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कैंसर की राजधानी बन रहा है भारत, विशेषज्ञों ने जाहिर की चिंता

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(Special Story) गंभीर बीमारी कैंसर वैश्विक स्तर पर मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। इससे हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है। अध्ययनों से पता चला है कि साल 2050 तक इन आंकड़ों के और तेजी से बढ़ने की आशंका है। विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 पर अपोलो हॉस्पिटल्स द्वारा हेल्थ ऑफ नेशन रिपोर्ट के चौथे संस्करण के मुताबिक भारत में नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज यानि गैर-संचारी रोगों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर 1 में से तीसरा भारतीय प्री-डायबेटिक का शिकार है। वहीं हर 3 में से 2 प्री-हाइपरटेंसिव हैं और हर 10 से एक डिप्रेशन से पीड़ित है। इस रिपोर्ट में कैंसर पर भी चिंता जाहिर की गई है। क्यों भारत में बढ़ रहे हैं कैंसर के केस इस बारे में कैंसर विशेषज्ञों की क्या राय है। इस गंभीर बीमारी को कैसे काबू में लाया जा सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं... 

कैंसर की राजधानी बना भारत -

कैंसर डेटा के मुताबिक साल 2022 में दुनियाभर में अनुमानित 20 मिलियन यानि दो करोड़ कैंसर के नए मामलों का निदान किया गया। जबकि 9.7 मिलियन (97 लाख) से अधिक लोगों की मौत हो गई। इतना ही नहीं शोधकर्ताओं का अनुमान है कि साल 2050 तक कैंसर के रोगियों संख्या 35 मिलियन (3.5 करोड़) प्रतिवर्ष तक पहुंच सकती है। पिछले एक दशक के आंकड़े बताते हैं, भारत में भी इस गंभीर और जानलेवा रोग के केस साल दर साल तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। भारत में कैंसर की घटनाएं वैश्विक दरों की तुलना में तेजी से बढ़ रही हैं। इसी को लेकर हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा है कि देश में जिस गति से कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं अब ये दुनिया की नई कैंसर राजधानी बन गया है।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि युवाओं और वयस्कों में कैंसर के लक्षण ज्यादा आक्रामक दिखाई देते हैं, जो ज्यादा एडवांस स्टेज में मौजूद होते हैं। ऑन्कोलॉजिस्ट के मुताबिक इसके पीछे एक्सरसाइज न करना, दिनभर बैठे-बैठे काम करना और खान-पान  समेत कई तरह के कारण हो सकते हैं। इसके अलावा यह कई बार अनुवांशिक या पर्यावरण से जुड़े जोखिम के कारण भी हो सकते हैं।  

कैंसर के मामलों में हो रही है बढ़ोतरी-

'BMJ जर्नल' के मुताबिक वैश्विक स्तर पर शुरुआत के समय में कैंसर के निदान की संख्या में लगभग 30 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या में भगभग 20 फीसदी की वृद्धि हो सकती है. 'JAMA नेटवर्क ओपन' के मुताबिक युवाओं में 1990 के दशक के मुकाबले कोलोरेक्टल और बाउल कैंसर का निदान दोगुना बढ़ गया है। इसके अलावा इन दिनों ब्रेस्ट कैंसर भी बेहद आम हो गया है। इसके मुताबिक महिलाओं में हर साल इस कैंसर की लगभग 4 प्रतिशत बढ़ोतरी देखी गई है।  

द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक भारत में साल 2020 में लगभग 14 लाख नए कैंसर के मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज की गई हैं। उस वर्ष एशिया में कैंसर की बीमारी के बोझ वाला भारत सबसे बड़ा दूसरा देश बना गया था। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इस दशक के अंत तक देश में कैंसर के  मामलों में 12 प्रतिशत तक की वृद्धि की आशंका है, जिससे कैंसर का बोझ और अधिक बढ़ सकता है। 

इस तरह के बढ़ रहे हैं कैंसर के मामले-

अपोलो के मुताबिक भारत में महिलाओं में आमतौर पर ब्रेस्ट, गर्भाशय, अंडाशय और ग्रीवा कैंसर होता है। वहीं पुरुषों की बात की जाए तो उनमें प्रोस्टेट, मुंह और फेफड़ों का कैंसर बेहद आम है। भले ही इसके निदान के लिए औसत उम्र बाकी देशों के मुकाबले कम है। इसके बावजूद भारत में कैंसर स्क्रीनिंग दर बेहद कम है। भारत में कैंसर की जांच की पहुंच बढ़ाने की और ज्यादा जरूरत है। जिससे इस गंभीर बीमारे से अधिक से अधिक लोगों को बचाया जा सके।

