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आज छठ पूजा का दूसरा दिन है। आज महिलाएं खरना पर्व मना रही हैं। इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखकर शाम को छठ घाट पर जाकर भगवान भास्कर और छठी मईया की पूजा करती हैं। पूजा के बाद वे 36 घंटे का निर्जला व्रत करने का संकल्प लेती हैं। खरना के दिन महिलाएं गन्ने के रस से पकी चावल की दूध वाली खीर, चावल का पीठा और घी चुपड़ी रोटी खाकर व्रत शुरू करती हैं। इस भोजन को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना के दिन महिलाएं रात भर भजन और छठ माता की कथा सुनकर जागरण करती हैं। 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं व्रत का पारण करती हैं।
36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं महिलाएं-
छठ पूजा बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है। छठ पूजा चार दिनों तक चलती है, जिसमें खरना, खरना के अगले दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देना, दूसरे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देना और चौथे दिन छठ मैया की पूजा शामिल है।
19 नवंबर को फलों से डलिया और सूप सजाएंगी महिलाएं-
कल यानी 19 नवंबर को महिलाएं कई तरह के फलों की डलिया और सूप सजाएंगी। इसमें 6 मुख्य फल तो छठी मइया को काफी प्रिय होते हैं। जैसे कि डाभ नींबू (आम नींबू से थोड़ा बड़ा), केला, श्रीफल यानी नारियल, सिंघाड़ा, सुथनी, गन्ना। इन्हें अर्घ्य वाले सूप में सजाया जाता है। इसके बाद सेब, शरीफा, नाशपाती,अन्नानास, रसभरी आदि आदि फलों से डलिया भरी जाएगी। सूरज ढलने से करीब 3 घंटे पहले महिलाएं घाट की ओर बढ़ने लगेंगी। परिवार के बाकी सदस्य सिर पर फलों की डलिया और अर्घ्य का सूप उठाकर चलेंगे। पगयात्रा के दौरान सूप के ऊपर एक दीया भी हमेशा जलती रहेगी, जिसे घाट पर वेदी तक पहुंचने से पहले बुझना नहीं चाहिए। कुछ लोग हाथ में गन्ना लेकर साथ-साथ चलेंगे। कुछ देर वेदी पर पूजा करने के बाद सूरज ढलने से आधा घंटे पहले महिलाएं नदी या तालाब के जल में उतरेंगी। आपको बता दें कि छठ पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो प्रकृति और जीवन के चक्र का जश्न मनाता है। यह त्योहार परिवार और दोस्तों के साथ एक साथ आने का भी अवसर है।
Baten UP Ki Desk
Published : 18 November, 2023, 7:27 pm
Author Info : Baten UP Ki