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वायु सेना का पहला स्वदेशी फाइटर तेजस क्रैश, जानिए तेजस की पूरी कहानी, किसने दिया था नाम

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(Special Story) भारतीय वायु सेना का एक तेजस हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) राजस्थान के जैसलमेर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हलांकि गनीमत रही कि विमान में सवार पायलट को सुरक्षित बचा लिया गया है। दुर्घटना के कारण का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया है। घटना जवाहर कॉलोनी की बताई जा रही है। भारत शक्ति युद्धाभ्यास के दौरान भील छात्रावास के पास विमान के क्रेश होने का वीडियो सामने आया है।  इस दुर्घटना की जानकारी भारतीय वायु सेना ने सोशल मीडिया x पर ट्वीट कर दी है। इस भारत शक्ति युद्धाभ्यास में पीएम मोदी भी शामिल थे। हलांकि दुर्घटना पीएम मोदी से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर जैसलमेर में हुई है। दुर्घटना के बाद से लोग यह जानने में जुटे हैं कि तेजस किस तरह का विमान है और यह कितना पॉवरफुल है। आइए आपको विस्तार से बताते हैं। 

कैसे हुआ हादसा-

सेना के अधिकारियों के मुताबिक पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में 'भारत शक्ति युद्धाभ्यास' में प्रैक्टिस के बाद तेजस दोबारा जैसलमेर के एयरफोर्स स्टेशन आ रहा था। जैसलमेर शहर से करीब 2 किलोमीटर दूर भील समाज के हॉस्टल पर विमान क्रैश हो गया। इस हॉस्टल से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर ही एयरफोर्स स्टेशन की हवाई पट्टी है। यहां लैंड होने से पहले ही तेजस फाइटर प्लेन क्रैश हो गया।

तेजस लड़ाकू विमान को जानिए-

यह एक स्वदेशी रूप से विकसित लड़ाकू विमान है। जिसको हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया गया है। यह विमान भारतीय वायु सेना में 2016 में शामिल किया गया था। यह विमान अपनी उन्नत तकनीक और क्षमताओं के लिए जाना जाता है।

तेजस का इतिहास- 

तेजस को इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में हल्के लड़ाकू विमान (LCA) को शामिल करने की तैयारी साल 1983 से शुरू हुई थी। 21 साल की मेहनत के बाद आखिरकार सफलता मिली। इसके बाद साल 2001 में स्वदेश में बने हल्के लड़ाकू विमान ने पहली बार उड़ान भरी। यह दिन वायुसेना के लिए सबसे यादगार दिन था, जहां उन्हें स्वदेशी लड़ाकू विमान को उड़ाने में सफलता मिली।

पूर्व पीएम अटल ने दिया था नाम-

साल 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने इस विमान का नामकरण किया था। इस हल्के लड़ाकू विमान को तेजस नाम दिया। भारतीय वायुसेना ने एक जुलाई, 2016 को पहली तेजस यूनिट का निर्माण किया। इसके बाद इस विमान को सेवा में शामिल किया था। तेजस को सबसे पहले वायुसेना के स्क्वाड्रन नंबर 45 ‘फ्लाइंग डैगर्स' ने शामिल किया था।

तेजस की खासियत-

तेजस की बनावट कार्बन फाइबर, टाइटेनियम और एलुमिनियम की है। इस वजह से कम वजन का होने के बावजूद यह विमान ज्यादा मजबूत है। तेजस में एक सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर भी दिया गया है, जो पूरी तरह से ऑटोमेटिक है। ये आसमान या जमीन से किए गए हमले से विमान को बचाता है।

बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल्स टेक्नोलॉजी की मदद से दुश्मन के ठिकाने को पहचानकर तबाह करने में सक्षम है। दूरी ज्यादा होने पर भी इसकी सटीकता में कमी नहीं आती है। 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ रहे तेजस में 20 हजार फीट की ऊंचाई पर भी ईंधन भरा जा सकता है। इसके साथ ही इसमें 6 तरह की मिसाइलें तैनात हो सकती हैं। लेजर गाइडेड बम, गाइडड बम और क्लस्टर हथियार भी लगाए जा सकते हैं। एयर टू एयर मिसाइल, ब्रह्मोस जैसी क्रूज मिसाइल ले जाने में सक्षम।

 

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