प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी20 समिट में भाग लेने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। यह सम्मेलन 18 और 19 नवंबर को आयोजित होगा। जी20, जिसमें 19 देश और दो प्रमुख संगठन (यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ) शामिल हैं, वैश्विक नीति और आर्थिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच है। पिछली बार यह सम्मेलन भारत में आयोजित हुआ था, जिसने दुनिया को जलवायु परिवर्तन और विकासशील देशों के समर्थन पर नए दृष्टिकोण दिए थे।
जलवायु परिवर्तन: केंद्र में रहेगा क्लाइमेट फाइनेंस का मुद्दा-
इस बार की जी20 समिट पर जलवायु परिवर्तन मुख्य मुद्दा रहेगा। कॉप-29 के दौरान जलवायु वित्त पर चल रही वार्ताओं में गतिरोध के बीच यह उम्मीद की जा रही है कि जी20 के नेता इसे हल करने में भूमिका निभा सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों को सैकड़ों अरब डॉलर की आवश्यकता है। जी20 देशों से उम्मीद की जा रही है कि वे बहुपक्षीय विकास बैंकों के जरिए इस वित्त पोषण को तेजी से सुनिश्चित करेंगे।
यूएन जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने जी20 नेताओं से विकासशील देशों के लिए वित्तीय अनुदान बढ़ाने और बहुपक्षीय बैंकों में सुधार करने का आग्रह किया।
यूक्रेन और गाजा: चर्चा का संभावित केंद्र
वैश्विक शिखर सम्मेलन के तीन प्रमुख एजेंडा के साथ, रूस-यूक्रेन युद्ध और गाजा संकट पर भी चर्चा की संभावना है।
पिछले साल भारत में हुए जी20 समिट में यूक्रेन युद्ध पर एक संयुक्त बयान जारी किया गया था। हालांकि इस बार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं हो रहे हैं। उनकी जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
मध्य पूर्व में जारी युद्ध की स्थिति पर भी चर्चा हो सकती है। इजराइल और फिलीस्तीन जी20 के सदस्य नहीं हैं, लेकिन उनका संघर्ष वैश्विक शांति के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
जलवायु नेतृत्व: जी20 से वैश्विक उम्मीदें-
जी20 देशों का वैश्विक अर्थव्यवस्था में 85% योगदान है, जबकि वे दुनिया के 75% ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
- गुटेरस की चेतावनी: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने जी20 से नेतृत्व करने की अपील की है। उनका कहना है कि सबसे बड़े उत्सर्जक होने के नाते उनकी जिम्मेदारी भी सबसे अधिक है।
- ट्रंप की वापसी का असर: अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर निकालने और जलवायु कानून को पलटने की तैयारी कर रहे हैं। यह जी20 के प्रयासों को कमजोर कर सकता है।
गरीबी, भूख और वैश्विक संस्थानों में सुधार पर जोर-
जी20 सम्मेलन के दौरान गरीबी उन्मूलन, वैश्विक संस्थानों में सुधार, और भूखमरी से निपटने पर भी विचार किया जाएगा। यह सम्मेलन विकासशील देशों की ओर ध्यान केंद्रित करेगा, ताकि उन्हें वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान किया जा सके।
भारत की भूमिका: ग्लोबल साउथ की आवाज़-
भारत ने पिछले साल अपनी अध्यक्षता के दौरान विकासशील देशों की आवाज़ को मजबूती दी थी। इस बार ब्राजील की अध्यक्षता में भी भारत की भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है। पीएम मोदी का यह दौरा न केवल वैश्विक मुद्दों पर भारत की उपस्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि ब्रिक्स जैसे संगठनों में भारत के सहयोग को भी बढ़ावा देगा।
समिट से क्या हैं उम्मीदें?
दो दिनों के इस शिखर सम्मेलन से वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनाने की उम्मीद की जा रही है। जलवायु वित्त, यूक्रेन और गाजा जैसे मुद्दों पर नेताओं की ओर से महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं। यह सम्मेलन वैश्विक आर्थिक और कूटनीतिक संतुलन को नया आकार देने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है।