भारत के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, राजीव रंजन सिंह ने 24 अक्टूबर को नई दिल्ली में 21वीं पशुधन जनगणना का शुभारंभ किया। हर पाँच साल में होने वाली यह जनगणना हमारे देश में मौजूद सभी पालतू और आवारा जानवरों की गिनती करती है। यह प्रयास भारत में पशुपालन, पोल्ट्री फार्मिंग और पशुधन आधारित जीवन को समझने और उनका रिकॉर्ड बनाने में मदद करता है।
क्या है पशुधन जनगणना का उद्देश्य?
पशुधन जनगणना का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि भारत में कितने लोग पशुधन आधारित आजीविका से जुड़े हुए हैं। भारत के कृषि क्षेत्र में कुल उत्पादन का 30% हिस्सा पशुधन से आता है, जबकि देश की जीडीपी में इसका योगदान 4.7% है। इस जनगणना से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत समझने और नई नीतियाँ बनाने में सहायता मिलती है।
टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में एक कदम-
संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) में पशुधन जनगणना का बड़ा योगदान है, विशेषकर ‘भूखमरी मिटाना’ (Goal 2 - Zero Hunger) जैसे लक्ष्यों को हासिल करने में। इस जनगणना के माध्यम से स्थानीय पशु नस्लों की विविधता को संरक्षित करने और पशुपालन के जरिये ग्रामीण समाज को सशक्त बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 1919 से अब तक-
पशुधन जनगणना का इतिहास 1919 से शुरू होता है और अब तक 20 बार इसे आयोजित किया जा चुका है। पिछली जनगणना 2019 में हुई थी, जिसमें भारत में 53.57 करोड़ पशुधन होने का अनुमान था। इस बार, 21वीं पशुधन जनगणना अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक चलेगी, जिसमें 87,000 गणक देशभर में गाँवों, शहरों, फार्मों, गौशालाओं और सेना के स्थानों पर जाकर जानवरों की जानकारी इकट्ठा करेंगे।
पूरी तरह से डिजिटल होगी पशुधन जनगणना-
इस बार की जनगणना विशेष रूप से डिजिटल होगी। डेटा इकट्ठा करने के लिए मोबाइल ऐप का उपयोग होगा और सभी जानकारी डिजिटल डैशबोर्ड पर मॉनिटर की जाएगी। इससे गणना को आसानी से नियंत्रित और विश्लेषण किया जा सकेगा, जिससे रिपोर्ट भी जल्दी तैयार हो सकेगी।
इस बार के नए बिंदु: विशेष ध्यान-
जनगणना में इस बार कुछ नए बिंदु जोड़े गए हैं जैसे कि किन परिवारों की मुख्य आय पशुधन से होती है और आवारा जानवरों की स्थिति कैसी है। इससे हमारे देश के पशुधन उद्योग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त होगी।
कौन-कौन से जानवरों की गिनती होगी?
इस बार की गणना में कुल 16 प्रकार के पशु शामिल होंगे, जिनमें प्रमुख रूप से गाय, भैंस, बकरी, घोड़े, ऊँट, हाथी और कुत्ते शामिल हैं। साथ ही मुर्गी, बत्तख, टर्की, बटेर, शुतुरमुर्ग और एमू जैसे पक्षियों को भी गिना जाएगा।
पिछली जनगणना के आंकड़े: 2019 की झलक-
2019 की पशुधन जनगणना में पता चला था कि भारत में कुल 53.57 करोड़ पशुधन थे। इनमें से:
- 19.29 करोड़ गायें
- 14.88 करोड़ बकरियां
- 10.98 करोड़ भैंसें
- 7.42 करोड़ भेड़ें
- 90 लाख सूअर
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि भारत में पशुधन का क्षेत्र कितना विशाल है और इस पर कितने लोग निर्भर हैं
पशुधन जनगणना की महत्ता-
भारत की पशुधन जनगणना सिर्फ जानवरों की गिनती नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था, आजीविका और आर्थिक नीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण आधारशिला है। इसके माध्यम से हमें न सिर्फ वर्तमान पशुधन की स्थिति का ज्ञान मिलेगा, बल्कि भविष्य के लिए नीतियों को भी दिशा मिलेगी, ताकि देश का पशुधन क्षेत्र निरंतर सशक्त हो और इसके जरिए स्थानीय आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।