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क्या 'पॉलीग्राफ टेस्ट' से खुलेंगे संजय रॉय और संदीप घोष के सारे राज़?

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सीबीआई की जांच जारी है। इस मामले में सीबीआई ने आरोपी सिविक वालंटियर संजय रॉय और पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष समेत सात लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का फैसला किया है। इस टेस्ट का उद्देश्य आरोपियों द्वारा दिए गए बयानों की सत्यता की जांच करना है।

पॉलीग्राफ टेस्ट क्यों जरूरी है?

इस मामले में अब तक जुटाए गए सबूत मामले की पूरी सच्चाई उजागर करने में विफल रहे हैं। सीबीआई को संदेह है कि आरोपियों द्वारा दिए गए बयान सच्चे नहीं हो सकते हैं या उनमें कुछ छुपाया जा सकता है। इसी कारण सीबीआई ने पॉलीग्राफ टेस्ट का सहारा लिया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि आरोपियों के बयान कितने सच हैं और क्या इनमें कोई झूठ या गुमराह करने की कोशिश की गई है।

पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है?

पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे आमतौर पर 'लाई डिटेक्टर टेस्ट' कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति के शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापकर यह पता लगाया जाता है कि वह सच बोल रहा है या झूठ। इस टेस्ट में व्यक्ति के शरीर की विभिन्न प्रतिक्रियाओं, जैसे कि हृदय गति, रक्तचाप, सांस की गति और त्वचा की संवेदनशीलता, को मापा जाता है। हालांकि यह टेस्ट 100% सटीक नहीं माना जाता है, लेकिन कानूनी जांच में इसे पूरी तरह से नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है। कोर्ट की अनुमति से ही यह टेस्ट किया जाता है, और इसके परिणाम जांच की दिशा को बदल सकते हैं।

कैसे काम करता है पॉलीग्राफ टेस्ट?

पॉलीग्राफ मशीन में कई सेंसर होते हैं जिन्हें व्यक्ति के शरीर के विभिन्न हिस्सों पर लगाया जाता है, जैसे कि उंगलियां, छाती, और सिर। जब व्यक्ति से सवाल पूछे जाते हैं, तो उसकी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को ये सेंसर मापते हैं। उदाहरण के लिए, यदि व्यक्ति झूठ बोल रहा होता है, तो उसकी हृदय गति और रक्तचाप में बदलाव देखा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, सबसे पहले आरोपी से सामान्य सवाल पूछे जाते हैं, जिनका केस से कोई संबंध नहीं होता। इसके बाद उससे केस से जुड़े सीधे सवाल किए जाते हैं। मशीन के माध्यम से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करके यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या नहीं।

कोलकाता डॉक्टर मर्डर केस में पॉलीग्राफ टेस्ट का महत्व

इस हाई-प्रोफाइल केस में पॉलीग्राफ टेस्ट इसलिए अहम है क्योंकि इससे सीबीआई को उन बयानों की सत्यता का पता चल सकेगा, जिन पर अभी भी संदेह बना हुआ है। अगर किसी आरोपी के झूठ बोलने की पुष्टि होती है, तो इससे केस की जांच में नई दिशा मिल सकती है और दोषियों को सजा दिलाने में मदद मिल सकती है। पॉलीग्राफ टेस्ट के नतीजों से यह भी साफ हो सकेगा कि इस जघन्य अपराध में और कौन-कौन शामिल हो सकता है। जांच एजेंसी को उम्मीद है कि इस टेस्ट के जरिए आरोपियों के रहस्यों पर से पर्दा उठ सकेगा और पीड़िता को न्याय मिल सकेगा।

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