देश में विधानसभा और लोकसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए बहुप्रतीक्षित कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने One Nation One Election के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव की सिफारिश पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने की थी, जिसने हाल ही में अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। आइए जानते हैं इस महत्वपूर्ण फैसले से जुड़ी प्रमुख बातें और इससे क्या बदलाव संभावित हैं।
क्या है One Nation One Election का उद्देश्य?
One Nation One Election का मुख्य उद्देश्य है कि देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जाएं, जिससे बार-बार चुनाव कराने की आवश्यकता समाप्त हो जाए। इससे न केवल सरकार और राजनीतिक दलों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में समय और संसाधनों की बचत भी होगी। यह पहल देश की विकास गति को और तेज कर सकती है।
एक राष्ट्र, एक चुनाव' के फायदे
- वित्तीय बचत: बार-बार चुनाव कराने पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपये की बचत होगी।
- सतत विकास: बार-बार चुनाव से निजात मिलेगी और सरकार का ध्यान विकास पर केंद्रित रहेगा।
- आचार संहिता का प्रभाव: बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकेगा।
- काले धन पर लगाम: चुनाव में खर्च होने वाले काले धन पर भी रोक लगेगी।
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर 32 राजनीतिक दलों का समर्थन
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था। इनमें से 47 पार्टियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। दिलचस्प बात यह है कि इन 47 में से 32 राजनीतिक दलों ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया है, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया। इसके अलावा, 15 दलों ने इस विषय पर कोई जवाब नहीं दिया। समिति ने 18,626 पन्नों की रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को 14 मार्च, 2024 को सौंपी थी।
100 दिन पूरे होने पर अमित शाह ने दिए थे संकेत
एनडीए सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी One Nation One Election के प्रति गंभीरता दिखाई थी। हाल ही में सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने फिर से इस मुद्दे पर जोर दिया था और इसे एनडीए के प्रमुख संकल्पों में से एक बताया था। अब, सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी दे दी है। संभावना है कि संसद के शीतकालीन सत्र में इसके लिए विधेयक पेश किया जाएगा।
पीएम मोदी ने लाल किले से की थी चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को लाल किले से दिए अपने भाषण में भी One Nation One Election का उल्लेख किया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि बार-बार चुनाव कराना देश की विकास प्रक्रिया में रुकावट पैदा करता है। उनका कहना था कि देश की प्रगति के लिए चुनावी प्रक्रिया को एकीकृत करना आवश्यक है।
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी थी समिति-
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने One Nation One Election के प्रस्ताव पर गहन अध्ययन किया और अपनी रिपोर्ट 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी थी। यह रिपोर्ट कुल 18,626 पन्नों की है, जिसमें चुनावों को एक साथ कराने के संभावित लाभों और चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की गई है। रिपोर्ट में कई संवैधानिक और कानूनी पहलुओं पर भी ध्यान दिया गया है।
संसद में शीतकालीन सत्र में पेश होगा विधेयक-
अब, जब One Nation One Election के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है, तो इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। विधेयक पारित होने के बाद, इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इससे लोकतंत्र की मजबूती और चुनावी सुधारों की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
चुनावों में बार-बार की जाने वाली दिक्कतें होंगी खत्म?
प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस योजना को देश की प्रगति के लिए आवश्यक बताया है। उनका मानना है कि लगातार चुनावों से प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है और विकास कार्य प्रभावित होते हैं। One Nation One Election से इन चुनौतियों को कम करने की उम्मीद है।
विपक्ष की क्या है प्रतिक्रिया?
हालांकि सरकार इस फैसले को बड़े सुधार के रूप में देख रही है, लेकिन विपक्षी दलों ने इस पर कई सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि इससे क्षेत्रीय पार्टियों और छोटे राज्यों की राजनीतिक स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है। वे इस पर और गहराई से विचार करने की मांग कर रहे हैं। One Nation One Election का प्रस्ताव अब संसद के सामने है, और इसके पारित होने पर यह देश की चुनावी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव ला सकता है।