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हिंदू धर्म में महर्षि वाल्मीकि को श्रेष्ठ गुरु माना जाता है। आज उनकी जयंती पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। वाल्मीकि जयन्ती पीएम मोदी ने देशवासियों को अनंत शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक समानता और सद्भावना से जुड़े उनके अनमोल विचार आज भी भारतीय समाज को सिंचित कर रहे हैं। मानवता के अपने संदेशों के माध्यम से वे युगों-युगों तक हमारी सभ्यता और संस्कृति की अमूल्य धरोहर बने रहेंगे। पीएम मोदी ने यह शुभकामना संदेश आज सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर किया। कहते हैं कि पहले वाल्मीकि जी डाकू थे, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि उनका जीवन ही बदल गया। उन्होंने भगवान श्री राम (Lord Rama) के जीवन पर आधारित रामायण महाकाव्य लिखा जो जनजन तक पहुंचा। जानिए पूरी कहानी।
सीएम योगी ने दी प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं-
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। सीएम ने अपने संदेश में कहा कि आदि महाकाव्य रामायण के रचयिता की जयन्ती श्रद्धा एवं हर्षोल्लास के साथ मनायी जाती है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने आदिकाव्य रामायण की रचना कर लोगों को सत्य एवं कर्तव्य परायणता पर चलने का मार्ग दिखाया। भगवान श्रीराम की गाथा को देश-दुनिया में पहुंचाने का श्रेय महर्षि वाल्मीकि को जाता है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जीवन हम सभी को त्याग, मर्यादाओं के पालन और कर्तव्य परायणता की सीख देता है। भगवान श्रीराम से हमें सदैव धर्म का अनुसरण करते हुए जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। उनके द्वारा दी गई शिक्षा और आदर्शों को अपनाकर प्रगतिशील एवं समरसतायुक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है।
कौन थे महर्षि वाल्मीकि-
महर्षि वाल्मीकि का असली नाम रत्नाकर था, कहा जाता है कि यह ब्रह्मा जी के मानस पुत्र प्रचेता के बटे थे। वहीं कुछ जानकार वाल्मीकि जी को महर्षि कश्यप चर्षणी का बेटा भी मानते हैं। कहा जाता है कि एक भीलनी ने बचपन में महर्षि वाल्मीकि का अपहरण कर लिया था। और भील समाज में ही उनका पालन पोषण हुआ। भील लोग जंगल के रास्ते से गुजरने वाले राहगीरों को लूट लिया करते थे और महर्षि वाल्मीकि भी इसी परिवार के साथ डकैत बन गए थे।
राम से प्रेरित होकर लिखा महाकाव्य-
कहा जाता है कि नारद मुनि से प्रेरित होकर रत्नाकर ने राम नाम का जाप करना शुरू किया। लेकिन उनके मुंह से राम की जगह मरा मरा शब्द निकल रहे थे। नारद मुनि ने कहा यही दोहराते रहो इसी में राम छुपे हैं। इसके बाद रत्नाकर के मन में राम नाम की ऐसी अलख जगी कि उनकी तपस्या देखकर ब्रह्मा जी ने उन्हें खुद दर्शन दिए और उनके शरीर पर लगे बांबी को देखर ही ब्रह्मा जी ने उन्हें वाल्मीकि नाम दिया। महर्षि वाल्मीकि को ब्रह्मा जी से ही रामायण की रचना करने की प्रेरण मिली । उन्होंने संस्कृत में रामायण लिखी, जिसे सबसे पुरानी रामायण माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसमें 24000 श्लोक हैं।
Baten UP Ki Desk
Published : 28 October, 2023, 1:35 pm
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