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घर खरीदारों के लिए यूपी रेरा का बड़ा कदम,शिकायतों की सुनवाई के लिए बनाई गई स्पेशल बेंच

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उत्‍तर प्रदेश रियल एस्‍टेट रेगुलेशन अथॉरिटी (RERA) ने घर खरीदारों की शिकायतों के शीघ्र निस्तारण के उद्देश्य से लखनऊ में एक स्थायी स्पेशल बेंच का गठन किया है। यह सिंगल बेंच यूपी रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में काम करेगी और हाउसिंग सोसाइटी की RWA (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) और AOA (अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन) की ओर से बिल्डर के खिलाफ की गई शिकायतों पर सुनवाई करेगी।

क्या है इस स्पेशल बेंच की खासियत?

इस स्पेशल बेंच के तहत एक ही सोसाइटी से संबंधित मामलों की सुनवाई एक साथ की जा सकेगी। आरडब्ल्यूए, एओए या 10 से अधिक रेजिडेंट्स का ग्रुप इस बेंच के सामने अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेगा। खास बात यह है कि सभी मामलों की सुनवाई ऑनलाइन होगी, जिससे शिकायतकर्ताओं को लखनऊ आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।रेरा ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन मामलों में प्रमोटर्स (बिल्डरों) की तरफ से क्रॉस-कंप्लेंट (जवाबी शिकायतें) दर्ज कराई गई हैं, उन शिकायतों की सुनवाई भी इस बेंच द्वारा ही की जाएगी। रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने कहा कि इस विशेष बेंच के गठन से घर खरीदारों की शिकायतों का निस्तारण समय पर और प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।

किस प्रकार की शिकायतें कर सकते हैं?

घर खरीदार और सोसाइटी के सदस्य निम्नलिखित समस्याओं पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं:

  • फ्लैट कब्जे में देरी: यदि बिल्डर द्वारा निर्धारित समय पर फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया है।
  • राशि वापसी में दिक्कत: फ्लैट बुकिंग रद्द करने पर बिल्डर द्वारा राशि वापस करने से इनकार।
  • पंजीकरण में देरी: रेरा के तहत फ्लैट का समय पर पंजीकरण न कराना।
  • अतिरिक्त राशि की मांग: बिल्डर द्वारा अनावश्यक अतिरिक्त राशि की मांग।
  • जुर्माने से इनकार: फ्लैट पर कब्जे में देरी के लिए बिल्डर द्वारा जुर्माना न देने का मामला।
  • प्रोजेक्ट में बदलाव: बिना खरीदार की अनुमति के प्रोजेक्ट के लेआउट में बदलाव।

शिकायत दर्ज कराने के लिए जरूरी जानकारी-

शिकायतकर्ता को निम्नलिखित जानकारी यूपी रेरा को देनी होगी:

  • बिल्डर और खरीदार का विवरण
  • प्रॉपर्टी की रेरा पंजीकरण संख्या
  • शिकायत का प्रकार: जैसे कब्जे में देरी, अतिरिक्त लागत, आदि।
  • प्राधिकरण से मांगी गई राहत।

आवश्यक दस्तावेज

शिकायत दर्ज करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करना अनिवार्य है:

  • बिल्डर-बायर एग्रीमेंट
  • आवंटन पत्र
  • भुगतान की रसीद
  • चेक की कॉपी
  • प्रोजेक्ट स्थल की तस्वीरें
  • कानूनी नोटिस की कॉपी

शिकायत की प्रक्रिया और सुनवाई-

शिकायत दर्ज होने के बाद रेरा उसकी समीक्षा करेगा। अगर शिकायत स्वीकार की जाती है, तो दोनों पक्षों (बिल्डर और बायर) को सूचित किया जाएगा और सुनवाई के लिए तारीख तय की जाएगी। सुनवाई के बाद 60 दिनों के भीतर मामले का निपटारा किया जाएगा।

समाधान प्रक्रिया में तेजी-

रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि लखनऊ मुख्यालय में यह स्थायी बेंच घर खरीदारों के हित में बनाई गई है। रेरा का मुख्य उद्देश्य आवंटियों को त्वरित और न्यायसंगत समाधान प्रदान करना है। शिकायतकर्ता https://www.up-rera.in/index पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जिससे उन्हें लखनऊ आने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

यूपी रेरा क्या है?

उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) 2016 के रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम के तहत गठित एक महत्वपूर्ण संस्था है, जिसका उद्देश्य घर खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता लाना है। यूपी रेरा ने 27 अक्टूबर 2016 को अपनी अधिसूचना के माध्यम से अपनी शुरुआत की और तब से यह प्रदेश में रियल एस्टेट के क्षेत्र में कई सुधारों के लिए जिम्मेदार रहा है।

यूपी रेरा की मुख्य विशेषताएं और कार्य:

  1. विवादों का त्वरित समाधान: यूपी रेरा के तहत, रियल एस्टेट से जुड़े किसी भी विवाद का निष्पक्ष और समय पर निपटारा सुनिश्चित किया जाता है। यह व्यवस्था घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ उन्हें कानूनी संरक्षण भी प्रदान करती है।

  2. परियोजनाओं का पंजीकरण अनिवार्य: रियल एस्टेट क्षेत्र में काम कर रही सभी परियोजनाओं को यूपी रेरा के तहत पंजीकृत कराना अनिवार्य है। यह कदम परियोजनाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देता है, ताकि खरीदार धोखाधड़ी का शिकार न हों।

  3. एजेंटों की ट्रेनिंग और प्रमाणन: रियल एस्टेट एजेंटों को यूपी रेरा के नियमों के अनुसार प्रशिक्षित किया जाता है और इसके बाद उन्हें प्रमाणपत्र दिया जाता है। इससे एजेंटों की कार्यक्षमता और विश्वसनीयता में सुधार होता है।

  4. एस्क्रो अकाउंट में 70% राशि का जमा होना: यूपी रेरा के तहत बिल्डरों को किसी भी परियोजना में प्राप्त कुल भुगतान का 70% हिस्सा एक अलग एस्क्रो अकाउंट में जमा करना अनिवार्य होता है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि बिल्डर इस राशि का उपयोग केवल संबंधित परियोजना के निर्माण के लिए ही करेंगे।

  5. प्रोजेक्ट विज्ञापन से पहले मंज़ूरी अनिवार्य: यूपी रेरा के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी नए प्रोजेक्ट का विज्ञापन तभी किया जा सकता है, जब सभी आवश्यक सरकारी मंज़ूरियां प्राप्त कर ली गई हों। इससे परियोजनाओं की वैधता और खरीदारों के विश्वास में इजाफा होता है।

  6. यूपी रेरा का यह प्रावधान न केवल रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करता है, बल्कि इस क्षेत्र में निवेशकों के विश्वास को भी बढ़ाता है।

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