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क्या पिता की बयानबाजी बेटी पर पड़ी भारी, सीएम के मंच पर क्यों रोने लगीं संघमित्रा ?

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(Special Story) क्या पिता के बयान एक बेटी पर भारी पड़ गये हैं। क्या पिता की बयानबाजी का खामियाजा बेटी को उठाना पड़ रहा है। ऐसे ही तमाम तरह के सवाल लोगों के जहन में उठने लगे हैं। जब से उन्होंने संघमित्रा मौर्य का रोते हुए वीडियो देखा है। आपको बता दें कि संघमित्रा मौर्य बदायूं से बीजेपी की मौजूदा सांसद हैं और स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं जो आजकल अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.... 

क्या है पूरा मामला-

यूपी की बदायूं लोकसभा सीट पर आज सीएम योगी का 'प्रबुद्ध सम्मेलन' था जिसे वो संबोधित करने वाले थे। लेकिन इसके पहले ही एक ऐसी घटना सामने आई जो देखते ही देखते सुर्खियां बन गई। हुआ यूं कि सीएम के आने से पहले ही इसी सीट से बीजेपी की मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य बहुत भावुक हो गईं और वो रोने लगीं। संघमित्रा मौर्य का यह वीडियो चर्चा का विषय बन गया है। इस वीडियो में मंच पर बैठीं संघमित्रा मौर्य रोती हुई नज़र आ रही हैं। उनके बगल में मंच पर माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाबो देवी बैठी दिख रही हैं। संघमित्रा को अपने हाथों से आंसू पोंछते हुए साफ देखा जा सकता है। उनके आसपास और भी कई नेता मौजूद हैं। दरअसल  बीजेपी ने इस बार बदायूं सीट से दुर्विजय शाक्य को अपना उम्मीदवार बनाया है। संघमित्रा मौर्य का टिकट इस बार काट दिया गया है। लोगों का ऐसा मानना है कि इसी वजह से संघमित्रा मौर्य भावुक होकर रोने लगीं हलांकि संघमित्रा ने रोने की वजह कुछ और ही बताई है....

संघमित्रा मौर्य ने बताई रोने की वजह-
 
संघमित्रा से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मंत्री गुलाबो देवी उन्हें राजा दशरथ की कहानी सुना रही थी, वो कहानी काफी भावुक कर देने वाली थी। इसीलिए महिला होने के नाते मेरी आंखों में आंसू आ गए। संघमित्रा मौर्य ने टिकट कटने से नाराजगी की बात को सिरे से खारिज कर दिया। संघमित्रा ने कहा कि वो पूरी ताकत से दुर्विजय शाक्य का चुनाव प्रचार कर रही हैं। कहीं कोई खटपट नहीं है। संघमित्रा मौर्य ने यह भी कहा कि वह कोई कमजोर महिला नहीं बल्कि बहादुर महिला हैं। आधी आबादी को रिप्रेजेंट करने वाली महिला हैं। मंत्री जी ने मार्मिक वृतांत सुना दिया था इसलिए आंखें नम हो गईं। 

मैं दिल से शाक्य के साथ हूं- 

जब उनसे पूछा गया कि क्‍या टिकट न देने की वजह से ऐसा हुआ तो संघमित्रा ने कहा कि यह गलत है। जहां तक बात है टिकट को लेकर तो ऐसा होता तो पहले दिन जब लोकसभा प्रत्‍याशी बदायूं आए तो मैं उनके साथ बरेली से बदायूं न आती, सारे दिन उनके साथ नहीं रहती। जिस तरह से मैं हृदय की गहराई से उनके साथ लगी हुई हूं वैसा नहीं करती। इसका टिकट कटने से कोई संबंध नहीं है।

संघमित्रा का क्यों कटा बदायूं से टिकट-

बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में संघमित्रा मौर्य को बदायूं से टिकट दिया था। बदायूं सीट पर साल 1996 से सपा का कब्जा चला आ रहा था। ऐसे में संघमित्रा ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर इस मिथक को तोड़ा था। मगर 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले संघमित्रा के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी का दामन छोड़कर सपा के साथ जाने का फैसला कर लिया था। इसके साथ ही पिछले काफी समय से स्वामी प्रसाद मौर्य हिंदू समाज के खिलाफ जमकर बयानबाजी कर रहे थे। और ऐसी चर्चा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य की बयानबाजी की वजह से ही उनकी बेटी को बीजेपी ने इस बार टिकट नहीं दिया। क्योंकि बीजेपी को लोग हिन्दुओं की हितैषी पार्टी के तौर पर देखते हैं। हलांकि टिकट कटने पर संघमित्रा मौर्य ने कहा कि पार्टी का जो भी फैसला है उन्हें मंजूर है। टिकट कटने के बाद भी संघमित्रा मौर्य पार्टी के साथ हैं और हर सभा में शामिल रहती हैं। 
 
