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सोशल मीडिया पर लंबे समय तक अनवरत स्क्रॉलिंग करते रहने की आदत को ही ‘ब्रेन रोट’ (brain rot) कहा जाता है। यह शब्द पिछले एक साल में इतना प्रचलित हो गया है कि ऑक्सफोर्ड ने इसे 2024 का वर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस शब्द का उपयोग बीते एक साल में 230% तक बढ़ गया है।
क्या आप भी हैं ‘ब्रेन रोट’ के शिकार?
अगर आप सुबह उठते ही फोन चेक करना शुरू कर देते हैं और फिर रील्स या शॉर्ट्स स्क्रॉल करते हुए आधे घंटे तक बिस्तर पर पड़े रहते हैं, तो यह आपके लिए चेतावनी है। आप कहीं भी बैठे या खड़े हों, लेकिन आपका हाथ अपने आप फोन की ओर जाता है। रील्स और शॉर्ट्स पर अनजाने में समय बर्बाद करने की यह आदत मानसिक थकावट और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को कमजोर कर सकती है।
सोशल मीडिया एल्गोरिद्म का खेल-
सोशल मीडिया एप्लिकेशन के एल्गोरिद्म इस समस्या के मूल में हैं। जब आप किसी वीडियो पर सामान्य से अधिक समय बिताते हैं, तो एल्गोरिद्म इसे आपकी पसंद मानकर उसी तरह का कंटेंट आपकी स्क्रीन पर दिखाने लगता है।
ब्रेन रोट: मानसिक सड़न का प्रतीक-
‘ब्रेन रोट’ शब्द उस स्थिति को दर्शाता है, जिसमें हम लो-क्वालिटी और रिपिटेटिव कंटेंट का उपभोग करते हैं, बिना यह सोचे कि वह हमारे लिए फायदेमंद है या नहीं। यह आदत न केवल मानसिक थकावट का कारण बनती है, बल्कि हमारे समय और ऊर्जा की बर्बादी का भी प्रमुख कारण बनती है।
इतिहास में ब्रेन रोट का जिक्र-
‘ब्रेन रोट’ शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1854 में हेनरी डेविड थॉरो की प्रसिद्ध पुस्तक Walden में किया गया था। उन्होंने इस शब्द का उपयोग समाज की सतही मानसिकता पर कटाक्ष करते हुए किया था।
कैसे बचें ‘ब्रेन रोट’ से?
ब्रेन रोट: एक चेतावनी-
‘ब्रेन रोट’ सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि हमारी डिजिटल आदतों पर एक चेतावनी है। यह समय है कि हम सोशल मीडिया के उपयोग को संतुलित करें और अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। क्या आप इसके लिए तैयार हैं?
Baten UP Ki Desk
Published : 3 December, 2024, 1:02 pm
Author Info : Baten UP Ki