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कभी 150 करोड़ की ठुकराई थी रिश्वत! फिर खुद 2200 करोड़ के घोटाले में कैसे घिरे थे सत्यपाल मलिक?

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और बेबाक नेता सत्यपाल मलिक का मंगलवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। वे 77 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे। आज दोपहर 1:12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ ही भारतीय राजनीति ने एक ऐसा चेहरा खो दिया, जो न सिर्फ सत्ता से सवाल करने की हिम्मत रखता था, बल्कि कड़े फैसलों का साक्षी भी रहा।

370 हटने के वक्त राज्यपाल… आज ही के दिन बने थे इतिहास का हिस्सा

5 अगस्त 2019—एक तारीख जो भारतीय इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी। इसी दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था। और उस ऐतिहासिक घड़ी में राज्यपाल की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति थे—सत्यपाल मलिक। एक ऐसा फैसला जिसे लेकर देशभर में बहस छिड़ गई थी, लेकिन मलिक ने उस समय  प्रदेश की बागडोर संभाली और संवैधानिक जिम्मेदारी निभाई।

राजनीतिक सफर: पंचायत से संसद और फिर राज्यपाल हाउस तक

सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसवाड़ा गांव में हुआ था। किसान परिवार से आने वाले मलिक ने मेरठ यूनिवर्सिटी से B.Sc और LLB किया। उनका राजनीतिक करियर 1974 में उत्तर प्रदेश विधानसभा से शुरू हुआ और धीरे-धीरे राज्यसभा, लोकसभा और फिर कई राज्यों के राज्यपाल बनने तक पहुंचा।

  • राज्यसभा सदस्य: 1980-89

  • लोकसभा सांसद: 1989-91

  • राज्यपाल पद:

    • बिहार: सितंबर 2017 – अगस्त 2018

    • ओडिशा (अतिरिक्त प्रभार): मार्च – मई 2018

    • जम्मू-कश्मीर: अगस्त 2018 – अक्टूबर 2019

    • गोवा: नवंबर 2019 – अगस्त 2020

मेघालय: अगस्त 2020 – अक्टूबर 2022

बेबाक, निडर और सादगीपूर्ण छवि

सत्यपाल मलिक को उनकी बेबाकी के लिए जाना जाता था। वे अक्सर सत्ता से टकराते नजर आए, खासकर किसानों के मुद्दों पर उन्होंने कई बार अपनी ही सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलने से परहेज नहीं किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था—"मैं पांच कुर्ता-पायजामे में आया हूं, और उतने में ही चला जाऊंगा।"
उनकी साफगोई ही थी, जिसने उन्हें आम जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया।

भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले… लेकिन खुद घिरे आरोपों में

2021 में एक कार्यक्रम के दौरान मलिक ने खुद खुलासा किया था कि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल रहते समय उन्हें 150-150 करोड़ की रिश्वत का ऑफर मिला था। उन्होंने दोनों फाइलें खारिज कर दीं और CBI को जांच के लिए खुलकर नाम देने का दावा किया। लेकिन किस्मत की विडंबना देखिए—22 मई 2025 को उन्हीं पर CBI ने चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के कीरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में 2,200 करोड़ के घोटाले का आरोप था। इससे पहले फरवरी में उनके ठिकानों पर रेड भी डाली गई थी। हालांकि मलिक इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते रहे।

आखिरी लड़ाई—बीमारी से जंग

11 मई 2025 को उनकी हालत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें RML अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने किडनी की गंभीर बीमारी से लंबा संघर्ष किया, लेकिन आखिरकार मंगलवार को उनकी जीवन यात्रा समाप्त हो गई।

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