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22 हजार BE.d शिक्षकों की नौकरी पर मंडराया खतरा, अब ये डिग्री होगी मान्य

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बिहार में 22 हजार BE.d शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में पटना हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए BE.d डिग्री पर्याप्त नहीं है। इसके लिए D.EL.Ed. डिग्री होनी चाहिए। साथ ही भर्ती को नए सिरे से करने का निर्देश भी दिया है।

आपको बता दे कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना के अनुसार, प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए डीएलएड डिग्री आवश्यक है। बीएड डिग्री धारकों को प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक के रूप में नियुक्ति देने के लिए एनसीटीई ने 2018 में एक अधिसूचना जारी की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस अधिसूचना को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार में 2021 और 2022 में नियुक्त हुए 22 हजार बीएड शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। इन शिक्षकों को अब नौकरी से हटा दिया जा सकता है या फिर उन्हें D.EL.Ed.  कोर्स पूरा करने के बाद ही नौकरी पर बने रहने की अनुमति दी जा सकती है।

सरकार अब तक नहीं करा पाई ब्रिज कोर्स-

बिहार सरकार ने 22 हजार BE.d शिक्षकों को 1 से 5वीं क्लास के शिक्षक के तौर पर बहाल किया था। साथ ही सरकार को निर्देश दिया था कि इन सभी शिक्षकों को एक ब्रिज कोर्स कराना है। लेकिन अभी तक सरकार ये ब्रिज कोर्स नहीं करा सकी है। सरकार ने नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन यानी NCTE की 2018 में आई नोटीफिकेशन का हवाला देते हुए कहा था कि 1 से 5वीं क्लास के शिक्षक के लिए BE.d कर चुके कैंडिडेट्स को भी सिलेक्ट किया जा सकता है। लेकिन पटना हाईकोर्ट ने इस नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि एनसीटीई की 2010 की मूल अधिसूचना के अनुसार, प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए डीएलएड डिग्री आवश्यक है। बीएड डिग्री धारकों को प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक के रूप में नियुक्ति देने के लिए एनसीटीई ने 2018 में एक अधिसूचना जारी की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस अधिसूचना को रद्द कर दिया है।

बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव का कहना है कि हाईकोर्ट का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। दीपांकर ने आगे कहा कि सरकार के ही नोटीफिकेशन के अनुसार लोगों ने BEd किया था। सरकारी के ही नोटीफिकेशन को ध्यान में रखकर कैंडिडेट्स ने नौकरी के लिए अप्लाय किया था। ऐसे में आज जब शिक्षकों की नौकरी जाने की बात हो रही है तो सरकार मौन क्यों है। आज 22 हजार शिक्षक जो बच्चों को पढ़ा रहे थे, हाईकोर्ट के एक फैसले की वजह से आज उनके लिए सड़क पर आने की नौबत आ चुकी है। बिहार सरकार ने न तो हाईकोर्ट और न ही सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष सही ढंग से रखा जिसका खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। दिपांकर ने कहा कि वो लोग चुप नहीं बैठेंगे और उच्चतम न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।

 

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