बड़ी खबरें
उत्तर प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं के लिए खुशखबरी है। अब वे घर बैठे ही लाखों रुपये की आमदनी कर सकेंगी – वह भी सम्मान और आत्मनिर्भरता के साथ। राज्य सरकार की नई योजना ‘रेशम सखी’ महिलाओं को रेशम उत्पादन के ज़रिए आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस योजना को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और रेशम विभाग मिलकर लागू कर रहे हैं। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रेशम कीट पालन (Sericulture) का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे अपने घर पर ही शहतूत और तसर रेशम तैयार कर सकें।
McKinsey की रिपोर्ट बनी आधार
McKinsey Global Institute की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत में महिलाओं को पुरुषों के बराबर काम करने के अवसर दिए जाएं, तो 2025 तक देश की GDP में 700 अरब डॉलर यानी 58 लाख करोड़ रुपये का इज़ाफा हो सकता है। इससे विकास दर 1.4% तक बढ़ सकती है। इसी जेंडर डिविडेंड का लाभ उठाने के लिए ‘रेशम सखी’ जैसी योजनाएं महत्वपूर्ण साबित हो रही हैंl
रेशम की राह पर सशक्तिकरण की उड़ान
सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले 5 वर्षों में 50,000 महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाए। 2025-26 तक पहले चरण में 15 जिलों की 7500 महिलाओं को योजना में शामिल किया जाएगा। इसके लिए दो महिला टीमों को प्रशिक्षण हेतु भेजा गया – एक मैसूर (कर्नाटक) में शहतूत रेशम तकनीक सीखने, और दूसरी रांची (झारखंड) में तसर रेशम पालन का अनुभव लेने।
आमदनी दोगुनी, पहचान अलग
रेशम कीट पालन से महिलाओं की आमदनी दोगुनी हो सकती है। खास बात यह है कि महिलाएं अब अपने गांव में ही, बिना घर छोड़े, एक सम्मानजनक आय अर्जित कर सकती हैं। यह पहल न सिर्फ़ आर्थिक रूप से, बल्कि सामाजिक रूप से भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है।
यूपी की मिट्टी में बुन रही है रेशम की नई कहानी
'रेशम सखी' योजना ग्रामीण भारत में महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल बनने जा रही है। यह न सिर्फ़ रोजगार बढ़ाएगी, बल्कि उत्तर प्रदेश को रेशम उत्पादन के क्षेत्र में एक नई पहचान भी दिलाएगी। सरकार का यह प्रयास महिलाओं को सशक्त भविष्य की ओर अग्रसर कर रहा है, जहाँ रेशम की यह डोर अब सिर्फ़ कपड़े नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और सम्मान भी बुन रही है।
Baten UP Ki Desk
Published : 13 April, 2025, 2:04 pm
Author Info : Baten UP Ki