत्सर्जन पर नियंत्रण में नाकाम अमेरिका, कटौती के वादे हवा हवाई, ग्रीनहाउस गैसों का गहराया संकट

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पर्यावरण डाटा कंपनी कैरोस के हालिया शोध से खुलासा हुआ है कि अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा मीथेन, जो कि वायुमंडल में सबसे हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों में से एक है, का उत्सर्जन कर रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, अमेरिका ने उत्सर्जन घटाने के कई वादे किए हैं, लेकिन इसके बावजूद मीथेन के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने में वह असफल रहा है। यह निष्कर्ष वैश्विक जलवायु संकट के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड से कई गुना अधिक प्रभावी है और जलवायु परिवर्तन को तेज करने में प्रमुख भूमिका निभाता है।

जीवाश्म ईंधन क्षेत्र से हो रहा है अधिकतर मीथेन उत्सर्जन-

कैरोस के अध्ययन में मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन उद्योग पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जहां जानबूझकर मीथेन को वायुमंडल में छोड़ा जा रहा है और फ्लेयरिंग यानी इसे जलाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। यह प्रक्रिया मीथेन उत्सर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है कि वायुमंडल में मीथेन की सांद्रता अब पूर्व-औद्योगिक स्तरों से ढाई गुना अधिक हो गई है। इसका लगभग आधा उत्सर्जन मानव निर्मित गतिविधियों से होता है, जो गंभीर पर्यावरणीय चिंताओं को जन्म दे रहा है।

मीथेन: अल्पकालिक लेकिन शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस-

मीथेन की वायुमंडल में मौजूदगी अपेक्षाकृत कम समय के लिए होती है, यह लगभग 12 वर्षों में समाप्त हो जाती है। इसके बावजूद, इसका ऊष्मा-अवरोधक प्रभाव कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक शक्तिशाली है। इसका मतलब है कि मीथेन उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन पर तात्कालिक और गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यही कारण है कि इसे जलवायु संकट का प्रमुख कारक माना जाता है, और इसके उत्सर्जन पर नियंत्रण पाना बेहद जरूरी है।

'वैश्विक मीथेन शपथ' से पीछे हटता अमेरिका-

2021 में, अमेरिका उन पहले देशों में शामिल था जिसने 'वैश्विक मीथेन शपथ' पर हस्ताक्षर किए थे। इस शपथ के तहत अमेरिका और अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं ने 2020 के स्तर की तुलना में 2030 तक मानव निर्मित मीथेन उत्सर्जन में 30% तक कटौती करने का लक्ष्य रखा था। इस शपथ पर अब तक 158 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन इसके बावजूद अमेरिका और दुनिया के अन्य हिस्सों में मीथेन उत्सर्जन लगातार जारी है।

तेल और गैस उत्पादन में बढ़ोतरी से बढ़ा मीथेन उत्सर्जन-

अमेरिकी जीवाश्म ईंधन उद्योग प्रति यूनिट ऊर्जा उत्पादन में मीथेन उत्सर्जन में कुछ कमी ला सका है, लेकिन तेल और गैस उत्पादन में हो रही वृद्धि ने कुल मीथेन उत्सर्जन को बढ़ा दिया है। इसका मतलब यह है कि अमेरिका मीथेन कटौती के अपने लक्ष्यों से काफी पीछे है। अगर इसी प्रकार मीथेन का उत्सर्जन जारी रहा, तो जलवायु संकट और भी गंभीर हो सकता है।

क्या समाधान संभव है?

कैरोस के इस अध्ययन ने वैश्विक समुदाय को चेतावनी दी है कि यदि मीथेन उत्सर्जन पर प्रभावी रूप से लगाम नहीं लगाई गई तो जलवायु परिवर्तन के और भी गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। जीवाश्म ईंधन से संबंधित गतिविधियों में सुधार, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का विकास और उत्सर्जन निगरानी के तरीकों में सुधार करके इस चुनौती से निपटा जा सकता है।

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