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44 सालों में BJP कैसे बनी नंबर-1 पार्टी, स्थापना दिवस जानिए पूरी कहानी

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(Special Story) भारतीय जनता पार्टी की नींव अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गजों ने 6 अप्रैल 1980 को मुंबई में रखी थी। इन 44 सालों में बीजेपी ने हर कसौटी को पार किया और आज संसद में प्रतिनिधित्व और सदस्यों की संख्या के आधार पर देश की नंबर-1 पार्टी बन गई है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी लगातार आगे बढ़ रही है और  फल-फूल रही है। आज देश के करीब 90 फीसदी राज्यों में कमल खिला हुआ है। आइए विस्तार से जानते हैं कि बीजेपी ने महज 2 लोकसभा सीटों से यहां तक का सफर कैसे तय किया और इसमें क्या मुश्किलें आईं सब कुछ....

बीजेपी का 45वां स्थापना दिवस आज-

बीजेपी आज अपना 45वां स्थापना दिवस (BJP Foundation Day) मना रही है। पार्टी की स्थापना 6 अगस्त 1980 को हुई थी। जनसंघ से शुरू हुए पार्टी के सफर के बदौलत ही आज बीजेपी दुनिया की लोकप्रिय पार्टियों में शुमार हो गई है। बीजेपी के स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देशभर में मौजूद पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं दी हैं। पीएम मोदी ने उन सभी महिलाओं और पुरुषों की कड़ी मेहनत, संघर्ष और बलिदान को भी श्रद्धाभाव के साथ याद किया है जिन्होंने अथक परिश्रम के बलबूते पार्टी को यहां तक पहुंचाया है। पीएम मोदी ने कहा कि वह आज विश्वास के साथ कह सकते हैं कि बीजेपी देश की पसंदीदा पार्टी है जिसने हमेशा नेशन फर्स्ट को ध्यान रखते हुए काम किया है। बीजेपी के स्थापना दिवस के मौके पर आज देशभर में बूथ लेबल तक कार्यक्रम मनाए जा रहे हैं। 

2 सीटों से 400 पार का सफर-

भारतीय जनता पार्टी का आज स्थापना दिवस है। साल 1980 में 6 अप्रैल को बीजेपी की स्थापना के साथ ही जो पौधा रोपा गया था वो आज वटवृक्ष बनकर सबके सामने खड़ा है। तब शायद ही किसी ने यह सोचा होगा कि कुछ सालों बाद यह इतना बड़ा पेड़ बनेगा। 1984 में बीजेपी की लोकसभा में केवल 2 सीटें ही थी लेकिन आज आलम यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 370 और एनडीए गठबंधन 400 से अधिक सीटों पर जीत का दावा कर रही है। सिर्फ दावा ही नहीं इसके लिए पूरी पार्टी दिनरात एक भी करने में जुटी हुई है। पीएम मोदी से लेकर सभी नेता एक दिन में कई-कई रैलियों के जरिए जनता के बीच पहुंच रहे हैं और अपनी सरकार के कामों को गिना रहे हैं।  

जनसंघ से बीजेपी तक का सफर-

बीजेपी की कहानी भारतीय जनसंघ की स्थापना से शुरू होती है। महात्मा गांधी की हत्या के बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने हिंदू महासभा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने संघ के सहयोग से 21 अक्तूबर 1951 दिल्ली में भारतीय जनसंघ यानि बीजेएस का गठन किया। इसके तीन संस्थापक सदस्य थे- श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक और दीनदयाल उपाध्याय। इस पार्टी का चुनाव चिन्ह था दीपक। कश्मीर की जेल में मुखर्जी की मौत हो गई। इसके बाद उपाध्यक्ष चंद्रमौली शर्मा को जनसंघ का अध्यक्ष बनाया गया। उनके बाद प्रेमचंद्र डोगरा, आचार्य डीपी घोष, पीताम्बर दास, ए रामाराव, रघु वीरा, बच्छरास व्यास ने जनसंघ की कमान संभाली। साल 1966 में बलराज मधोक और 1967 में दीनदयाल उपाध्याय अध्यक्ष बने। इनके बाद 1972 तक अटल बिहारी बाजपेयी और 1977 तक लाल कृष्ण आडवाणीअध्यक्ष पद पर रहे।

