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जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को दिल्ली में निधन हो गया। वे लंबे समय से किडनी संबंधी बीमारी से पीड़ित थे और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उन्होंने दोपहर 1:20 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन से राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक में शोक की लहर दौड़ गई है।
370 हटाने के समय के राज्यपाल
सत्यपाल मलिक को इतिहास में एक अहम भूमिका के लिए याद किया जाएगा—जब 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया, तब वे ही प्रदेश के अंतिम राज्यपाल थे। इस ऐतिहासिक फैसले के समय वे प्रदेश प्रशासन के सर्वोच्च पद पर थे।
राजनीतिक सफर: एक राज्यपाल, चार राज्य
मलिक का राजनीतिक जीवन कई दशकों तक फैला रहा। उन्होंने न केवल जम्मू-कश्मीर, बल्कि गोवा, मेघालय और बिहार के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया। उनका जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था। राजनीतिक करियर की शुरुआत में वे 1974-77 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे, फिर राज्यसभा (1980-86, 1986-89) और लोकसभा (1989-91) का भी हिस्सा रहे।
निडर और स्पष्टवादी नेता
सत्यपाल मलिक अपनी बेबाकी और स्पष्टवादिता के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने कई बार अपनी ही सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए, और किसानों से जुड़े मुद्दों पर खुलकर पक्ष लिया। ऐसे नेताओं की संख्या आज की राजनीति में बहुत कम है।
अंतिम चरण में संघर्ष
11 मई 2025 को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। बीमारी से जूझते हुए उन्होंने लंबा समय बिताया, लेकिन अंत में शरीर ने साथ छोड़ दिया।
Baten UP Ki Desk
Published : 5 August, 2025, 2:00 pm
Author Info : Baten UP Ki