बड़ी खबरें
यूपी की राजधानी लखनऊ में निर्धारित समय पर फ्लैट न देना गोयल हाइट्स को भारी पड़ गया है। राज्य उपभोक्ता आयोग ने आदेश दिया है कि बिल्डर 60 दिन के भीतर आवंटी को फ्लैट दे, अन्यथा उसकी जमा रकम ब्याज सहित लौटाए। पीठासीन न्यायाधीश राजेंद्र सिंह ने बिल्डर पर लगभग 22 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है।
क्या है पूरा मामला-
लखनऊ के गोमती नगर निवासी किरन राय और उनके पति सुशील कुमार राय ने गोयल हाइट्स अपार्टमेंट्स लखनऊ में एक फ्लैट बुक कराया था। इसका मूल्य 40,31,250 रुपये था। आवंटी ने बताया कि बिल्डर हाइट्स ने यह बताया कि उनके पास निर्माण कराने संबंधी सभी प्रकार की अनुमति प्राप्त है। उन्हें 19 मार्च 2013 को फ्लैट नं. 102 प्रथम तल ब्लाक नं.-ए, टावर-4 अलॉट किया गया है। साथ ही वायदा किया कि फ्लैट का कब्जा दिसंबर 2013 तक दे दिया जाएगा। आवंटी ने इसके लिए स्टेट बैंक आफ इण्डिया से लोन लिया और 33,24,656 रुपये गोयल हाइट्स को अदा कर दिए। बावजूद इसके समय पर फ्लैट आवंटी को नहीं दिया गया। परिवादीगण को फ्लैट का कब्जा न मिलने से किराए के मकान में रहना पड़ा और इसके लिए उसको 20,000 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से किराया देना पड़ा। परेशान आवंटी ने राज्य उपभोक्ता फोरम का सहारा लिया। प्रकरण की सुनवाई पीठासीन जज राजेंद्र सिंह और सदस्य सुशील कुमार ने की। आयोग ने माना कि विपक्षी गोयल हाइट्स ने गलत सूचना दी और सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापार किया है।
आयोग ने दिया ये आदेश-
इस पूरे मामले पर आयोग ने निर्णय सुनाया कि बिल्डर सभी प्रमाण पत्र विशेष रूप से अनापत्ति प्रमाण पत्र, कम्पलीशन सर्टीफिकेट और अधिभोग प्रमाणपत्र के साथ निर्णय के 60 दिन के भीतर फ्लैट परिवादी को दे। ऐसा न करने पर उसकी जमा धनराशि, जमा करने के दिनांक से 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 60 दिन के भीतर अदा की जाए। बिल्डर किसी प्रकार का कोई ब्याज या अन्य कोई मांग परिवादीगण से नहीं करेगा। एक अप्रैल 2014 से प्रतिमाह 15 हजार रुपये किराए के मद में परिवादी को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करें। वाद व्यय के रूप में 1,00000 रुपये मानसिक यंत्रणा और सेवा में कमी आदि के मद में 20 लाख रुपये अदा किए जाएं। 1,50,000 रुपये माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति के रूप में ब्याज सहित अदा किए जाएं।
Baten UP Ki Desk
Published : 9 September, 2023, 12:07 pm
Author Info : Baten UP Ki