भारतीय जनसंघ का हुआ विलय-

साल 1977 में भारतीय जनसंघ का अस्तित्व खत्म कर दिया गया। इस समय देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी। ऐसे में जनता पार्टी की सरकार में शामिल होने के लिए शर्त रखी गई कि विलय करना होगा। इस तह जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हुआ। जनता पार्टी सरकार में जनसंघ की तरफ से आडवाणी सूचना प्रसारण मंत्री बने थे। अटल बिहारी बाजपेयी विदेश मंत्री बनाए गए थे। मगर, कुछ समय बाद ही आपसी खींचतान के चलते 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई। इस स्थिति में जनता पार्टी के संघी नेताओं को नया प्लेटफॉर्म बनाने की जरूरत महसूस हुई। इस तरह, 6 अप्रैल 1980 को मुंबई में एक नई राजनैतिक पार्टी की स्थापना हुई, जिसका नाम भारतीय जनता पार्टी रखा गया। यह तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि 6 अप्रैल 1930 को महात्मा गांधी ने डांडी यात्रा के बाद नमक बनाकर काला कानून तोड़ा था।

1984 के बाद BJP को ऐसे मिली सफलता-

साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हो गई थी। ऐसे में सुहानुभूति की लहर के चलते कांग्रेस को 400 से ज्यादा सीटें मिली थीं और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। इसके साथ ही बीजेपी के खाते में केवल 2 सीटें गईं। एक सांसद गुजरात के मेहसणा से एके पटेल और दूसरे आंध्र प्रदेश की हनामकोंडा से चंदू भाई पाटिया जंगारेड्डी चुने गए थे। 1980 से 6 साल तक वाजपेयी भाजपा के अध्यक्ष रहे। उन्हें हटाकर लाल कृष्ण आडवाणी का चेहरा आगे लाया गया था। इसके बाद जब 1989 में लोकसभा चुनाव हुआ तो बीजेपी 85 सीटें जीतने में सफल रही। इसके बाद बीजपी की बढ़त जारी रही। साल 1991 में 120 लोकसभा सीटें और 1996 में 161 सीटें भगवा दल के खाते में आईं। इस तरह भाजपा पहली बार भारतीय संसद में  सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी, मगर बहुमत नहीं होने के कारण 13 दिन बाद इस्तीफा देना पड़ा।

बीजेपी का लगातार कैसे बढ़ा ग्राफ-

इसके बाद संयुक्त मोर्चा की 2 सरकारों के बाद मध्यावधि चुनावों के लिए एडीए का गठन हुआ। इसे लेकर शिवसेना, समता पार्टी, बीजू जनता दल, अकाली दल और एआईडीएमके से समझौता हुआ। बीजेपी को 182 सीटें मिलीं और वाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। 13 महीने बाद बाजपेयी सरकार फिर गिर गई। इसके बाद 1999 के चुनाव में बीजेपी फिर से विजयी हुई। एनडीए को 303 सीटें मिलीं। वाजपेयी के नेतृत्व में 5 साल सरकार चलाने का मौका मिला। 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 138 सीटें  ही मिलीं। लाल कृष्ण आडवाणी की अगुवाई में 2009 में 116 सीटें आईं। इसके बाद 2014 में 283 सीटों के साथ प्रचंड जीत से नरेंद्र मोदी ने इतिहास रच दिया। अकेले दम पर बीजेपी की सरकार बनी। इसके बाद 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने 300 से ज्यादा सीट जीतकर इतिहास रच दिया। एनडीए ने 350 से ज्यादा सीटें जीतीं। अब एनडीए 400 के पार सीटें लाने का दावा कर रही है।

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