पिता की बयानबाजी बेटी पर पड़ी भारी-

संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले कई महीनों से अपनी बयानबाजी के चलते सुर्खियों में रहे हैं। जब वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे तभी से हिन्दू धर्म के खिलाफ जहर उगल रहे थे हलांकि कई बार समाजवादी पार्टी ने भी उनके बयानों से किनारा करते हुए उनके बयानों को निजी बताया था। उसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी बना ली लेकिन उनकी बयानबाजी का सिलसिला बढ़ाता ही चला गया। कभी उन्होंने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को जातिवादी बताते हुए उन्हें हटाने की मांग की। तो कभी उन्होंने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को "धोखा" और "नाटक" बताया। कभी उन्होंने कहा कि माता लक्ष्मी का जन्म नहीं हुआ था, बल्कि उन्हें "बनाया" गया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि "हिंदू धर्म" एक धर्म नहीं, बल्कि "धोखा" है। इन बयानों से भारी विवाद हुआ और स्वामी प्रसाद मौर्य को हिंदू संगठनों और राजनीतिक दलों से तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा। राजनीति के जानकारों का ऐसा मानना है कि इन्हीं सब वजहों से उनकी बेटी का टिकट बीजेपी ने काट दिया। हलांकि इनकी इस बयानबाजी का कारण कुछ लोग 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले दलित वोटों को लुभाने के लिए उठाया जाने वाला कदम भी बताते रहे हैं।

स्वामी प्रसाद का विवादों से है गहरा नाता-

आइए स्वामी प्रसाद के बयानों पर एक नज़र डालते हैं जिनके लिए वो अक्सर विवादों में रहते हैं...

  • 22 जनवरी को रामचरित मानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने अभद्र टिप्पणी की थी। कहा था कि रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान या फिर ज्ञाता हो, उसका सम्मान मत करिए। क्या यही धर्म है?
  • 13 फरवरी को सोनभद्र के मऊकलां में बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए। कहा था, "अभी हाल में मेरे दिए गए बयान पर कुछ धर्म के ठेकेदारों ने मेरी जीभ काटने एवं सिर काटने वालों को इनाम घोषित किया है, अगर यही बात कोई और कहता तो यही ठेकेदार उसे आतंकवादी कहते, किंतु अब इन संतों, महंतों, धर्माचार्यों व जाति विशेष लोगों को क्या कहा जाए आतंकवादी, महाशैतान या जल्लाद।"
  • 15 फरवरी को लखनऊ के एक होटल में स्वामी प्रसाद मौर्य और अयोध्या के महंत राजूदास के बीच हाथापाई हुई। राजूदास का आरोप था कि सपा नेता ने उन्हें भगवा आतंकवादी कहा था जिसका उन्होने विरोध किया था।
  • 3 अप्रैल 2023 को रायबरेली में आयोजित कांशीराम प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में स्वामी ने 1993 वाला नारा दोहराया। शहर कोतवाली में हिंदू युवा वाहिनी के मारूति त्रिपाठी ने धार्मिक भावनाओ को भड़काने का मुकदमा दर्ज करा दिया।
  • 18 जून को फिल्म आदिपुरुष को लेकर मौर्य ने ट्वीट किया कि जो कल तक मेरी हत्या करने, धड़ से सिर अलग करने, तलवार से सिर काटने, जीभ काटने, नाक-कान व हाथ काटने के लिए उतावले हो गए थे, उनकी बोलती आज बंद क्यों है? इसलिए न की मनोज मुंतशिर और ओम राऊत ऊंची जाति के हैं।
  • 31 जुलाई को स्वामी प्रसाद मौर्य ने ये कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि बद्रीनाथ, केदारनाथ और जगन्नाथपुरी पहले बौद्ध मठ थे।

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