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विदेश मंत्री जयशंकर का ऐतिहासिक दौरा, 9 साल बाद पहली बार भारत का कोई मंत्री जाएगा पाकिस्तान, SCO बैठक का बनेगा साक्षी

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विदेश मंत्री एस जयशंकर आगामी 15-16 अक्टूबर को पाकिस्तान का दौरा करेंगे, जहां वे शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) के हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (CHG) की बैठक में शामिल होंगे। यह दौरा खास इसलिए है क्योंकि पिछले 9 वर्षों में यह पहली बार होगा जब भारत का कोई मंत्री पाकिस्तान की धरती पर कदम रखेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 4 अक्टूबर को इस दौरे की जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जयशंकर की यह यात्रा SCO चार्टर के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है और इसे भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के संकेत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

SCO की भूमिका और जयशंकर का दौरा-

शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की स्थापना मुख्य रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और बहुपक्षीय सहयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की गई थी। इसके सदस्यों में भारत, चीन, रूस, और पाकिस्तान समेत आठ प्रमुख देश शामिल हैं। पाकिस्तान द्वारा 29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को SCO बैठक के लिए औपचारिक निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि जयशंकर इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस दौरे को लेकर मीडिया में विभिन्न अटकलें थीं कि क्या यह भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती दूरी को कम करने का प्रयास है। हालांकि, जयशंकर के प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि यह यात्रा केवल SCO चार्टर की पूर्ति का हिस्सा है और इसे किसी द्विपक्षीय वार्ता के प्रयास के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

जयशंकर का पाकिस्तान को लेकर सख्त रुख-

विदेश मंत्री जयशंकर पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि भारत पाकिस्तान के साथ बातचीत के नए दौर की शुरुआत करने के मूड में नहीं है। 30 अगस्त को उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को पुनर्जीवित करने का कोई प्रश्न नहीं उठता। उनका कहना था कि हर मुद्दे का समय होता है, और अब पाकिस्तान से किसी रिश्ते पर विचार करने का कोई औचित्य नहीं है।

9 साल के लंबे अंतराल के बाद भारत का पाकिस्तान दौरा-

भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव 2016 के उरी हमले के बाद से बढ़ता गया है, जिसमें 19 भारतीय जवान शहीद हुए थे। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में सर्जिकल स्ट्राइक कर 38 आतंकियों को मार गिराया था। उसके बाद से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों में खटास आ गई। भारतीय क्रिकेट टीम ने भी आखिरी बार 2008 में पाकिस्तान में मैच खेला था, और 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से किसी भी उच्च-स्तरीय वार्ता का आयोजन नहीं हुआ है।

क्या SCO बैठक से कोई कूटनीतिक चमत्कार की उम्मीद की जा सकती है?

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार की कोई भी संभावना फिलहाल दूर की कौड़ी नजर आती है। हालांकि, SCO के मंच पर दोनों देशों का आमना-सामना होना एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है। भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे संवाद की संभावना कम हो, लेकिन ऐसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर दोनों देशों का सहभागिता करना खुद में एक सकारात्मक संकेत है। SCO की इस बैठक में जयशंकर का उपस्थित होना न केवल भारत के SCO चार्टर के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत के दृढ़ संकल्प को भी प्रकट करता है। पाकिस्तान और अन्य देशों के साथ संबंध सुधारने की कोई भी संभावना इस मंच के जरिए बढ़ सकती है, लेकिन यह कहना फिलहाल मुश्किल है कि क्या दोनों देशों के बीच कोई वास्तविक बदलाव देखने को मिलेगा।

इतिहास में भारत-पाकिस्तान के दौरे-

जयशंकर से पहले आखिरी बार दिसंबर 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थीं। उनके इस दौरे के बाद भारत के किसी भी उच्च अधिकारी ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया। हालांकि, 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सरप्राइज विजिट के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से लाहौर में मुलाकात की थी, जिससे थोड़े समय के लिए दोनों देशों के संबंधों में गर्माहट आई थी। लेकिन 2016 के उरी हमले के बाद यह स्थिति पूरी तरह से बदल गई।

SCO का महत्व और पिछले संबंध-

SCO एक ऐसा मंच है जहां भारत और पाकिस्तान के साथ-साथ अन्य क्षेत्रीय शक्तियां भी अपने हितों और रणनीतिक प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श करती हैं। जुलाई 2023 में कजाकिस्तान में हुई SCO समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने भाग नहीं लिया था, और उनकी जगह भी विदेश मंत्री जयशंकर ने प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा, मई 2023 में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गोवा में SCO की बैठक में हिस्सा लिया था, जो 12 साल में किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री का पहला भारत दौरा था।

क्या SCO भारत और पाकिस्तान के बीच शांति का रास्ता खोल सकता है?

जहां SCO का मंच मुख्य रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित है, वहीं भारत और पाकिस्तान के बीच इसका उपयोग केवल शिष्टाचार तक ही सीमित रहा है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच तल्खी और बढ़ी है। हालांकि, SCO के सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग से यह संभावना बढ़ सकती है कि किसी न किसी रूप में दोनों देशों के बीच संवाद का रास्ता खुल सके। जयशंकर का पाकिस्तान दौरा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की भागीदारी और प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है, लेकिन इसे भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में बदलाव की उम्मीद के रूप में देखना जल्दबाजी होगी।

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