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यूपी में पश्चिम से बजा चुनावी बिगुल

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   पहले चरण की अधिसूचना जारी, पश्चिमी यूपी से हो रही चुनाव की शुरुआत

    नौ जिलों की आठ लोकसभा सीटों पर होंगे चुनाव की रणभेरी बजी

देश के आम चुनाव का आधिकारिक बिगुल बज चुका है। बुधवार को पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई। पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को होगा। इस फेज में यूपी के नौ राजस्व जिलों में पड़ने वाली 8 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह, इस बार भी यूपी में चुनावी हवा पश्चिम से बहना शुरू होगी। यानी पहले चरण की ये 8 सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ही हैं। इसमें सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना (SC आरक्षित), मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत शामिल हैं। इन सीटों के उम्मीदवार 27 मार्च तक नामांकन करेंगे, जबकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 30 मार्च है।

हर बाद बदलता चुनावी समीकरण-

इन 8 सीटों पर परिणाम का अनुमान लगाना जरा मुश्किल है। यहां हर चुनाव में समीकरण बदले हुए नजर आते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी इन सभी सीटों पर चुनाव जीती थी। वहीं 2019 के आम चुनाव में तस्वीर बिल्कुल बदल गई। तब यूपी में सपा, बसपा और रालोद ने मिलकर चुनाव लड़ा था। सहारनपुर, बिजनौर और नगीना से बीएसपी जीती। मुरादाबाद और रामपुर सपा ने चुनाव जीता। जबकि कैराना, मुजफ्फरनगर और पीलीभीत पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। इस बार आरएलडी बीजेपी के साथ गठबंधन में है। वहीं कांग्रेस और सपा ने हाथ मिलाया है। जबकि बसपा अकेले ही मैदान में है।

आठ सीटों के चुनावी समीकरण

1-सहारनपुर : सीट बचाने और छीनने की जुगत-

सहारनपुर लोकसभा सीट में कुल लगभग 16 लाख वोटर हैं। इनमें 873318 पुरुष और 735515 महिला वोटर हैं। यह क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य है, जो चुनावों में अहम भूमिका निभाता है। यहां लगभग 6 लाख मुस्लिम, 3 लाख अनुसूचित जाति, 1.5 लाख गुर्जर व 3.5 लाख सामान्य व पिछड़ा वर्ग के वोटर हैं। सहारनपुर लोकसभा सीट पर आजादी के बाद से आज तक किसी भी पार्टी से कोई महिला उम्मीदवार नहीं हुई हैं। इस लोकसभा सीट पर 1952 के आम चुनावों से लेकर 1971 के आम चुनावों तक कांग्रेस पार्टी का कब्ज़ा रहा। 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव से लेकर 1998 के चुनाव तक जनता दल और भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव जीता। हालाँकि बीच-बीच में कांग्रेस अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही। 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी के हाजी फजलुर्रहमान भाजपा के राघव लखनपाल को हराकर चुनाव जीते थे। 2024 में भी सपा-कांग्रेस, बसपा, भाजपा-रालोद आमने-सामने होंगे।

2- कैराना – कौन होगा स्थायी, कौन करेगा पलायन-

कैराना लोकसभा सीट में सहारनपुर व शामली जिले के 5 विधानसभा क्षेत्र हैं। यह राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत अहम सीट है। इसमें कुल 6.25 लाख मुस्लिम वोटर,  2.5 लाख जाट और लगभग 2.45 लाख एससी-एसटी वोटर हैं। पुरुष वोटरों की संख्या 699390 और महिला वोटरों की संख्या 614260 है। यह लोकसभा सीट जाट और मुस्लिम वोटरों से प्रभावित है। कैराना 2014 - 2016 के बीच बड़े पैमाने पर हुए हिन्दू परिवारों के पलायन के कारण सुर्ख़ियों में रहा। पिछले दो आम चुनावों से बीजेपी यहां जीत रही है। 2019 में भाजपा ने गुर्जर नेता प्रदीप कुमार चौधरी को मैदान में उतारा था, जिन्होंने सपा की तबस्सुम बेगम को हराकर चुनाव जीता था। इस चुनाव में भाजपा को 50.4% वोट प्राप्त हुए थे। 2024 में भी भाजपा ने मौजूदा सांसद प्रदीप कुमार चौधरी पर भरोसा जताया है। सपा ने इकरा हसन को उम्मीदवार बनाया है जबकि बसपा ने द्वारा सिंह प्रजापति को प्रत्याशी घोषित किया है| 

3-मुजफ्फरनगर : सोशल समीकरणों की प्रयोगशाला

समाजवादी पार्टी सरकार में हुए दंगों के बाद से यह सीट सोशल समीकरणों की प्रयोगशाला बन गई है। हिन्दू-मुस्लिम, जाट-गैर जाट जैसे तमाम समीकरण यहां चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं। यहां लगभग 16 लाख मतदाता हैं, जिनमें 875186 पुरुष व 713297 महिला मतदाता हैं। जातिगत आंकड़ों पर ध्यान दें तो इस सीट पर लगभग 5 लाख मुस्लिम मतदाता, 2 लाख दलित मतदाता, 1.5 लाख जाट, लगभग 3 लाख वैश्य और 4.80 लाख सामान्य व अन्य वर्ग के मतदाता हैं। 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के बाद यह सीट राजनीतिक तौर पर मुख्य सीटों में सम्मिलित हो गई। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के संजीव कुमार बालियान जीते थे। 2019 के चुनाव में एक बार फिर संजीव कुमार ने रालोद के अजित सिंह को हराकर चुनाव जीता। बीजेपी को इस चुनाव में कुल 49.5% वोट प्राप्त हुए थे। इस बार होने वाले चुनाव में आरएलडी और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए बीजेपी एक बार फिर बालियान को मैदान में उतार रही है। सपा ने पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को प्रत्याशी घोषित किया है जबकि बसपा ने अभी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है| 

