राजनीतिक विशेषज्ञों ने सरकारों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा है – संघीय सरकार और एकात्मक सरकार। यह विभाजन इस आधार पर होता है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच सत्ता और अधिकारों का वितरण कैसा है। अब सवाल उठता है कि संघीय और एकात्मक सरकार क्या होती है? चलिए, इसे आसान शब्दों में समझते हैं।
संघीय सरकार क्या होती है?
संघीय सरकार वह प्रणाली है जिसमें सत्ता दो हिस्सों में बंटी होती है – एक केंद्र सरकार और दूसरी राज्य या प्रांत सरकार। इसका मतलब है कि केंद्र और राज्यों के पास अपने-अपने अधिकार होते हैं, और वे अपने कार्यक्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं। दोनों स्तरों के अधिकार संविधान द्वारा निर्धारित होते हैं।
उदाहरण: अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, रूस, और ब्राजील जैसे देशों में संघीय सरकारें हैं, जहाँ केंद्र और राज्यों की सरकारें अपने अधिकारों के अनुसार कार्य करती हैं।
एकात्मक सरकार क्या होती है?
दूसरी तरफ, एकात्मक सरकार वह होती है जहां सभी अधिकार केंद्र सरकार के पास होते हैं। यदि राज्य सरकारें मौजूद भी हों, तो उन्हें अपने अधिकार केंद्र से ही मिलते हैं। यहाँ केंद्र सरकार का फैसला पूरे देश में समान रूप से लागू होता है।
उदाहरण: ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, और जापान जैसे देशों में एकात्मक सरकार का मॉडल देखा जा सकता है।
संघीय और एकात्मक सरकार की विशेषताएं-
संघीय सरकार में दो स्तर की सरकारें होती हैं – केंद्र और राज्यों की। जबकि एकात्मक सरकार में सिर्फ केंद्र सरकार होती है, जो ज़रूरत पड़ने पर क्षेत्रीय सरकारें बना सकती है। संघीय सरकारों में संविधान लिखित होता है, जबकि एकात्मक सरकार में यह लिखित या अलिखित हो सकता है, जैसे ब्रिटेन में। संघीय सरकार में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का विभाजन स्पष्ट होता है, जबकि एकात्मक सरकार में सारी शक्तियां केंद्र के पास होती हैं। संघीय ढांचे में संविधान की सर्वोच्चता होती है, और इसे बदलना कठिन होता है। इसके विपरीत, एकात्मक संविधान अधिक लचीला हो सकता है।
संघीय सरकार के दो प्रकार-
संघीय ढांचे के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:
- अमेरिकी मॉडल: जहां कमजोर राज्यों ने मिलकर एक मजबूत संघीय ढांचा बनाया।
- कनाडाई मॉडल: जहां पहले से एकात्मक रूप में मौजूद देश खुद को संघीय राज्यों में विभाजित करता है।
भारत का संघीय ढांचा
अब बात करते हैं भारत की। भारत का संविधान संघीय ढांचे पर आधारित है, जहां केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन है। हमारे संविधान के अनुच्छेद 1 में भारत को 'राज्यों का संघ' कहा गया है, लेकिन डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने इसे 'यूनियन ऑफ स्टेट्स' कहा था, जिससे स्पष्ट होता है कि भारतीय राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है।
भारत का संघीय ढांचा और कनाडाई मॉडल-
भारत का संघीय ढांचा कनाडा के मॉडल पर आधारित है। इसमें केंद्र सरकार के पास अधिक शक्तियां होती हैं, जो इस ढांचे को केंद्र की ओर झुकाव वाला बनाती हैं।
संविधान में संघीय विशेषताएं-
भारत के संविधान में कई संघीय विशेषताएं शामिल हैं, जैसे:
- द्विस्तरीय शासन: केंद्र और राज्य अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं।
- लिखित संविधान: संविधान में केंद्र और राज्यों के अधिकार स्पष्ट रूप से वर्णित हैं।
- शक्तियों का विभाजन: संघ सूची, राज्य सूची, और समवर्ती सूची के माध्यम से अधिकारों का स्पष्ट विभाजन होता है।
- संविधान की सर्वोच्चता: भारत में संविधान सर्वोच्च है।
- स्वतंत्र न्यायपालिका: न्यायपालिका केंद्र और राज्यों के विवादों को सुलझाने में स्वतंत्र है।
- द्विसदनीय व्यवस्था: संसद में लोकसभा और राज्यसभा, दोनों मौजूद हैं।
संविधान में एकात्मक विशेषताएं
संघीय विशेषताओं के बावजूद, भारतीय संविधान में कुछ एकात्मक विशेषताएं भी हैं:
- मजबूत केंद्र: केंद्र के पास ज्यादा शक्तियां होती हैं और आपातकाल में राज्य सरकारों पर पूर्ण अधिकार होता है।
- राज्यों की सीमाओं का निर्धारण: संसद को राज्यों की सीमाओं में बदलाव करने का अधिकार है।
- एकल नागरिकता: भारत में सभी नागरिक भारतीय नागरिक होते हैं।
- समेकित न्याय व्यवस्था: केंद्र और राज्य की न्याय व्यवस्था एक ही ढांचे के तहत संचालित होती है।
- आल इंडिया सर्विसेज: IAS और IPS जैसी सेवाएं संघीय ढांचे के बावजूद केंद्र द्वारा नियंत्रित होती हैं।
दोनो विशेषताओं का मिश्रण है भारत का संविधान-
भारत का संविधान संघीय और एकात्मक विशेषताओं का मिश्रण है, जो इसे दुनिया में अद्वितीय बनाता है। संविधान निर्माताओं ने इसे बड़ी समझदारी से तैयार किया ताकि राष्ट्रीय एकता और राज्यों की स्वायत्तता के बीच संतुलन बना रहे। इसी कारण से भारत में राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं दिया गया है।