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PMMY के तहत लोन लेने वालों की जांच पर सख्ती, नीति आयोग ने सुझाईं ये गाइडलाइन्स

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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत लोन लेने वाले लाभार्थियों की पात्रता और बैकग्राउंड जांच को सख्त करने के लिए नीति आयोग ने गाइडलाइन तैयार करने की जरूरत पर बल दिया है। आयोग ने 'PMMY के प्रभाव का आकलन' नामक अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है कि लोन स्वीकृति के लिए E-KYC वेरिफिकेशन को अनिवार्य बनाया जाए, जिससे लोन स्वीकृति की प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जा सके।

बैकग्राउंड वेरिफिकेशन के लिए नए गाइडलाइन-

नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत दिए जाने वाले लोन में गारंटी नहीं होती है, इसलिए जोखिम जांच और मूल्यांकन की प्रक्रिया इस योजना की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। बैंकों को सुरक्षित रखने के लिए, आयोग ने लोन पात्रता और बैकग्राउंड वेरिफिकेशन के लिए गाइडलाइन की एक सूची तैयार करने का सुझाव दिया है। चूंकि अधिकांश लाभार्थी छोटे उद्यमी होते हैं जिनके पास सीमित दस्तावेज होते हैं, बैंकों के लिए सत्यापन जांच करना मुश्किल हो जाता है और इसके लिए अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता होती है।

आयोग के अन्य सुझाव-

नीति आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि विभिन्न बैंकों के संचालन और प्रदर्शन के आधार पर उन्हें उचित रिवार्ड सिस्टम प्रदान किया जाए। साथ ही, लाभार्थी डेटा के रियल टाइम अपलोड को सक्षम करने वाला एक पोर्टल विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, जिससे डेटा संग्रह की प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके।

PMMY की 2015 में हुई थी शुरुआत-

PMMY की शुरुआत 2015 में हुई थी और तब से लेकर अब तक इस योजना के तहत 34.93 करोड़ खातों को 18.39 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया जा चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, महामारी से पहले की तुलना में, MSME क्षेत्र में ऋण वितरण दोगुना हो गया है, जो उद्योग में बढ़ती ऋण मांग का संकेत है। हालांकि, वित्त वर्ष 2017 से एनपीए अकाउंट्स की संख्या और उनकी राशि में क्रमशः 22.51 प्रतिशत और 36.61 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ोतरी हो रही है।

MSME क्षेत्र की भूमिका-

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र देश के कुल विनिर्माण उत्पादन के सकल मूल्य में लगभग 33 प्रतिशत का योगदान देता है और निर्यात में 40 प्रतिशत से अधिक का हिस्सा है। इसके साथ ही यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 28 प्रतिशत से अधिक का योगदान करता है और लगभग 11.10 करोड़ लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करता है।

नीति आयोग द्वारा सुझाई गई गाइडलाइन-

नीति आयोग द्वारा सुझाई गई गाइडलाइन की यह पहल PMMY के तहत लोन वितरण की प्रक्रिया को अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। इससे न केवल बैंकों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि लोन लेने वालों की पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी।

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