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जब गुरु नानक देव के सामने नतमस्‍तक हो गया था बाबर!

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व पर श्रद्धांजलि अर्पित की, गुरु नानक की शिक्षाओं को नमन किया, और बाबर के आक्रमणों के प्रति उनके साहसिक विरोध का स्मरण किया। इस अवसर पर गुरु नानक के मानवता को उजागर करने वाले संदेशों और उनके साहस के अनेक प्रेरक प्रसंगों पर चर्चा की गई।

गुरु नानक और बाबर का प्रतिरोध-

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुरु नानक जी ने समाज को अज्ञानता और अधर्म के अंधकार से उबारने के लिए प्रकाश पर्व के रूप में अपने विचारों का दीप जलाया। यह पर्व केवल एक जयंती नहीं बल्कि भारतीय समाज में उस महान आत्मा का स्मरण है, जिन्होंने बाबर जैसे आक्रमणकारी के अत्याचार का डटकर विरोध किया। गुरु नानक ने लोगों को सन्मार्ग का अनुसरण करने की प्रेरणा दी। उनके विचार अजेय थे, जिनके आगे बाबर जैसा शक्तिशाली आक्रांता भी नतमस्तक हो गया था।

गुरु नानक जयंती: प्रेम और ज्ञान का पर्व-

गुरु नानक देव जी की जयंती को प्रकाश पर्व या गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है। उनका जीवन ज्ञान और प्रेम का प्रतीक है। उन्होंने ईश्वर की एकता, प्रेम, और भाईचारे का संदेश दिया। इस दिन विशेष रूप से दीप जलाकर उनके द्वारा समाज में किए गए प्रकाश की याद ताजा की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व उसी महान आध्यात्मिक रोशनी का प्रतीक है, जिसे गुरु नानक ने अपने विचारों से जलाया।

गुरु नानक की रचनाओं में अत्याचार का वर्णन-

1526 में बाबर ने दिल्ली पर आक्रमण कर मुगल साम्राज्य की नींव रखी। इसी दौरान, गुरु नानक उस समय यात्रा पर थे और उन्होंने बाबर के हमलों के अत्याचार को न केवल देखा, बल्कि अपनी कविताओं में उसका उल्लेख भी किया। बाबरगाथा में गुरु नानक देव ने लिखा कि किस प्रकार आक्रमणकारियों ने हिंदुस्तान को दुख और पीड़ा की ज्वाला में झोंक दिया, स्त्रियों पर अत्याचार किए और निर्दोष नागरिकों को क़ैद कर उत्पीड़ित किया।

क़ैद के दौरान कीर्तन और बाबर का समर्पण

जब बाबर के सैनिकों ने गुरु नानक देव को क़ैद किया, तो उन्होंने कीर्तन बंद नहीं किया। उनकी शक्ति और मुखमंडल का तेज देखकर जेल के पहरेदार और बाबर स्वयं उनके आगे झुक गए। बाबर ने उनकी महानता को पहचानते हुए न केवल उन्हें रिहा किया, बल्कि उनसे क्षमा भी मांगी। इस पर गुरु नानक ने बाबर से कहा कि असली क्षमा तो उस ईश्वर से मांगनी चाहिए, जिसके बनाए संसार को उसने रौंद डाला था।

चार चरणों में गुरु नानक की शिक्षाएँ और बाबर की आलोचना-

गुरु नानक देव ने अपनी कविताओं के चार चरणों में बाबर के अत्याचारों का मार्मिक चित्रण किया। पहले चरण में उन्होंने महिलाओं पर किए गए अत्याचारों का वर्णन किया, दूसरे चरण में हिंदुस्तान को युद्ध की ज्वाला में झोंक देने की बाबर की क्रूरता को दिखाया, तीसरे चरण में राजघराने की महिलाओं की पीड़ा और अपमान को रेखांकित किया, और चौथे चरण में सर्वशक्तिमान ईश्वर की महिमा का गुणगान किया, जो इस संसार का असली मालिक है।

गुरु नानक के सिद्धांत और बाबर का पश्चाताप-

गुरु नानक ने बाबर को समझाया कि ताकत का सही उपयोग गरीबों और असहायों के दिल को जीतने में होता है, न कि उन्हें सताने में। बाबर को न केवल अपने आचरण पर शर्मिंदा होना पड़ा, बल्कि उसने प्रतिज्ञा की कि भविष्य में वह निर्दोषों को पीड़ा नहीं देगा। गुरु नानक का यह प्रसंग इस बात का प्रमाण है कि सच्चा साहस केवल शस्त्रों में नहीं बल्कि सत्य और दया में निहित है।

गुरु नानक की शिक्षाओं का महत्व और सिख परंपरा में योगदान-

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा सिख परंपरा और गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रों के बलिदान को सम्मान देने का प्रतीक है। सिख परंपरा की नींव गुरु नानक ने रखी और उनके साहसिक विचारों ने अन्य गुरुओं को भी प्रेरित किया।

गुरु नानक का प्रकाश पर्व – सत्य, दया, और प्रेम का संदेश

गुरु नानक देव का प्रकाश पर्व समाज में प्रेम, भाईचारे और सच्चाई का दीप जलाने का अवसर है। यह पर्व हमें उनकी शिक्षाओं का स्मरण कराता है कि हम सबको एक ईश्वर की संतान मानते हुए सभी के प्रति प्रेम, सद्भावना और समानता का व्यवहार करना चाहिए।

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