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चौधरी चरण सिंह समेत 4 शख्सियतों को भारत रत्न, यूपी से कितनी विभूतियों को मिला ये सम्मान?

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(Special Story) देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति भवन में 4 शख्सियतों को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और कृषि वैज्ञानिक डॉ एमएस स्वामीनाथन शामिल हैं। इन सभी को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया है। आइए विस्तार से जानते हैं क्या होता है देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न और इसमें क्या दिया जाता है, कैसे होता है चयन, यूपी से अब तक कितने लोगों को दिया गया है ये सम्मान....

आडवाणी को 31 मार्च को किया जाएगा सम्मानित- 

राष्ट्रपति भवन में आयोजित आज के कार्यक्रम में चारों शख्सियतों के परिजनों ने यह सम्मान ग्रहण किया। नरसिम्हा राव के बेटे पीवी प्रभाकर राव, चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी, कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर और एमएस स्वामीनाथन की बेटी नित्या राव ने राष्ट्रपति के हाथों से यह सम्मान ग्रहण किया। आपको बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को यह सम्मान 31 मार्च को दिया जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को आडवाणी के घर जाकर उन्हें सम्मानित करेंगी।  आडवाणी के घर PM मोदी, गृह मंत्री शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा मौजूद रहेंगे। तबीयत खराब होने के कारण आडवाणी आज सम्मान ग्रहण करने नहीं आ सके। 
जिन शख्सियतों को भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया आइए उनके बारे में संक्षेप में जानते हैं....

1-पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव-

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव आठ बार चुनाव जीते। उन्हें राजनीति का चाणक्य कहा जाता था। कांग्रेस पार्टी में 50 साल बीताने के बाद वह देश के प्रधानमंत्री बने। राव करीबन 10 अलग-अलग भाषाओं में बात कर सकते थे। इतना ही नहीं वह अनुवाद में भी उस्ताद माने जाते थे। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में पूर्व पीएम नरसिंह राव के बेटे पीवी प्रभाकर राव भारत रत्न सम्मान ग्रहण किया। 

2-पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह-

मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में जन्में चौधरी चरण सिंह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री थे। उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक की एवं 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की थी। साल 1929 में मेरठ वापस आने के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए। 1930 में गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए और हिंडन नदी में नमक बनाया। 3 अप्रैल 1967 से 17 अप्रैल 1968 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। दोबारा 17 फरवरी 1970 में मुख्यमंत्री बने। 1979 में वित्त मंत्री और उप-प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की। उन्होंने जनता दल की स्थापना की। इसी जनता दल से बाद में बीजू जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), जनता दल (सेक्युलर) और उनके बेटे अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल बने। 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक वे देश के प्रधानमंत्री रहे। हालांकि, इस दौरान वे कभी भी संसद नहीं गए। चौधरी चरण सिंह अच्छे राइटर थे और अंग्रेजी पर उनकी अच्छी पकड़ थी। उन्होंने 'एबॉलिशन ऑफ जमींदारी', 'लीजेंड प्रोपराइटरशिप' और 'इंडियाज पॉवर्टी एंड इट्स सॉल्यूशंस' किताबें भी लिखीं। 29 मई 1987 को उनका निधन हो गया।

3-कर्पूरी ठाकुर -

कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में हुआ था।1940 में मैट्रिक (10वीं) परीक्षा पास की। उस साल तक उनके अलावा पितौंझिया गांव में सिर्फ 5 लोग मैट्रिक पास थे। दरभंगा के सीएम कॉलेज में एडमिशन लिया। छात्र जीवन में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन में शामिल हुए। भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के लिए कॉलेज छोड़ दिया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 26 महीने जेल में बिताए।1946 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की सदस्यता ली। 1947 में राम मनोहर लोहिया ने उन्हें अखिल भारतीय हिंद- किसान पंचायत का राज्य सचिव बनाया।1948-52 में सोशलिस्ट पार्टी के बिहार सचिव बने।1952 में ताजपुर विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने।5 मार्च 1967 से 28 जनवरी 1968 तक बिहार के शिक्षा मंत्री रहे।ठाकुर हिंदी भाषा के समर्थक थे। बतौर शिक्षा मंत्री उन्होंने मैट्रिक के सिलेबस से अंग्रेजी विषय हटा दिया था। दिसंबर 1970 में बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।

