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सीएम धामी ने सदन में पेश किया UCC बिल, ओवैसी बोले- यह मुसलमानों के खिलाफ साजिश

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(Special Story) उत्तराखंड विधानसभा में आज मंगलवार के दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बहुप्रतिक्षित समान नागरिक संहिता कानून यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का ड्राफ्ट पेश किया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जैसे ही विधानसभा में UCC बिल को टेबल किया, बीजेपी के विधायकों ने जय श्री राम और भारत माता की जय के नारे लगाने शुरू कर दिए। इसके बाद  दोपहर 2 बजे तक के लिए विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया है। बिल पर चर्चा शुरू होने के बाद विधायक अपना-अपना पक्ष रखेंगे। सीएम धामी ने कहा कि आज उत्तराखंड विधानसभा के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। उत्तराखंड विधानसभा देश की पहली विधानसभा बन गई है, जहां समान नागरिक संहिता विधेयक पर चर्चा हो रही है। धामी ने कहा कि इस बिल में सभी धर्मों और सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। यदि यह बिल सदन से पास हो जाता है तो उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। 

बिल पेश करने से पहले बोले सीएम धामी-

बिल पेश करने से पहले मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जिस वक्त का लंबे समय से इंतजार था, वो पल आ गया है। न केवल प्रदेश की सवा करोड़ जनता बल्कि पूरे देश की निगाहें उत्तराखंड की ओर बनी हुई हैं। यह कानून महिला उत्थान को मजबूत करने का कदम है जिसमें हर समुदाय, हर वर्ग, हर धर्म के बारे में विचार किया गया है। इसके लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने अन्य राजनीतिक दलों के सदस्यों से सदन में सकारात्मक तरीके से विधेयक पर चर्चा करने का अनुरोध भी किया। धामी ने कहा कि सकारात्मक ढंग से चर्चा में भाग लें, मातृ शक्ति के उत्थान के लिए, राज्य के अंदर रहने वाले हर पंथ, हर समुदाय, हर धर्म के लोगों के लिए इसमें भाग लें। 

सीएम धामी के यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का ड्राफ्ट पेश करने के बाद नेताओं की प्रतिक्रिया आने लगी है। विपक्षी नेता जहां बिल में खामियां निकाल रहे हैं वहीं सत्ता पक्ष के नेता इसकी खूबियां गिनाने में लगे हैं। 

बिल पर क्या बोले हरीश रावत -

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस समेत विपक्ष को बिल की कॉपी ही नहीं दी गई है। बिल की कॉपी न होने की स्थिति में इस पर चर्चा करना संभव नहीं है। हरीश रावत ने बिल को लेकर कहा कि धामी भाजपा नेताओं को खुश करने के लिए इसे लेकर आए हैं। 

ओवैसी ने बताया मुसलमानों के खिलाफ साजिश-

उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए UCC बिल को AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों के खिलाफ साजिश करारा दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नए बिल के जरिए मुसलमानों को उनके मजहब से दूर करने की साजिश की जा रही है। ओवैसी ने कहा कि जब जनजातियों को इस बिल से बाहर रखा गया है तब यह यूनिफॉर्म सिविल कोड कैसे हो सकता है।

कांग्रेस बिल के खिलाफ नहीं-

उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि कांग्रेस विधानसभा में पेश किए गए समान नागरिक संहिता विधेयक के खिलाफ नहीं है। सदन नियमों से चलता है, लेकिन बीजेपी लगातार इसकी अनदेखी कर रही है और संख्या बल के आधार पर विधायकों की आवाज को दबाना चाहती है। आर्य ने कहा कि अपनी बात रखना विधायकों का अधिकार है। 

चार खंडों में 740 पृष्ठों का मसौदा-

प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को UCC मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में छह फरवरी यानि आज के दिन सदन के पटल पर रखे जाने को मंजूरी दी थी। चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था।

 बीजेपी ने जनता से किया था वादा-

आपको बात दें कि वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में UCC पर अधिनियम बनाकर उसे प्रदेश में लागू करना भी शामिल था। वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड राज्य में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने का इतिहास रचने के बाद बीजेपी ने मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही UCC का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दी थी।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने किया बिल का समर्थन-

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी मराराज ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि यह उत्तराखंड के लिए सौभाग्य की बात है कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने जा रहा है। उन्होंने कहा इसके लिए हम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त करते हैं। रवींद्र पुरी महाराज ने कहा है कि यह बिल सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोगों को एक सूत्र में बांधेगा और सभी के लिए एक कानून होगा। 

मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने क्या कहा-

उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए UCC बिल पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा है कि यदि आप किसी समुदाय को इस UCC से छूट देते हैं तो इसे एक समान संहिता कैसे कहा जा सकता है। ऐसे किसी समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं थी। हमारी टीम मसौदों को देख रही है। उसके बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है आसान शब्दों में जानें-

ज्यादातर किसी भी देश में दो तरह के कानून होते हैं। एक क्रिमिनल कानून और दूसरे सिविल कानून। क्रिमिनल कानून में चोरी, लूट, डकैती, मार-पीट, हत्या जैसे आपराधिक मामलों की सुनवाई की जाती है। इसमें सभी धर्मों या समुदायों के लिए एक ही तरह की कोर्ट प्रोसेस और सजा का होता है। दूसरे सिविल कानून में शादी-ब्याह औट संपत्ति से जुड़ा मामला सिविल कानून के अंदर आते हैं। भारत में अलग-अलग धर्मों में शादी, परिवार और संपत्ति से जुड़े मामलों में रीति-रिवाज, संस्कृति और परंपराओं का खास महत्व है। यही वजह है कि इस तरह के कानूनों को पसर्नल लॉ भी कहते हैं। जैसे- मुस्लिमों में शादी और संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के जरिए होता है। वहीं, हिंदुओं की शादी हिंदू मैरिज एक्ट के जरिए होती है। इसी तरह ईसाई और सिखों के लिए भी अलग पर्सनल लॉ हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए पर्सनल लॉ को खत्म करके सभी के लिए एक जैसा कानून बनाए जाने की मांग की जा रही है। यानि भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए निजी मामलों में भी एक समान कानून होगा, चाहे वह किसी भी धर्म या  जाति का क्यों न हो। जैसे-पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम पुरुष 4 शादियां कर सकते हैं। लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करना अपराध है। इनके लिए एक कानून बन जाएगा, जिसे सभी धर्म के लोगों को मानना होगा।

उत्तराखंड UCC बिल की बड़ी बातें-

  • लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
  • विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नही मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
  • पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
  • पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी।
  • उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है।
  • नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा।
  • मेंटेनेंस- अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर।
  • एडॉप्शन-सभी को मिलेगा Adoption का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
  • हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
  • लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मेट होगा।
  • गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
  • पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।

 

 

 

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