क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही बीमारी के लिए अलग-अलग लोगों पर दवाइयाँ अलग तरह से क्यों काम करती हैं? इसका कारण है कि हर इंसान का शरीर, उसका जीन, पर्यावरण और जीवनशैली अलग होती है। यही वजह है कि सटीक चिकित्सा (Precision Medicine) का उदय हुआ। इसका उद्देश्य है - हर व्यक्ति की जैविक संरचना के आधार पर, उसे व्यक्तिगत और विशेष इलाज देना।
क्या है Precision Medicine?
आपने कभी सोचा है कि एक ही बीमारी के लिए अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग दवाइयाँ क्यों असर करती हैं? इसका जवाब है - हर इंसान का शरीर और उसकी जीवविज्ञानिक संरचना अलग-अलग होती है। Precision Medicine का मतलब है कि हर व्यक्ति की जीन, पर्यावरण और जीवनशैली के आधार पर उसके लिए special इलाज तैयार किया जाए । इसका मुख्य उद्देश्य है सही व्यक्ति के लिए सही समय पर सही इलाज ढूंढना।
सटीक चिकित्सा की शुरुआत-
सटीक चिकित्सा की नींव तब पड़ी जब Human Genome Project पूरा हुआ। इस परियोजना ने इंसानी जीनोम को समझने में मदद की, जिससे वैज्ञानिकों ने कई गंभीर बीमारियों का इलाज खोजने का प्रयास शुरू किया। कैंसर, हृदय रोग और जिगर की बीमारियों के इलाज में जीनोमिक्स (genomics) यानी जीन से जुड़े अध्ययनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नई तकनीकों का प्रभाव-
सटीक चिकित्सा में कई नवीन तकनीकों का योगदान है, जिनमें जीन एडिटिंग (gene-editing), mRNA therapeutics, और स्टेम सेल थेरेपी (stem cell therapy) शामिल हैं। उदाहरण के लिए, जीन थेरेपी से कुछ लोगों की आंखों की रोशनी वापस आई, जो जीन में गड़बड़ी के कारण चली गई थी। यूके में स्टेम सेल थेरेपी द्वारा डायबिटीज का इलाज किया गया। COVID-19 महामारी के दौरान mRNA तकनीक से कुछ महीनों में वैक्सीन विकसित की गई, जिसने सटीक चिकित्सा को नई ऊँचाइयाँ दी। Organ-on-chips जैसी तकनीकें भी सटीक चिकित्सा के विकास में सहायक हैं। ये छोटे उपकरण हैं जो इंसानी अंगों या ट्यूमर का माइक्रो पर्यावरण प्रयोगशाला में तैयार कर सकते हैं, जिससे दवाओं के असर का अध्ययन किया जा सकता है।
भारत में सटीक चिकित्सा का भविष्य-
भारत में सटीक चिकित्सा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। अनुमान है कि 2030 तक यह 5 बिलियन डॉलर से अधिक का हो जाएगा। कैंसर इम्यूनोथेरेपी, जीन एडिटिंग और बायोलॉजिक्स जैसी तकनीकों का विस्तार हो रहा है। हाल ही में, भारत में CAR-T सेल थेरेपी को मंजूरी मिली है, जो कैंसर के इलाज में मददगार साबित होगी।
Biobanks: सटीक चिकित्सा का आधार-
सटीक चिकित्सा के लिए बायोबैंक्स (Biobanks) की अत्यधिक आवश्यकता होती है। बायोबैंक ऐसी जगह होती है जहाँ जैविक नमूने जैसे खून, डीएनए, और ऊतक रखे जाते हैं। भारत में फिलहाल 19 रजिस्टर्ड बायोबैंक हैं, लेकिन उनके रेगुलेशन काफी कमजोर हैं। जैविक नमूनों के उपयोग से जुड़े गोपनीयता संबंधी चिंताओं के कारण लोग इसमें शामिल होने से हिचकिचाते हैं।
चुनौतियाँ और आगे का रास्ता-
भारत को बायोबैंकिंग नियमों को सख्त और पारदर्शी बनाना होगा ताकि लोग विश्वास के साथ अपने जैविक नमूने शोध के लिए उपलब्ध करा सकें। यदि भारत इस दिशा में ठोस कदम उठाता है, तो वह न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं में भी अग्रणी बन सकता है। भारत में सटीक चिकित्सा का भविष्य उज्ज्वल है। तकनीकी उन्नति और सही नीतियों के साथ, यह चिकित्सा पद्धति जल्द ही स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति लाएगी।