उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को राजधानी लखनऊ में कैबिनेट बैठक का आयोजन हुआ। इसमें प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को नए सिरे से विकसित करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई अहम फैसले लिए गए। प्रदेश के प्राचीन भवनों और स्थलों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड पर विकसित कर इनसे राजस्व कमाने और इनके संरक्षण को सुनिश्चित करने पर सहमति बनी है।
पीपीपी मॉडल पर किया जाएगा विकसित-
कैबिनेट के इस महत्वपूर्ण निर्णय में लखनऊ की छतर मंजिल, मिर्जापुर का चुनार का किला और झांसी का बरुआसागर किला पीपीपी मोड पर विकसित किए जाएंगे। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इन स्थलों को हेरिटेज होटल, रिसॉर्ट, म्यूजियम और हॉस्पिटैलिटी इकाइयों के रूप में तैयार किया जाएगा ताकि ये ऐतिहासिक स्थल आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित हों।
तीन धरोहरों के जीर्णोद्धार का काम शुरू-
कैबिनेट में निर्णय लिया गया कि छतर मंजिल, चुनार किला और बरुआ सागर किले को पीपीपी मोड पर विकसित किया जाएगा। 5.55 एकड़ में स्थित लखनऊ का छतर मंजिल, 21.94 एकड़ का चुनार किला और 7.39 एकड़ में फैला बरुआसागर किला इसी योजना के तहत आएंगे। इन स्थलों के विकास का अनुबंध 30 वर्षों के लिए किया जाएगा, जिसे दो बार नवीनीकरण के साथ अधिकतम 90 वर्षों तक बढ़ाया जा सकेगा। चुने गए निविदादाता इन धरोहरों का संरक्षण करते हुए इन्हें पर्यटन केंद्रों के रूप में विकसित करेंगे।
स्थानीय रोजगार को मिलेगा प्रोत्साहन-
विरासत भवनों और किलों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए कैबिनेट ने अनोखी योजना बनाई है। इन परियोजनाओं के अंतर्गत आसपास के गांवों को गोद लेकर विकास कार्य किए जाएंगे। साथ ही, स्थानीय नागरिकों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए 25% रोजगार उनके लिए आरक्षित होगा। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार और विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
ओडीओपी के मार्ट और प्रदर्शनी स्थल होंगे विकसित-
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) को बढ़ावा देने के लिए भी इन विरासत स्थलों पर विशेष व्यवस्था की जाएगी। यहां स्थानीय उत्पादों के लिए ओडीओपी मार्ट बनाए जाएंगे, जहां स्थानीय शिल्पकला, हस्तशिल्प और उत्पादों का प्रदर्शन होगा। इसके अलावा, पर्यटकों को इन स्थलों के ऐतिहासिक महत्व से परिचित कराने के लिए डिस्प्ले एरिया भी विकसित किया जाएगा।
पर्यटकों के लिए उपलब्ध होंगे स्थानीय व्यंजन-
इन पर्यटन स्थलों पर स्थानीय व्यंजन उपलब्ध कराकर पर्यटकों को प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने की कोशिश भी की जाएगी। इन कदमों से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्रदेश के विभिन्न व्यंजनों और परंपराओं को भी नई पहचान मिलेगी।
योग और आरोग्य केंद्र की स्थापना के लिए नि:शुल्क भूमि आवंटन-
बागपत जिले में पीपीपी मॉडल के तहत अंतर्राष्ट्रीय योग और आरोग्य केंद्र स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है। इसके लिए ग्राम सभा की 1.069 हेक्टेयर जमीन पर्यटन विभाग को नि:शुल्क हस्तांतरित करने की मंजूरी दी गई है। 68.40 हेक्टेयर में बनने वाले इस योग और आरोग्य केंद्र का उद्देश्य स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है।