4-एमएस स्वामीगाथन-

एमएस स्वामीगाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंबकोणम में हुआ था। स्वामीनाथन आनुवांशिक वैज्ञानिक थे, जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। हरित क्रांति कार्यक्रम के तहत ज्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज खेतों में लगाए गए थे। इस क्रांति ने भारत को दुनिया में खाद्यान्न की कमी वाले देश से उबारकर आत्मनिर्भर बना दिया था। उन्हें 1971 में सामुदायिक नेतृत्व के लिए मैग्सेसे पुरस्कार, 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंस पुरस्कार, 1987 में पहला विश्व खाद्य पुरस्कार और 1989 में यूनेस्को गांधी स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। 28 सितंबर 2023 को उनका निधन हो गया।

5-लालकृष्ण आडवाणी-

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को सिंध प्रांत (पाकिस्तान) में हुआ था। जब भारत का विभाजन नहीं हुआ था। उन्होंने कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल से पढ़ाई की है। 1942 में आडवाणी ने भारत छोडो आंदोलन के दौरान गिडूमल नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया था। इसके बाद उन्होंने 1944 में कराची के मॉडल हाई स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी की थी। आडवाणी जब महज 14 साल के थे, उन्होंने अपना जीवन देश के नाम कर दिया था। 1947 में देश का बंटवारा होने के बाद आडवाणी के परिवार को अपना घर छोड़कर भारत आना पड़ा। उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से लॉ में स्नातक किया। इस दौरान वह संघ से भी जुड़े रहे। किशन चंद आडवाणी के घर जन्मे लालकृष्ण आडवाणी ने 25 फरवरी 1965 को कमला आडवाणी से शादी की। आपको  बता दें कि उनके दो बच्चें हैं, जिनका नाम प्रतिभा और जयंत हैं।

आडवाणी का राजनैतिक सफर- 

लालकृष्ण आडवाणी के राजनीतिक करियर की बात की जाए तो इसकी शुरुआत 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि (RSS) के वालंटियर के तौर पर हुई थी। आडवाणी 1970 से 1972 तक जनसंघ की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष रहे हैं। 1973 से 1977 तक वे जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। 1970 से 1989 तक वे चार बार राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। इस बीच 1977 में वे जनता पार्टी के महासचिव भी रहे हैं। 1977 से 1979 तक वे केंद्र में मोरारजी देसाई की अगुआई में बनी जनता पार्टी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी रहे हैं। आडवाणी 1986-91 और 1993-98 और 2004-05 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। 1989 में वे 9वीं लोकसभा के लिए दिल्ली से सांसद चुने गए थे। 1989-91 तक वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में आडवाणी गांधीनगर से लोकसभा सांसद चुने गए थे। 1998 से लेकर 2004 तक एनडीए सरकार में गृह मंत्री रहे। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2002 से 2005 तक उप प्रधानमंत्री भी रहे हैं। वर्तमान समय में वो बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में हैं।

अब तक इतनी हस्तियों को मिल चुका है भारत रत्न-

देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न की शुरुआत साल 1954 में नेहरू सरकार में हुई थी। पहली बार यह सम्मान एक साथ तीन हस्तियों को दिया गया था। पहली बार सी राजगोपालाचारी (1954), डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1954), सी.वी. रमन (1954) को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। अब तक देश की 53 हस्तियों को इस सम्मान से नवाजा जा चुका है। 

यूपी की इन विभूतियों को मिल चुका है भारत रत्न-

यूपी से अब तक 12 विभूतियों को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। इन विभूतियों के नाम हैं। 1-महामना मदन मोहन मालवीय, 2-अटल बिहारी वाजपेयी, 3-प्रो. सीएन आर राव, 4-बिस्मिल्लाह खान, 5-पंडित रवि शंकर, 6-राजीव गांधी, 7- इंदिरा गांधी, 8- जवाहर लाल नेहरू, 9- पुरुषोत्तम दास टंडन, 10- गोविंद वल्लभ पंत, 11-डॉ. सर्व पल्ली राधा कृष्णन, 12-डॉ. भगवान दास इस सम्मान को पा चुके हैं।

मोदी सरकार के कार्यकाल में दिए गए भारत रत्न-

साल 2014 से 2024 तक मोदी सरकार में भारत की कई बड़ी हस्तियों को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया है। जिसका ब्यौरा इस प्रकार है-

 1-मदन मोहन मालवीय को वर्ष (2015)
  
