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उत्तर प्रदेश में नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। योगी सरकार ने विधानसभा में इस विधेयक को पारित करवा लिया है, लेकिन यह अब विधान परिषद में अटका हुआ है। भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) ने इस नजूल संपत्ति विधेयक पर विरोध जताते हुए कहा है कि इसे बिना विचार-विमर्श के जल्दबाजी में लाया गया है। अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने विधान परिषद में इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का सुझाव दिया।
क्या है नजूल संपत्ति विधेयक?
नजूल संपत्ति विधेयक लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश में किसी भी नजूल भूमि को किसी निजी व्यक्ति या निजी संस्था के पक्ष में फ्री होल्ड नहीं किया जाएगा। इन भूमि का अनुदान केवल सार्वजनिक हित में, जैसे कि केंद्रीय या राज्य सरकार के विभाग, शिक्षा, स्वास्थ्य या सामाजिक सहायता देने वाली संस्थाओं को ही किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, जो नजूल भूमि खाली पड़ी है और जिसकी लीज अवधि समाप्त हो रही है, उसे भी फ्री होल्ड नहीं किया जाएगा बल्कि सार्वजनिक हित में उपयोग किया जाएगा। वे पट्टाधारक जिन्होंने 27 जुलाई 2020 तक फ्री होल्ड के लिए आवेदन किया था और निर्धारित शुल्क समय पर जमा कर दिया था, वे अपनी लीज समाप्त होने के अगले 30 साल तक नवीनीकरण करवा सकेंगे, बशर्ते उन्होंने मूल लीज डीड का उल्लंघन न किया हो।
नजूल विधेयक पर दो महीने बाद रिपोर्ट-
विधान परिषद के सभी सदस्यों ने सहमति जताते हुए इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने का निर्णय लिया है। अब यह प्रवर समिति नजूल विधेयक पर दो महीने बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस बीच, राज्य में इस विधेयक को लेकर राजनीतिक खींचतान जारी है, और जनता की नजरें अब प्रवर समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं।
प्रवर समिति की भूमिका और संभावित परिणाम-
प्रवर समिति का मुख्य कार्य विधेयक का विस्तृत अध्ययन और समीक्षा करना है। समिति विभिन्न हितधारकों से परामर्श लेगी और विधेयक के सभी पहलुओं पर गहराई से विचार करेगी। यदि समिति यह पाती है कि विधेयक में कुछ सुधार की जरूरत है, तो वह अपनी सिफारिशें पेश करेगी। इसके बाद, सरकार को उन सिफारिशों के आधार पर संशोधन करने होंगे या विधेयक को पुनः पारित करने का प्रयास करना होगा।
कई विवाद और चर्चाएं-
उत्तर प्रदेश में नजूल भूमि एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो हाल ही में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह भूमि उन जमीनों को संदर्भित करती है जो सरकारी संपत्ति होती है और ऐतिहासिक रूप से ब्रिटिश शासन के दौरान अवैध अतिक्रमण और सरकारी स्वामित्व के विवादों में आती रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नजूल भूमि के संदर्भ में एक नया विधेयक प्रस्तुत किया गया है, जिसे लेकर कई विवाद और चर्चाएं हो रही हैं।
इस विधेयक का उद्देश्य नजूल भूमि के बेहतर प्रबंधन और उपयोग को सुनिश्चित करना है। विधेयक में प्रस्तावित प्रावधानों के अनुसार, नजूल भूमि पर बसी अवैध बस्तियों को नियमित किया जाएगा और उन लोगों को मालिकाना हक दिया जाएगा जो लंबे समय से इस भूमि पर काबिज हैं। साथ ही, इस भूमि का उपयोग विकास परियोजनाओं और सार्वजनिक सुविधाओं के निर्माण के लिए भी किया जाएगा।
विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा गया है ताकि इसके विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन और समीक्षा की जा सके। समिति का काम होगा कि वह विधेयक के सभी प्रावधानों की जांच करे और सुनिश्चित करे कि इससे सभी संबंधित पक्षों के हितों की रक्षा हो। समिति अपनी सिफारिशें सरकार को प्रस्तुत करेगी, जिसके बाद विधेयक पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश की नजूल भूमि को लेकर प्रस्तुत विधेयक एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य राज्य की विकास परियोजनाओं को गति देना और लंबे समय से अतिक्रमित भूमि के विवादों का समाधान करना है। हालांकि, इसके फायदे और नुकसान दोनों ही हैं, जिनका संतुलन बनाए रखना सरकार और प्रवर समिति के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। आने वाले समय में विधेयक पर समिति की सिफारिशें और सरकार के निर्णय से यह स्पष्ट होगा कि यह विधेयक कितना सफल साबित होता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 3 August, 2024, 6:52 pm
Author Info : Baten UP Ki