भारत में कैंसर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

  • भारत में हर साल 14 लाख नए कैंसर के मामले सामने आते हैं।
  • भारत में हर साल 9.3 लाख कैंसर से मौतें होती हैं।
  • भारत में सबसे आम कैंसर फेफड़ों का कैंसर, स्तन कैंसर, मुंह का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और कोलन कैंसर हैं।
  • तंबाकू का सेवन, अस्वास्थ्यकर आहार, वायु प्रदूषण और संक्रमण कैंसर के प्रमुख कारण हैं।
  • कैंसर का जल्दी पता लगाना और उपचार जीवन रक्षा की कुंजी है।
  • भारत में, कई लोगों का कैंसर के देर से चरणों में पता चलता है, जब इलाज करना अधिक कठिन होता है।
  • सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और निजी क्षेत्र द्वारा भारत में कैंसर के बोझ को कम करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत में इन देशों से अधिक कैंसर के मामले-

शोध में बताया गया है कि  भारत, चीन और जापान के साथ, कैंसर के नए मामलों और मौतों की संख्या के मामले में एशिया के तीन देशों में से नंबर एक पर है। भारत में महिलाओं में स्तन और सर्वाइकल कैंसर के मामले सबसे आम हैं, जबकि पुरुषों में फेफड़े, मुंह और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा सबसे अधिक देखा जाता रहा है। हालांकि अन्य देशों की तुलना में भारत में कैंसर निदान के लिए औसत आयु कम होने के बावजूद, कैंसर के जांच दर काफी कम है। ज्यादातर रोगियों में कैंसर का पता ही आखिरी के चरणों में चल पाता है जहां से रोग का उपचार काफी कठिन हो जाता है।

कैंसर से बचाव के उपाय-

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन कई चीजें हैं जिनको अपना कर इससे बचा जा सकता है।

जीवनशैली में बदलाव-

तंबाकू का सेवन ना करें-

धूम्रपान और तंबाकू का सेवन कैंसर के सबसे बड़े जोखिम कारकों में से एक है। धूम्रपान छोड़ने से फेफड़ों, मुंह, गले, अन्नप्रणाली, मूत्राशय, गुर्दे और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।

स्वस्थ भोजन करें-

 फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन से भरपूर आहार खाएं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, लाल मांस और शक्कर युक्त पेय पदार्थों का सेवन सीमित करें।

नियमित व्यायाम करें-

हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करें। व्यायाम करने से वजन कम करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने और कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।

स्वस्थ वजन बनाए रखें-

मोटापा कई प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। अत्यधिक शराब सेवन से बचें  शराब सेवन से स्तन, मुंह, गले, अन्नप्रणाली और यकृत कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

धूप से सुरक्षा-
 
त्वचा कैंसर से बचाव के लिए, सूरज की तीखी किरणों से बचें, सनस्क्रीन का उपयोग करें और सुरक्षात्मक कपड़े पहनें।

तनाव कम करें-

तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है और कैंसर के विकास में योगदान दे सकता है। योग, ध्यान और गहरी सांस लेने जैसी गतिविधियों से तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है।

पर्याप्त नींद लें-

प्रति रात 7-8 घंटे की  पर्याप्त नींद लें।

नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं-

अपने डॉक्टर से नियमित रूप से जांच करवाएं, खासकर यदि आपके परिवार में कैंसर का  कोई इतिहास है तो।

कैंसर का जल्दी पता लगाना और उपचार जीवन रक्षा के लिए बहुत आवश्यक है। हालांकि, भारत में, कई लोगों का कैंसर के देर से चरणों में पता चलता है, जब इलाज करना अधिक कठिन होता है। इसका कारण जागरूकता की कमी, स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की कमी और महंगे उपचारों की लागत सहित कई कारक  शामिल हैं। भारत में कैंसर के बोझ को कम करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार कैंसर जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही है, स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार कर रही है और कैंसर के उपचार के लिए सस्ती दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है।

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