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इस बार कैसा होगा रामपुर का सियासी पारा? जानिए पूरा चुनावी गणित

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(Special Story)  देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश का अच्छा-खासा दखल है। आबादी  के लिहाज से सबसे बड़ा प्रदेश होने को कारण यहां लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं। लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बजने के बाद सभी दल पूरी तरह से एक्टिव मोड में हैं। और अपने-अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार रहे हैं। उत्तर प्रदेश में कुल सात चरणों में वोटिंग होगी  जबकि पहले चरण में 8 सीटों पर 19 अप्रेल को मतदान होगा। इन 8 सीटों में एक सीट है रामपुर जो  राजनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जाती है।  यहां के चुनावी परिणामों पर सभी की नजर रहती है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आजम खान की वजह से भी रामपुर की लोकसभा सीट बहुत चर्चा में रही है। इस सीट का इतिहास क्या रहा है? कैसा है रामपुर सीट का राजनीतिक ताना-बाना? जैसे तमाम सवालों पर आइए विस्तार से जानते हैं। 

उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है। क्योंकि इस सीट पर जहां बीजेपी ने अपने पुराने सांसद घनश्याम सिंह लोधी पर दांव लगाया है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने  इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को चुनावी मैदान में उतारा है। इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के सपा से टिकट मिलने पर रामपुर में सपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।

क्या है रामपुर सीट का राजनीतिक इतिहास?

अगर हम रामपुर संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इस सीट पर पहला चुनाव (1952) जीतने का श्रेय देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद को जाता है। मुस्लिम बाहुल्य सीट होने की वजह से यह सीट हमेशा चर्चा में रही है। ज्यादातर मौकों पर मुस्लिम उम्मीदवार ही चुनाव जीते हैं। अब तक हुए 17 चुनावों में 12 बार मुस्लिम उम्मीदवार ही विजयी हुए हैं।

 रामपुर लोकसभा सीट पर 5 चुनावों में ही हिंदू प्रत्याशियों के खाते में जीत गई है 1977 के चुनाव में पहली बार लोक दल के प्रत्याशी राजेंद्र कुमार शर्मा के रूप में हिंदू उम्मीदवार को जीत मिली थी फिर दूसरी बार राजेंद्र कुमार शर्मा को ही जीत मिली उन्हें बीजेपी के टिकट पर 1991 में जीत मिली थी। फिर 3 चुनाव में मिली हार के बाद 2004 में सपा की प्रत्याशी तब आजम खान की खास रहीं जयाप्रदा ने जीत हासिल की थीं। वह 2009 के चुनाव में भी विजयी रही थीं। हालांकि साल 2014 के चुनाव में देश में चले मोदी लहर में यह सीट बीजेपी के खाते में आ गई और डॉ. नेपाल सिंह विजयी हुए।

साल 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस यहां पर लगातार चुनाव जीतती रही थी। अब कांग्रेस की हालत खराब होती जा रही है। आपातकाल के बाद हुए चुनाव में 1977 में जनता दल के राजेंद्र कुमार शर्मा चुनाव जीते थे। 1980 में कांग्रेस ने रामपुर सीट पर फिर से जीत हासिल की।

नवाब खानदान से नाता रखने वाले जुल्फीकार अली खान उर्फ मिक्की मियां ने यहां से 5 बार चुनाव जीता। मिक्की मियां ने 1967 में पहली बार कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सांसद बने थे। 1971, 1980, 1984 और 1989 में भी वह विजयी रहे थे। 1996 और 1999 में कांग्रेस की प्रत्याशी बेगम नूर बानो को जीत मिली थी।

18 चुनाव में से 10 बार कांग्रेस जीती है। जबकि चार बार बीजेपी, तीन बार सपा और एक बार जनता पार्टी ने परचम फहराया है। 

क्या है रामपुर का जातीय समीकरण?

रामपुर लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण के लिहाज देखें तो यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की सबसे अधिक है. मुस्लिम वोटर्स के बाद लोधी वोटर्स आते हैं. यही वजह थी कि बीजेपी ने यहां उपचुनाव में लोधी (घनश्याम) को अपना प्रत्याशी बनाया था जिसका फायदा भी मिला और वो चुनाव जीत गए।  रामपुर लोकसभा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। यहां 60 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं तो 40 प्रतिशत सिर्फ हिंदू हैं।

इनमें सबसे अधिक लोधी करीब 2 लाख 50 हजार मतदाता हैं। जबकि करीब 40 हजार  कुर्मी, 60 हजार दलित और 70 हजार सैनी मतदाता हैं। इसके अलावा अन्य समाज भी हैं, जिनकी संख्या दस से बीस हजार के बीच है। इसी तरह मुस्लिम समाज में भी करीब 2 लाख पठान, अंसारी 1 लाख 50 हजार और 1 लाख 50 हजार तुर्क और अन्य बिरादरियां भी हैं।

रामपुर की क्या है पहचान ?

रामपुर जिला मुरादाबाद और बरेली के बीच में पड़ता है। रामपुर शहर चाकू उद्योग के लिए भी प्रसिद्ध है और यहां की रामपुरी चाकू की मांग हर जगह है। चाकू उद्योग के अलावा चीनी मिट्टी के बरतन के उद्योग भी रामपुर में खासे चर्चित हैं। रामपुर को पहले चीनी शोधन और कपास मिलिंग सहित अपने विभिन्न उद्योगों के लिए जाना जाता था।  यह अनाज और अन्य कृषि उत्पादों का व्यापार केंद्र है।
पतंग बनाना रामपुर में एक प्रसिद्ध और प्रमुख उद्योग है।

रामपुर लोकसभा पर आजम का वर्चस्व- 

2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर समाजवादी पार्टी के आजम खान विजयी हुए थे। आजम खान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के साझे उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे और उन्होंने 2 बार की सांसद रहीं फिल्म अत्रिनेत्री जयाप्रदा को हराया था। आजम को 559,177 वोट मिले तो बीजेपी की जयाप्रदा को 449,180 वोट मिले थे। उन्होंने 109,997 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल की थी। हालांकि आजम खान लंबे समय तक सांसद नहीं रह सके क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद यहां पर कराए गए उपचुनाव में बीजेपी के घनश्याम सिंह लोधी ने समाजवादी पार्टी से यह सीट झटक ली। घनश्याम सिंह ने 42,192 मतों के अंतर से सपा उम्मीदवार और आजम खान के खास कहे जाने वाले मोहम्मद असीम रजा को हराया था। 2019 के चुनाव में रामपुर सीट पर कुल 16,58,551 वोटर्स थे जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 8,94,331 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 7,64,121 थी। इसमें से कुल 10,60,921 (64.4%) वोट पड़े थे।

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