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बसपा सांसद ने किया कोर्ट में सरेंडर, कहा- मेरी जान को है खतरा

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लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से ही घोसी लोकसभा सीट से बसपा सांसद अतुल राय लगातार जेल में रहे। अब उन्होंने कोर्ट में सरेंडर करते हुए अपनी जान को खतरा बताया है और जेल भेजे जाने की गुहार लगाई। उन्होंने वाराणसी सेंट्रल जेल भेजे जाने की प्रार्थना की, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। इससे पहले, हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उन्हें मिली अंतरिम बेल को निरस्त करते हुए दस दिनों में समर्पण करने का निर्देश दिया था, जिसकी अवधि सोमवार को समाप्त हो रही थी।

न्यायिक अभिरक्षा में अतुल राय-

अतुल राय अपने अधिवक्ताओं के साथ प्रभारी विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अजय कुमार द्वितीय की अदालत में पेश हुए। उनके जमानतदार ताड़केश्वर ने अपनी निजी कार्यों के कारण जमानत से मुक्त होने की प्रार्थना की, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया और अतुल राय को न्यायिक अभिरक्षा में ले लिया।

अतुल राय ने बताया जान को खतरा-

अतुल राय ने अपने जीवन के खतरे और स्वास्थ्य कारणों के चलते वाराणसी सेंट्रल जेल में रखने की गुहार की। अदालत ने जिला कारागार अधीक्षक से आख्या मंगवाकर इसका अवलोकन किया और स्वास्थ्य कारणों व जीवन पर उत्पन्न खतरों को देखते हुए उन्हें वाराणसी केंद्रीय कारागार में रखने का आदेश दिया। यह सब उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ के आदेश के अनुपालन में हुआ, जिसमें दस दिनों में समर्पण करने का निर्देश था। अतुल राय ने इसी आदेश के तहत कोर्ट के समक्ष समर्पण किया। और कोर्ट के समक्ष समर्पण कर अपनी जान को खतरा बताया।

अंतरिम बेल की समाप्त हो रही थी अवधि-

घोसी सांसद को हजरतगंज में दर्ज मुकदमे में मिली अंतरिम बेल को उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने निरस्त कर दस दिनों में समर्पण करने का निर्देश दिया था, जो सोमवार को खत्म होने वाली  थी।

पांच साल में महज 3 दिन की उपस्थिति-

बसपा सांसद अतुल राय देश के इकलौते ऐसे सांसद हैं जो 17वीं लोकसभा के पांच वर्ष के 15 सत्रों में महज 3 दिन ही संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाए हैं। इसके साथ ही अतुल राय के नाम यह अनचाहा रिकॉर्ड भी है कि वह जबसे सांसद चुने गए हैं, तबसे अब तक वह अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के बीच एक दिन भी नहीं गुजार पाए। संसद की वेबसाइट के मुताबिक सांसद अतुल राय 17वीं लोकसभा के तीसरे सत्र में 31 जनवरी 2020 को शपथ लेने के लिए उपस्थित थे और उसके बाद 15वें और आखिरी सत्र में अतुल राय छह और आठ फरवरी 2024 को उपस्थित थे। इस बीच पांच साल में उन्होंने संसद में न कोई सवाल पूछा और न ही किसी बहस में शामिल हुए।

 

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