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राष्ट्रीय हथकरघा दिवस, जिसे नेशनल हैंडलूम डे के नाम से भी जाना जाता है, हर साल 7 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य भारत की समृद्ध हथकरघा विरासत को संरक्षित करना और हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देना है। यह दिन उन बुनकरों के कौशल और समर्पण का सम्मान करने का एक अवसर है, जिन्होंने सदियों से भारत की सांस्कृतिक पहचान को सहेज कर रखा है।
क्या है हैंडलूम डे मनाने का उद्देश्य?
इसका उद्देश्य देश में हथकरघा उद्योग को सशक्त बनाना और दुनियाभर में हैंडलूम की पहचान को बढ़ावा देना है। हैंडलूम हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसे हमारे पारंपरिक वस्त्रों से लेकर घर की सजावट तक में प्रमुखता से शामिल किया जाता है। इससे न केवल इस उद्योग में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि कारीगरों की स्थिति भी सुधर रही है।
कई राज्यों में प्रचलित हैं विशिष्ट हैंडलूम-
हैंडलूम उद्योग बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी देता है। भारत के विभिन्न राज्यों में विशिष्ट हैंडलूम शिल्प प्रचलित हैं, जैसे आंध्र प्रदेश की कलमकारी, गुजरात की बांधनी, तमिलनाडु का कांजीवरम, महाराष्ट्र की पैठनी, मध्य प्रदेश की चंदेरी, और बिहार का भागलपुरी सिल्क। ये सभी हैंडलूम शिल्प न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रसिद्ध हैं।
क्या है हैंडलूम डे मनाने की वजह?
भारत में हथकरघा उद्योग लाखों लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख स्रोत है। यह दिवस इस उद्योग को बढ़ावा देने और हस्तनिर्मित वस्त्रों के प्रति लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। हथकरघा भारत की हस्तकला विरासत का एक अनमोल हिस्सा है। यह दिवस इस विरासत को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को इसके महत्व के बारे में जागरूक करने का एक अवसर प्रदान करता है। हथकरघा बुनकर अपनी कुशलता और मेहनत के लिए जाने जाते हैं। यह दिवस उनके अद्वितीय योगदान को सम्मानित करने और उन्हें प्रोत्साहित करने का एक सुनहरा अवसर है। स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना भी इस दिवस का एक मुख्य उद्देश्य है। हथकरघा उत्पाद पूरी तरह से स्वदेशी होते हैं और इस प्रकार यह दिवस स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
क्या है हैंडलूम डे मनाने के पीछे का इतिहास?
इसी दिन कोलकाता के टाउनहॉल में एक महा जनसभा से स्वदेशी आंदोलन (Swadeshi Movement) की शुरुआत हुई थी। इसी घटना की याद में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है। स्वदेशी आंदोलन का मुख्य उद्देश्य भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देना और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। इस दिन की महत्वपूर्णता को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर हथकरघा उद्योग की संस्कृति और उसकी भूमिका को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। 7 अगस्त, 2015 में प्रधानमंत्री ने इस दिन की शुरुआत की थी। तब से हर साल इस दिन को मनाया जाता है।
क्या है हैंडलूम डे का महत्व?
हथकरघा उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उद्योग विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करता है और गरीबी को कम करने में सहायक होता है। हथकरघा से बने उत्पादों की मांग न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी काफी है। इस उद्योग के माध्यम से पारंपरिक कला और संस्कृति को बढ़ावा मिलता है, और इसके साथ ही स्थानीय कारीगरों को अपनी कला दिखाने का अवसर भी मिलता है।
क्या है हथकरघा उत्पादों की विशेषताएं?
हथकरघा उत्पादों की कई विशेषताएं हैं जो इन्हें मशीन से बने कपड़ों से अलग करती हैं। ये उत्पाद आमतौर पर अधिक टिकाऊ होते हैं, पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और उनकी गुणवत्ता भी बेहतरीन होती है। हथकरघा उत्पादों में विभिन्न प्रकार के डिज़ाइन और रंग होते हैं, जो इन्हें विशिष्ट और अद्वितीय बनाते हैं। इनकी बुनाई में प्रयुक्त तकनीक और हस्तशिल्प की विविधता इनकी सुंदरता और आकर्षण को बढ़ाती है।
हथकरघा दिवस कैसे मनाया जाता है?
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाता है। इसमें फैशन शो, हस्तकला प्रदर्शनियां, सेमिनार और कार्यशालाएं शामिल होती हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य हथकरघा उत्पादों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और बुनकरों को प्रोत्साहित करना है। इस दिन, लोगों को हथकरघा उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका और इसकी कला की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी जाती है, साथ ही बुनकरों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित भी किया जाता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 7 August, 2024, 5:41 pm
Author Info : Baten UP Ki