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अधिकारी बनते-बनते बन गए आन्दोलनकारी...

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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर पीसीएस और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा को एक दिन और एक शिफ्ट में कराने की मांग कर रहे प्रतियोगी छात्रों पर पुलिस कार्रवाई ने आंदोलन को और तीव्र कर दिया है। पुलिस द्वारा चार छात्रों को हिरासत में लेने के बाद छात्रों का आक्रोश बढ़ गया और हजारों की संख्या में आक्रोशित छात्र आयोग के बाहर पहुंच गए। पुलिस ने आयोग जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर बैरिकेडिंग कर दी, पर छात्रों की बढ़ती भीड़ ने बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए आयोग का घेराव किया।

पुलिस-छात्र संघर्ष की स्थिति, अभद्रता से बढ़ा विवाद-

प्रदर्शन के दौरान कुछ पुलिसकर्मियों की ओर से छात्रों के साथ अभद्र व्यवहार की खबरें सामने आईं, जिससे छात्रों का आक्रोश और भड़क गया। कई बार की बैरिकेडिंग के बावजूद, छात्रों का हुजूम पुलिस का घेरा तोड़ते हुए आयोग तक पहुंच गया। आक्रोशित छात्रों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है, और पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव के हालात बन गए हैं।

पुरानी परीक्षा व्यवस्था की मांग और नॉर्मलाइजेशन रद्द करने की मांग-

प्रतियोगी छात्र आयोग से एक दिवसीय परीक्षा की पुरानी व्यवस्था बहाल करने और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर सोमवार से ही छात्र आयोग के बाहर डटे हैं, लेकिन गुरुवार सुबह हुई पुलिस कार्रवाई से आंदोलन और भी उग्र हो गया। पुलिस द्वारा बलपूर्वक हस्तक्षेप किए जाने के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों ने आंदोलन को व्यापक स्तर पर ले जाने की चेतावनी दी है।

छात्र नेताओं की हिरासत से भड़के छात्र, आंदोलन को 'प्रचंड' रूप देने का ऐलान-

पुलिस ने प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे छात्र नेता आशुतोष पांडे समेत अन्य कई छात्रों को सादी वर्दी में गिरफ्तार कर लिया, जिससे प्रदर्शन स्थल पर हड़कंप मच गया। छात्रों ने इसे अपहरण करार देते हुए आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की। प्रतियोगी छात्रों ने "आरंभ है प्रचंड" गीत को अपने संघर्ष का प्रतीक मानते हुए, इस विरोध को और प्रचंड बनाने का संकल्प लिया है। उनका कहना है कि यह आंदोलन उनके अधिकारों और भविष्य की रक्षा के लिए है और वे किसी भी कीमत पर इसे कमजोर नहीं पड़ने देंगे।

अधिकारियों की अपील नाकाम, छात्रों ने ठुकराई आयोग की बातचीत का प्रस्ताव

मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत, पुलिस आयुक्त तरुण गाबा, और जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने बुधवार रात प्रदर्शनकारी छात्रों से बातचीत की। उन्होंने प्रदर्शन समाप्त करने की अपील करते हुए छात्रों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों का समाधान बातचीत के माध्यम से निकाला जा सकता है। हालांकि, छात्रों ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक एक दिवसीय परीक्षा की पुरानी व्यवस्था बहाल करने और नॉर्मलाइजेशन रद्द करने का आधिकारिक आदेश नहीं आता, वे आंदोलन जारी रखेंगे। करीब 30 मिनट की वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला, और अधिकारियों को खाली हाथ लौटना पड़ा।

"अधिकारों की लड़ाई में किसी भी कीमत पर नहीं झुकेंगे"-

प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि वे अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं और उनके अधिकारों का यह संघर्ष किसी भी कीमत पर नहीं थमेगा। उनका मानना है कि परीक्षा में बार-बार बदलाव और नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया ने उनके भविष्य पर गंभीर प्रभाव डाला है। स्थानीय निवासियों ने भी इस बढ़ते तनावपूर्ण माहौल को लेकर चिंता जताई है।

प्रशासनिक अधिकारी सख्त, रास्तों पर बढ़ाई गई सुरक्षा

स्थिति बिगड़ती देख प्रशासन ने आयोग के आस-पास भारी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। डीसीपी और एसीपी सहित अन्य उच्च अधिकारी मौके पर डटे हैं। आयोग के सभी रास्तों को पूरी तरह बैरिकेडिंग से बंद कर दिया गया है ताकि प्रदर्शनकारी छात्रों को प्रवेश से रोका जा सके। हालांकि, छात्रों का हौसला बुलंद है और उन्होंने प्रशासन से सख्त लहजे में कहा है कि यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं।

"आरंभ है प्रचंड" के साथ छात्रों का संघर्ष हुआ और तीव्र

छात्रों ने मशहूर गीत "आरंभ है प्रचंड" को अपने आंदोलन का प्रतीक मानकर लाउडस्पीकर से इस गीत की धुन पर जोरदार नारेबाजी की। उनका कहना है कि उनका यह संघर्ष उनके अधिकारों की रक्षा का प्रतीक है। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि वे प्रशासन की किसी भी अपील के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं और इस संघर्ष को निर्णायक मोड़ तक लेकर जाएंगे।इस स्थिति में, सरकार और छात्रों के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों पक्षों के बीच बातचीत का रास्ता अभी तक सफल नहीं हो पाया है, और छात्रों ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि उनके हक की लड़ाई किसी भी सूरत में नहीं थमेगी।

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