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भारत के सर्वोच्च न्यायालय का जिला न्यायपालिका के लिए आयोजित छह सत्रों वाला दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शनिवार को शुरू हुआ। इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया और इसके साथ ही एक विशेष टिकट और सिक्के का अनावरण भी किया। इस मौके पर उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराध और बच्चों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने त्वरित न्याय की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, "महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में जितनी तेजी से न्याय मिलेगा, उतनी ही जल्दी आधी आबादी को सुरक्षा का भरोसा मिलेगा।"
महिलाओं के खिलाफ अत्याचार पर पीएम मोदी का संदेश
कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ हुए कथित बलात्कार और हत्या के मामले, और ठाणे में दो किंडरगार्टन लड़कियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, "आज महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा, समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है। देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं, लेकिन हमें इसे और सक्रिय करने की जरूरत है। महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे, आधी आबादी को सुरक्षा का उतना ही बड़ा भरोसा मिलेगा।"
त्वरित न्याय सुनिश्चित करने की आवश्यकता
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए कई कड़े कानून हैं और इन कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है।
न्यायपालिका के 75 वर्ष और संविधान की यात्रा
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पीएम मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, "सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष, ये केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है। ये यात्रा है, भारत के संविधान और संवैधानिक मूल्यों की। ये यात्रा है, एक लोकतंत्र के रूप में भारत के और परिपक्व होने की।" उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्षों की यह यात्रा भारत के लोकतांत्रिक गौरव को और बढ़ाती है।
न्याय में देरी को खत्म करने के प्रयास
प्रधानमंत्री ने न्याय में देरी को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "पिछले 10 वर्षों में देश ने न्यायिक संरचना के विकास के लिए लगभग 8 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं। पिछले 25 साल में जितनी राशि न्यायिक संरचना पर खर्च की गई, उसका 75 प्रतिशत पिछले 10 वर्षों में ही हुआ है। भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला है। इन कानूनों की भावना है- 'नागरिक पहले, गरिमा पहले और न्याय पहले'."
आपातकाल का काला दौर और न्यायपालिका की भूमिका
आपातकाल को 'काला' दौर बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न्यायपालिका ने मौलिक अधिकारों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा की है।
Baten UP Ki Desk
Published : 31 August, 2024, 1:58 pm
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