4- बिजनौर – सिरमौर बनने की जोर आजमाइश-

बिजनौर लोकसभा सीट का क्षेत्र उत्तर प्रदेश के 3 जिलों बिजनौर मुजफ्फरनगर और मेरठ में है। यहां मतदाताओं की संख्या लगभग 15 लाख है। इसमें 848606 पुरुष और 713459 महिला मतदाता हैं| जातिगत आंकड़ों पर ध्यान दें तो 55.18 फीसदी हिन्दू और 44.05 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। 1952 में हुए पहले आम चुनाव से लेकर 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व स्थापित रहा। आपातकाल के बाद 1977 और 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता दल ने इस सीट पर जीत हासिल की। 2014 में बीजेपी और 2019 में बसपा के प्रत्याशी ने चुनाव जीता। इस बार के चुनाव में बीजेपी-आरएलडी गठबंधन से आरएलडी ने चन्दन चौहान को प्रत्याशी बनाया है| सपा ने दलित नेता यशवीर सिंह को और बसपा ने बिजेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है।

5-नगीना- जनता किसके माथे जड़ेगी नगीना-

बिजनौर जिले में स्थित नगीना लोकसभा सीट वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई थी। यह उत्तर प्रदेश की 17 आरक्षित लोकसभा सीटों में से एक है। 2009 में हुए पहले चुनाव में सपा ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस लोकसभा सीट पर लगभग 15 लाख वोटर हैं, जिनमें लगभग 8 लाख पुरुष और 7 लाख महिला वोटर हैं। जातिगत आंकड़ों पर ध्यान दें, तो लगभग 50 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं और 21 फीसदी अनुसूचित जाति के वोटर हैं। 2014 में हुए आम चुनाव में बीजेपी के यशवंत सिंह चुनाव जीते। जबकि 2019 के चुनाव में बसपा के गिरीश चंद्र चुनाव जीते थे। इस बार के चुनाव में भाजपा ने जाटव विधायक ओम कुमार को मैदान में उतारा है। सपा ने रिटायर्ड जज मनोज कुमार को प्रत्याशी बनाया है जबकि बसपा ने अभी उम्मीदवार नहीं घोषित किया है।

6- मुरादाबाद – पीतल नगरी से कौन चमकेगा

पीतल नगरी मुरादाबाद लोकसभा का क्षेत्र उत्तर प्रदेश के बिजनौर व मुरादाबाद जिलों में है। इस लोकसभा क्षेत्र में लगभग 20 लाख वोटर हैं। इसमें लगभग 11 लाख पुरुष और 9 लाख महिला वोटर हैं| यह लोकसभा सीट भी मुस्लिम बाहुल्य है। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के कुंवर सर्वेश कुमार ने सपा के डॉ. एसटी हसन को हराकर जीत दर्ज की थी। 2019 में पासा पलटा और समाजवादी पार्टी के एसटी हसन ने जीत दर्ज की। इस बार के चुनाव में इस सीट पर भाजपा-रालोद गठबंधन और सपा-कांग्रेस गठबंधन चुनाव लड़ेगी। जबकि बसपा अकेले मैदान में रहेगी। हालाँकि अभी तक किसी ने भी अपने उम्मीदवार नहीं घोषित किये हैं।

7- रामपुर – आजम के बाद कौन

नवाबों के शहर और फिर आजम खां, जयाप्रदा जैसे दिग्गजों का गढ़ रहा रामपुर भी राजनीतिक उठापटक का केंद्र बन चुका है। रामपुर लोकसभा सीट पर वोटरों की संख्या लगभग 16.5 लाख है। इसमें लगभग 9 लाख पुरुष व 7.5 लाख महिला वोटर शामिल हैं। जातिगत आंकड़ों के अनुसार 50.57 प्रतिशत मुस्लिम और 45.97 प्रतिशत हिन्दू वोटर हैं। 2014 में हुए आम चुनाव में भाजपा के डॉ नेपाल सिंह ने सपा के नासिर अहमद खान को हराया था। 2019 के चुनाव में भाजपा ने अभिनेत्री से नेता बनी जया प्रदा को चुनाव में उतारा। सपा से आजम खान मैदान में थे। इस चुनाव में आजम खान जीते थे। 2024 लोकसभा चुनाव में आजम खान और उनका परिवार शामिल नहीं है। फिर भी आजम खान सपा के लिए एक्स फैक्टर साबित हो सकते हैं, हालाँकि अभी तक सपा ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं घोषित किया है। भाजपा ने यहां से घनश्याम लोधी को प्रत्याशी बनाया है।

8 -पीलीभीत- तीन दशक से मेनका-वरुण की विरासत-

पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश के बरेली और पीलीभीत जिलों में है| इस लोकसभा क्षेत्र में लगभग 19 लाख वोटर हैं। इनमें 10.50 लाख पुरुष और 8.5 लाख महिला वोटर हैं | धार्मिक आंकड़ों पर ध्यान दें तो हिन्दू 65 प्रतिशत, मुस्लिम 25 प्रतिशत और अन्य वोटर 10 प्रतिशत हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में यह सीट भी सुर्खियों में बनी हुई है।  इस सीट पर 1996  से 2004 तक मेनका गाँधी लगातार जीत दर्ज करती रही हैं। 2009 में वरुण गाँधी 2014 में मेनका गाँधी और 2019 में पुनः वरुण गाँधी भाजपा से इस सीट पर जीते थे। यहां भी अभी तक भाजपा, सपा और बसपा ने प्रत्याशी फाइनल नहीं किए हैं।

-शिवम

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