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(Special Story) किसी भी देश के लिए अपने देशवासियों की सुरक्षा करना सर्वोपरि कर्तव्य है। इसको पूरा करने के लिए उस देश को कड़े सुरक्षा इंतजाम की जरूरत होती है और इसके लिए अच्छे हथियारों जैसे गोला-बारूद समेत तमाम बेहतर उपकरणों की आवश्यकता होती है। इन्हीं आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ज्यादातर देश अपनी शक्तियों के अनुसार स्वयं के लिए आयुध फैक्ट्री लगाते हैं। आजादी से पहले कोलकाता में भारत की पहली आयुध फैक्ट्री की स्थापना हुई थी। इसी की याद में हर साल 18 मार्च को आयुध फैक्ट्री दिवस (Ordnance Factory Day) मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है?
भारत की सबसे पुरानी आयुध फैक्ट्री (Ordnance Factory) कोलकाता के कोसीपोर में साल 1801 में लगाई गई थी। इस दिन को देश की रक्षा को मजबूत करने में भारतीय आयुध कारखानों के योगदान का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। आजादी के बाद समय के साथ-साथ आयुध कारखानों को भारत सरकार की ओर से आधुनिक और अधिक सक्षम बनाया गया है। भारतीय आयुध कारखाना, देश भर में 41 निर्माण इकाइयों का एक समूह है, जो भारतीय सशस्त्र बलों के लिए हथियार, गोला-बारूद और अन्य उपकरणों के उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं। इन कारखानों में सशस्त्र बलों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले हथियार और उपकरण तैयार किए जाते हैं।
राष्ट्रीय आयुध फैक्ट्री दिवस 2024 की थीम-
फैक्ट्री दिवस एक वार्षिक कार्यक्रम है जो भारत में पहली आयुध फैक्ट्री की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। 2024 में इस आयोजन का विषय 'समुद्री क्षेत्र में परिचालन दक्षता, तत्परता और मिशन उपलब्धि' है। थीम का उद्देश्य समुद्री क्षेत्र में मिशन की सफलता प्राप्त करने के लिए इष्टतम दक्षता और तैयारी सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देना है. इसमें उन्नत प्रौद्योगिकियों, उपकरणों और प्रणालियों का विकास और तैनाती शामिल है जो भारतीय नौसेना और अन्य समुद्री एजेंसियों की प्रभावशीलता में सुधार कर सकते हैं
आयुध निर्माणी बोर्ड का इतिहास
भारतीय आयुध कारखानों का इतिहास और विकास सीधे तौर पर भारत में ब्रिटिश शासन से जुड़ा हुआ है। इंग्लैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में अपने आर्थिक हित के लिए और अपनी राजनीतिक पकड़ बढ़ाने के लिए सैन्य हार्डवेयर को महत्वपूर्ण तत्व मानती थी। साल 1775 के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों ने फोर्ट विलियम, कोलकाता में आयुध बोर्ड की स्थापना को स्वीकार कर लिया। यह भारत में सेना आयुध की आधिकारिक शुरुआत मानी जाती है। इसके बाद 1787 में ईशापुर में एक बारूद का कारखाना स्थापित किया गया था जिसने 1791 से उत्पादन शुरू किया था, लेकिन आधिकारिक तौर पर 1801 में कोसीपुर, कोलकाता (वर्तमान में गन एंड शेल फैक्ट्री, कोसीपुर के रूप में जाना जाता है) में एक गन कैरिज एजेंसी की स्थापना की गई और उत्पादन 18 मार्च, 1802 से शुरू हुआ। इसलिए आज का दिन आयुध निर्माण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह आयुध कारखानों की पहली औद्योगिक स्थापना थी जिसने आज तक अपना अस्तित्व जारी रखा है।
भारतीय आयुध कारखानें –
16 जून, 2021 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसरण में, भारत सरकार ने आयुध निर्माणी बोर्ड यानि ओएफबी की 41 उत्पादन इकाइयों के कार्यों का निगमीकरण करने का निर्णय लिया, जो आयुध निर्माणी विभाग के अधीन कार्यरत हैं। इसके बाद भारत सरकार ने 1 अक्टूबर, 2021 से इन 41 उत्पादन इकाइयों के प्रबंधन, नियंत्रण, संचालन और रखरखाव को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया और गैर-उत्पादन इकाइयों की पहचान 7 सरकारी कंपनियों के रूप में की गई।
आयुध निर्माणी बोर्ड –
आयुध निर्माणी बोर्ड जिसमें विविध उत्पादों के निर्माण में लगी 41 इकाइयां शामिल हैं, भारत में सबसे पुराना और सबसे बड़ा रक्षा उत्पादन संगठन है। यह रक्षा निर्माण में सरकार द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ पहल का अग्रदूत है। आयुध निर्माणी बोर्ड पूरे हथियार प्रणाली प्लेटफॉर्म का निर्माण करता है। इसके गोला-बारूद और संबंधित सामान आदि शामिल हैं। भारतीय सेना के साथ, आयुध निर्माणी बोर्ड, सीएपीएफ, वायु सेना और भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा करता है। इसके अलावा, समय की बदलती मांगों के साथ,आयुध निर्माणी बोर्ड भी अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता ला रहा है और अंतरराष्ट्रीय निर्यात बाजार के साथ-साथ घरेलू नागरिक व्यापार क्षेत्र में अपना आधार बढ़ा रहा है। मुंबई, कानपुर और खड़गपुर में IIT जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों की सहायता से, आयुध कारखाने न केवल मौजूदा उत्पादों का उन्नयन कर रहे हैं, बल्कि नए हथियार प्लेटफॉर्म भी विकसित कर रहे हैं।
Baten UP Ki Desk
Published : 18 March, 2024, 10:27 am
Author Info : Baten UP Ki