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राष्ट्रपति- पीएम मोदी सहित कई नेताओं ने अटल बिहारी वाजपेयी को अर्पित की श्रद्धांजलि, कौन है भीष्म पितामह

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(Special Story) भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 99 वीं जयंती आज पूरे देशभर में सुशासन दिवस के रुप में मनाई जा रही है। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदैव अटल स्मारक पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। साथ ही केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, अश्विनी वैष्णव, अनुराग ठाकुर और अन्य नेताओं ने भी पूर्व प्रधानमंत्री को पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष् जेपी नड्डा भी मौजूद रहे। 

सीएम योगी ने लोकभवन में पूर्व PM वाजपेयी को दी श्रद्धाजंलि-

वहीं इस अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जंयती पर लखनऊ स्थित लोक भवन में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृतियों को याद किया। उन्होंने कहा कि अटल जी भारत की राजनीति के अजात शत्रु थे। उन्होंने भारत की राजनीतिक अस्थिरता को उभारने के साथ देश के अंदर राजनीति में शुचिता और पारदर्शिता का एक आदर्श प्रतिमान रखा था। पिछले साढ़े नौ वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने विकास, सुरक्षा और सुशासन के जो नये प्रतिमान स्थापित किये हैं, उसकी आधारशिला श्रद्धेय अटल जी ने अपने शासनकाल में ही रख दी थी। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी समेत अन्य सरकारें अटल जी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मना रही हैं और उनका स्मरण करते हुए उनके मूल्यों और आदर्शों के प्रति पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने का संकल्प भी ले रही हैं। 

सोशल मीडिया पर किया पोस्ट-

पूर्व पीएम वाजपेयी को सदैव अटल से पीएम मोदी, अमित शाह और नड्डा ने दी  श्रद्धांजलि :: In24News

आपको बता दे कि आज सुशासन दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साहित कई नेताओं ने सदैव अटल स्मारक पर पहुंचकर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित किये नमन किया। हालांकि इससे पहले भी पीएम मोदी अपने सोशल मीडिया एक्स पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यों को याद करते हुए लिखा कि 'पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी जयंती पर देश के सभी परिवारजनों की ओर से मेरा कोटि-कोटि नमन। वे जीवनपर्यंत राष्ट्र निर्माण को गति देने में जुटे रहे। मां भारती के लिए उनका समर्पण और सेवा भाव अमृतकाल में भी प्रेरणास्रोत बना रहेगा।' 

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने एक्स पर किया नमन-

अटल के जीवन में नहीं रहा सत्ता का मोह, दुनिया में पेश की मजबूत भारत की  तस्वीर: शाह - atal bihari vajpayee birth anniversary amit shah tweet bjp -  AajTak

साथ ही केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लिखा, 'पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर उनका स्मरण कर उन्हें नमन करता हूं। अटल जी ने निःस्वार्थ भाव से देश व समाज की सेवा की और भाजपा की स्थापना के माध्यम से देश में राष्ट्रवादी राजनीति को नई दिशा दी। जहां एक ओर उन्होंने परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध में विश्व को उभरते भारत की शक्ति का एहसास करवाया, तो वहीं दूसरी ओर देश में सुशासन की परिकल्पना को चरितार्थ किया। उनके विराट योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।'

MP के ग्वालियर में जन्में थे भीष्म पितामह-  

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आपको बता दे कि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापक थे और मूल रुप से वह उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के रहने वाले थे। अटल जी के पिता अध्यापक होने के साथ साथ हिन्दी व ब्रज भाषा के अच्छे कवि भी थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी।

विक्टोरिया कॉलेज से हासिल की B.A की डिग्री-

लक्ष्मीबाई कॉलेज में एनएसयूआई और प्रशासन के बीच झड़प में चुनाव परिणाम -  डीयू बीट - दिल्ली विश्वविद्यालय का स्वतंत्र छात्र समाचार पत्र

उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) से बी.ए. की परीक्षा पास की।  छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। इस दौरान उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल.एल.बी. की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये।

शुरु से ही राजनीति में थे सक्रिय-

When Atal Bihari Vajpayee was hesitating to go to US night club had a peg  with the young IFS Maharajakrishna Rasgotra Biography - India Hindi News -  जब अमेरिका के एक नाइट

अटल छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे। सन् 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। सन् 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। 1977 में जनता पार्टी के गठन में भी अटल जी का महत्वपूर्ण योगदान था। जनता पार्टी की सरकार में वे विदेश मंत्री बने। उन्होंने विदेश मंत्री के रूप में भारत की विदेश नीति को एक नई दिशा दी।

ऐसा रहा जिंदगी का सफर-

अटल बिहारी वाजपेयी का निधन: युग का अंत - BBC News हिंदी

बता दे कि अटल बिहारी वाजपेयी भारत के तीन बार के प्रधानमंत्री थे। वे 16 मई से 1 जून 1996 तक 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री रहे। फिर 1998 में बनें और फिर 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक पूरे भारत के प्रधानमंत्री रहे और 2004 में अटल जी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्हें 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। 

16 अगस्त 2018 को कहा दुनिया को अलविदा- 

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां कल हरिद्वार में विसर्जित की  जाएंगी: बीजेपी

इसके बाद वर्ष 2009 तक उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सम्बन्धी चिन्ताओं के कारण सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान वाजपेयी को दिल का एक दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में असक्षम हो गए थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में अविवाहित रहने का संकल्प लिया। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हे भीष्मपितामह भी कहा जाता है। उन्होंने 24 दलों के गठबन्धन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। वर्ष 2015 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया और 16 अगस्त 2018 को लम्बी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में अंतिम सांस ली। 

-अनीता

 

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