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संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई विश्व खुशहाली रिपोर्ट (World Happiness Report) में फिनलैंड लगातार सातवें साल दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना रहा। इस रैंकिंग में भारत की स्थिति पिछली बार की तरह बरकरार है। इस रिपोर्ट में चौकाने वाली बात ये है कि आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान सूची में 108वें नंबर पर है।आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि इस रिपोर्ट में खुशहाल देश के लिए क्या मानक होते हैं?
पहली बार कब बनी वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट?
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट पिछले 11 साल से बनाई जा रही है। इसे पहली बार 2012 में तैयार किया गया था। इसे तैयार करने के लिए लोगों की खुशी के साथ ही आर्थिक और सामाजिक आंकड़ों को भी देखा जाता है। इसे तीन साल के औसत डेटा के आधार पर खुशहाली को जीरो से 10 तक का स्केल दिया जाता है। इस बार 2021-2023 तक का डेटा देखा गया। हालांकि, यूनाइटेड नेशन की यह लेटेस्ट रिपोर्ट इजराइल-हमास जंग से पहले तैयार हो गई थी। इसलिए जंग से जूझ रहा इजराइल नंबर 5 है।
किस आधार पर तैयार की जाती है हैप्पीनेस रैंकिंग?
किसी देश की हैप्पीनेस रैंकिंग में कई तरह के कारक जिम्मेदार होते हैं। इस रिपोर्ट को UN सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क द्वारा पब्लिश किया जाता है। वहीं गैलप वर्ल्ड पोल डेटा इकट्ठा करते हैं। इस रिपोर्ट को नीचे दिए गए इन मानकों पर तैयार किया गया है कि कोई देश कितना खुशहाल है। ये मानक इस प्रकार हैं
इसके अलावा इस साल की रिपोर्ट में विश्वास और सोशल मीडिया के प्रभाव जैसी चीजों को भी ध्यान में रखकर हैप्पीनेस रिपोर्ट जारी की गई है।
हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत की स्थिति-
हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत पिछले साल की तरह ही 126वें स्थान पर है। वैवाहिक स्थिति, सामाजिक जुड़ाव और शारीरिक स्वास्थ्य जैसे कारक ही वृद्ध भारतीयों में जीवन संतुष्टि को प्रभावित कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में विवाहित और शिक्षा प्राप्त किए हुए भारतीय लोग बेहतर जीवन जीते हैं और खुश रहते हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत की GDP दर तो बढ़ रही है, लेकिन खुशी लगातार घट रही है। खास बात यह कि लगभग पड़ोसी देशों में चीन जहां इस सूची में 60वें नंबर पर है, वहीं नेपाल 93वें स्थान पर है। पाकिस्तान का नंबर 108वां है तो म्यांमार का 118वां। पड़ोसियों में श्रीलंका 128 और बांग्लादेश 129 रैंकिंग के साथ भारत से पीछे हैं।
इसलिए फिनलैंड है शीर्षस्थान पर-
यह खुशहाली रिपोर्ट व्यक्तियों के जीवन संतुष्टि के मूल्यांकन के साथ-साथ सकल घरेलू उत्पाद (GDP), सामाजिक समर्थन, स्वस्थ जीवन, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार पर आधारित होती है। फिनलैंड की एक शोधकर्ता जेनिफर डी पाओला के अनुसार यहां के लोगों का प्रकृति से गहरा संबंध और स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन उनके खुशी में योगदान देता है। इस देश का मजबूत समाज, राज्य के अधिकारियों पर भरोसा, भ्रष्टाचार का निम्न स्तर और मुफ्त स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा भी प्रमुख कारण हैं।
खुशहाल नहीं हैं बड़ी आबादी वाले देश-
रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे खुशहाल देशों में अब दुनिया का कोई भी सबसे बड़ा देश शामिल नहीं है। टॉप 10 देशों में केवल नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया की आबादी 15 मिलियन से अधिक है। पूरे टॉप 20 देशों में केवल कनाडा और यूके की आबादी 30 मिलियन से अधिक है। साल 2006-10 के बाद से हैप्पीनेस इंडेक्स में सबसे तेज गिरावट अफगानिस्तान, लेबनान और जॉर्डन में देखी गई, जबकि पूर्वी यूरोपीय देशों सर्बिया, बुल्गारिया और लातविया में सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है।
अफगानिस्तान निचले पायदान पर-
इस हैप्पीनेस इंडेक्स में अफगानिस्तान इस साल भी सूची में सबसे निचले स्थान पर है। इसका मतलब यह कि यह देश पूरी दुनिया में सबसे कम खुशहाल है। इससे ऊपर लेबनान, लेसोथो, सियेरा लियोन और कोंगो जैसे देशों का नंबर हैं, जो बहुत कम खुशहाल हैं।
विश्व खुशहाली रिपोर्ट में शीर्ष 10 देश
Baten UP Ki Desk
Published : 21 March, 2024, 2:33 pm
Author Info : Baten UP Ki