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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा परीक्षा 2022 का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है जिसमें टॉप 4 में यूपी की 2 लड़कियों ने जहां जगह बनाई है वहीं मैनपुरी के दिव्यांग सूरज तिवारी ने अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर 917 वीं रैंक प्राप्त की है। सूरज की सफलता की कहानी की आज चारों-ओर चर्चा हो रही है। सूरज को ये सफलता बड़े संघर्ष के बाद मिली है।
सूरज के संघर्ष की कहानी...
दोनों पैर, एक हाथ नहीं और दूसरे हाथ में सिर्फ 3 उंगलियां होने के बावजूद भी सूरज तिवारी ने कभी हार नहीं मानी। सूरज ने अपनी मेहनत, दृढ़ संकल्प और लगन के बलबूते पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर लोगों के लिए नजीर पेश की है। हलांकि सूरज को इस सफलता तक पहुंचने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। मैनपुरी के कुरावली कस्बे के रहने वाले सूरज तिवारी एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। इनके पिता दर्जी का काम करते हैं और माता हाउस वाइफ हैं। सूरज की छोटी बहन BTC की पढ़ाई कर रही है जबकि इनका छोटा भाई राघव BSC का स्टूडेंट हैं। सूरज के पिता रमेश तिवारी के मुताबिक सूरज शुरू से ही पढ़ने में बहुत तेज है हाईस्कूल और इंटर फर्स्ट डिवीजन में पास किया था लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से सूरज BSC की पढ़ाई के साथ ही दिल्ली जाकर प्राइवेट नौकरी करने लगा।
2017 में हुआ दर्दनांक हादसा...
सूरज के पिता बताते हैं कि 2017 उनके लिए कभी न भूलने वाला साल साबित हुआ इसी साल 29 जनवरी को सूरज दिल्ली दादरी के लिए ट्रेन से निकला था और ट्रेन में ही किसी ने उसे धक्का दे दिया और वो हादसे का शिकार हो गया। इस भयानक हादसे में सूरज के दोनों पैर और एक हाथ कट गया। दिल्ली के AIIMS में 4 महीने तक इलाज चला जिसके बाद वो दिव्यांग हो गया। इसी साल उनके बड़े बेटे राहुल तिवारी का भी निधन हो गया।
4 महीने के इलाज के बाद सूरज ने शुरू की पढ़ाई..
सूरज ने 4 महीने के इलाज के बाद फिर से अपनी पढ़ाई शुरू की जिसके बाद 6 साल तक सूरज ने बहुत मेहनत से पढ़ाई की कभी भी उसने अपनी दिव्यांगता को आड़े नहीं आने दिया। कभी भी उसने अपनी शारीरिक कमी का रोना नहीं रोया। रमेश कहते हैं मेरे बेटे ने बहुत दुख झेले हैं बहुत कष्ट सहे हैं लेकिन उसने कभी हिम्मत नहीं हारी। आज मेरा सीना गर्व से चौंड़ा हो गया है चारो-ओर सूरज ही सूरज हो रहा है। सूरज की मां आशा देवी कहती हैं जो होनी थी वो हो गई जब भी अपने बेटे की पहले की फोटो देखती हूं तो आंशू नहीं रुकते हमको बहुत अफसोस था कि मेरा बेटा अपाहिज हो गया।
प्रकाश बाबू ने दिखाई सूरज को राह...
सूरज के परिवारवालों का कहना है कि जब सूरज का दिल्ली के AIIMS में इलाज चल रहा था तब उसकी मुलाकात प्रकाश बाबू से हुई जिन्होंने सूरज को काफी मोटीवेट किया। सूरज को JNU के बारे में बताया जिसके बाद सूरज ने परीक्षा दी और पहली बार असफल रहा। दूसरी बार उसका एडमिशन JNU में हो गया और वहीं से पढ़ाई करने लगा।
Baten UP Ki Desk
Published : 24 May, 2023, 12:27 pm
Author Info : Baten UP Ki