 2-अटल बिहारी बाजपेई को वर्ष ( 2015)
   
 3-पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को वर्ष (2019)
   
 4-नानाजी देशमुख को वर्ष (2019)
 
 5-भूपेन हजारिका को वर्ष ( 2019)
 
 6-चौधरी चरण सिंह को वर्ष ( 2024)
  
 7-पीवी नरसिम्हा राव को वर्ष ( 2024)

 8-कर्पूरी ठाकुर को वर्ष   (2024)
 
 9 -लाल कृष्ण आडवाणी को वर्ष (2024)

 10-एमएस स्वामीनाथन को वर्ष (2024)

क्या होता है भारत रत्न सम्मान-

भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो किसी भी क्षेत्र में असाधारण और सर्वोच्च सेवा देने वाले व्यक्ति को दिया जाता है। यह पुरस्कार जाति, व्यवसाय, स्थिति या जेंडर को देखे बिना, उल्लेखनीय कार्य के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार को देने के लिए ऐसे व्यक्ति विशेष का चयन किया जाता है जिसने किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा प्रदान की हो। भारत रत्न पुरस्कार की इसकी शुरुआत 2 जनवरी 1954 में देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी। यह सम्मान एक साल में अधिकतम 3 लोगों को ही दिया जाता था। लेकिन इस बार यह सम्मान 5 विभूतियों को प्रदान किया गया है। अभी तक यह पुरस्कार 53 लोगों को दिया जा चुका है। राज्यवार विवरण की बात की जाए तो देश में केवल 12 राज्य ही ऐसे हैं जिन्हें भारत रत्न पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। जबकि देश में वर्तमान में 28 राज्य और आठ केंद्र शासित प्रदेश हैं। यानि अधिकांश राज्यों को अभी तक यह सम्मान नहीं मिल सका है।

भारत रत्न पुरस्कार में क्या दिया जाता है- 

आपको बता दें कि इसमें पुरस्‍कार के रूप में दिए जाने वाले सम्‍मान में 35 मिलिमीटर व्‍यास वाला एक गोलाकार स्‍वर्ण पदक शामिल होता है। इस स्‍वर्ण पदक पर सूर्य और ऊपर हिन्‍दी भाषा में ''भारत रत्‍न'' लिखा होता है। स्‍वर्ण पदक के पीछे शासकीय संकेत और आदर्श-वाक्‍य लिखा होता है। इस पुरस्कार के तहत प्राप्तकर्ता को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाण पत्र और एक पदक मिलता है। स्‍वर्ण पदक पाने वाले व्यक्ति को कोई धनराशि नही दी जाती है।

भारत रत्न पाने वाले को मिलती है ये छूट-

भारत रत्न प्राप्त करने वाले व्यक्ति को कैबिनेट मंत्री के बराबर वीआईपी का दर्जा मिलता है। भारत रत्न पाने वाले को आयकर से छूट भी मिलती है। साथ ही वह संसद की बैठकों और सत्र में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में विशेष अतिथि के तौर पर भी भाग ले सकते हैं। इन्हें हवाई जहाज, ट्रेन और बस में निशुल्क यात्रा की सुविधा मिलती है और यदि किसी राज्य में घूमने जाए तो उन्हें राज्य अतिथि का सम्मान प्राप्त होता है। संविधान के अनुच्छेद 18 (1) के अनुसार पुरस्कार प्राप्त करने वाले अपने नाम के उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में ‘भारत रत्न’ का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। हालांकि वे अपने बॉयोडाटा, विजिटिंग कार्ड, लेटर हेड आदि में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भारत रत्न या भारत रत्न पुरस्कार प्राप्तकर्ता जोड़ सकते हैं। जिन्हें भारत रत्न मिलता है उन्हें सरकार वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस में जगह देती है। वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिए होता है। 7 राज्य सरकारें भारत रत्न प्राप्त हस्तियों को अपने राज्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं।

कैसे होता है चयन-

भारत के प्रधानमंत्री भारत रत्न पुरस्कार के लिए किसी व्यक्ति के नाम की सिफारिश राष्ट्रपति को करते हैं। भारत रत्न के लिए किसी औपचारिक सिफारिश की जरूरत नहीं होती कोई भी व्यक्ति जाति, पेशा, पद या लिंग के आधार पर अंतर किए बिना इस पुरस्कार के लिए योग्य माना जा सकता है। 

 

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