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रंगो का त्योहार होली के दिन हर कोई एक दूसरे को रंग, गुलाल जरूर लगाता है। आगे शुरुआत करने से पहले आप मेरे कुछ सवालों पर गौर करिए जैसे कि, क्या पिछले साल होली खेलने के बाद आपको सिर में भारीपन महसूस हुआ था या भूख ज्यादा लगी थी और शाम होते होते आपको नींद भी काफी तेज आने लगी होगी ? तो आप में से अधिकतर लोगों का जवाब शायद हां होगा। क्योंकि यह अमूमन सभी लोगों को ऐसा महसूस होता है। लेकिन ऐसा होता क्यों है? क्या यह होली खेलने के बाद हुई थकावट की वजह से है यह फिर कुछ और इन्ही सब सवालों के जवाब आज हम विस्तार से जानेंगे।
सिर में भारीपन होना -
होली में लोग रंगो का खूब इस्तेमाल करते है। अक्सर बिना इस बात का ध्यान दिए की कहीं सामने वाले को रंग से कोई दिक्कत तो नहीं । लेकिन कई लोगो के लिए यही रंग होली को बेरंग करने का भी काम कर सकता है। दरअसल होली में इस्तेमाल होने वाले इन आकर्षक रंगो के कुछ नुक्सान भी हैं। दरअसल इन रंगों में अधिक मात्रा में केमिकल्स पाए जाते हैं। इन केमिकल्स में लेड, मरकरी और कैडमियम जैसे हेवी मेटल शामिल होते हैं, जो शरीर के बाहरी और भीतरी हिस्से को नुकसान पहुंचाते हैं। रंग खेलने के दौरान मुंह, नाक, कान और त्वचा के रोम छिद्रों के जरिए इन मेटल्स के कण शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और इन्ही केमिकल्स की वजह से सिर में भारीपन महसूस होता है, भूख ज्यादा लगती है और नींद अधिक आने लगती है।
आंखों में हो सकता है इंफेक्शन-
सिर्फ इतना ही नहीं होली के रंग स्किन को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं साथ ही ये पर्यावरण में मौजूद बाकि जीव-जंतुओं के लिए भी काफी नुकसानदायक होते हैं।बाजार में कई तरह के केमिकल युक्त रंग मिलते हैं जिन्हें अक्सर लोग नेचुरल रंग बोलकर बेच देते हैं। लोग नेचुरल समझकर इन्हें खरीद तो लेते हैं लेकिन बाद में उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ जाता है। जिस काले रंग को अधिकतर लोग होली में इस्तेमाल करना पसंद करते हैं उसे बनाने में अधिकतर लेड ऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है। जो आपके गुर्दे पर असर डालता है। हरे गुलाल में खासकर कॉपर सल्फेट मिलाया जाता है। जिससे आपकी आंखों में एलर्जी, जलन और सूजन की समस्या हो सकती है। चमकीले रंग के गुलाल में एल्युमिनियम ब्रोमाइड का इस्तेमाल होता है। जो आपके शरीर में कैंसर को उत्पन्न कर सकता है। इस तरह के रंगो के इस्तेमाल से आपको स्किन एलर्जी, ड्राईनेस और खुजली की समस्या हो सकती है। होली खेलते वक्त अधिकतर लोग बेपरवाह हो जाते हैं और मौज मस्ती में कई बार रंग उनके आंख, नाक और मुंह में भी चला जाता है। आंखों में ये रंग चला जाए तो आपको इंफेक्शन, इचिंग की समस्या हो सकती है।
कैसे खेलें सावधानी के साथ होली?
कुछ तरिके है जिनसे आप इन रंगो के नुकसान से बच सकतें हैं और होली एन्जॉय कर सकतें है। अगर आप सांस संबंधी किसी भी समस्या से जूझ रहे हैं तो होली खेलने के दैरान मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। होली में मौज मस्ती करते समय पूरी बाजू के कपड़े ही पहने और चश्में का उपयोग करें। सम्भव हो तो केमिकल्स और चमकीले रंगो का इस्तेमाल ना करें। इनकी जगह आप नेचुरल रंगों का इस्तेमाल कर सकतें हैं। हर्बल और ऑर्गेनिक रंगों की होली इको-फ्रेंडली होती है। यह सेहत और स्किन के लिए अच्छे होने के साथ-साथ प्रकृति के लिए भी अच्छे होते है।
Baten UP Ki Desk
Published : 24 March, 2024, 10:00 am
Author Info : Baten UP Ki