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भारत में डायबिटीज की तेजी से बढ़ती दर अब स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सरकार दोनों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2023 तक देश में 10.1 करोड़ से अधिक लोग मधुमेह (Diabetes) से पीड़ित थे, और यह संख्या 2050 तक और भी भयावह हो सकती है।
डायबिटीज के 80% मरीज मोटापे के शिकार
इस रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि डायबिटीज से जूझ रहे करीब 70-80% मरीज मोटापे (Obesity) की समस्या से भी ग्रस्त हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस प्रवृत्ति को समय रहते नहीं रोका गया, तो भारत में यह बीमारी महामारी का रूप ले सकती है।
डायबिटीज और मोटापा: दोहरी मार
विशेषज्ञों के अनुसार, मोटापा और डायबिटीज के बीच सीधा और गहरा संबंध है। खासकर पेट के आसपास जमा चर्बी शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति असंवेदनशील बना देती है, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं रह पाता। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनियाभर में टाइप-2 डायबिटीज के 70-80% मामले मोटापे से जुड़े होते हैं।
मोटापा सिर्फ शरीर पर बोझ नहीं
विशेषज्ञों ने चेताया कि मोटापा सिर्फ वजन बढ़ने की समस्या नहीं है, बल्कि यह शरीर के मेटाबॉलिक सिस्टम के असंतुलन का संकेत है। यही असंतुलन डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों की जड़ बनता है। मोटापे के कारण शरीर में इंसुलिन का असर कम हो जाता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर खतरनाक तरीके से बढ़ सकता है।
भारत में BMI की सीमा कम क्यों है?
जहां विश्व स्तर पर BMI (बॉडी मास इंडेक्स) 30 को मोटापे की सीमा माना जाता है, वहीं भारत में यह मानक सिर्फ 25 है, क्योंकि भारतीयों में शरीर में फैट जमा होने की प्रवृत्ति अधिक होती है।
BMI = वजन (किलोग्राम) ÷ ऊंचाई² (मीटर में)
बचाव ही इलाज है: अपनाएं 10-10-10 रूल
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि समय रहते जीवनशैली में बदलाव, खानपान में सुधार, और नियमित व्यायाम के ज़रिए डायबिटीज को रोका जा सकता है।
विशेषत: इन उपायों को अपनाने पर जोर दिया गया है:
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले आहार (जैसे दलिया, ब्राउन राइस, हरी सब्जियां)
शारीरिक सक्रियता और नियमित व्यायाम
तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद
तली-भुनी व मीठी चीजों से परहेज़
बच्चों में बचपन से ही हेल्दी आदतें विकसित करना
विशेष चेतावनी: युवा भी अब जोखिम में
ICMR के अनुसार, अब 20 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और किशोरों में भी टाइप-2 डायबिटीज के मामले सामने आने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि फास्ट फूड, गैजेट्स और निष्क्रिय जीवनशैली ने युवाओं को समय से पहले बीमार बना दिया है।
अभी सुधरें, नहीं तो भविष्य भुगतेगा
डायबिटीज की समस्या को केवल दवा से नहीं, बल्कि समय पर जागरूकता, टेस्टिंग और लाइफस्टाइल सुधार से ही रोका जा सकता है। मोटापा इस पूरे संकट का केंद्र है, जिस पर नियंत्रण करना आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गया है।
Baten UP Ki Desk
Published : 2 August, 2025, 6:31 pm
Author Info : Baten UP Ki