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यूपी का कौन-सा गांव सिविल सर्वेन्ट्स की फैक्ट्री कहा जाता है?

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आज यानी 21 अप्रैल को सिविल सर्विसेज दिवस मनाया जाता है। वैसे तो पूरे भारतीय मिज़ाज़ में समाज की सेवा करने वाला हर छात्र सिविल सेवक बनना चाहता है, घर का सबसे जिम्मेदार और बुद्धिमान बच्चा सिविल सेवक बनना चाहता है लेकिन उत्तर-भारत और खास कर यूपी बिहार में सिविल सेवा हर स्टूडेंट का ड्रीम होता है। वैसे कहने के लिए तो सिविल सेवाओं को भारत में शुरू करने का श्रेय ब्रिटिशर्स को जाता है लेकिन कभी-कभी स्वार्थ के काम अगर परमार्थ में सध जाएँ तो उस काम को बुरा कहना उचित नहीं होता है। ऐसे ही के परमार्थी पद सिविल सेवकों का भी है जिसकी जिम्मेदारी, निष्ठा और दुर्भावों से दूर रहने की प्रवृत्ति के चलते ही सरदार पटेल ने इसे भारत का "स्टील फ्रेम" कहा था । आज सिविल सेवा दिवस पर हम यूपी के उस गांव का जिक्र करने वाले हैं जिसे आईएएस पीसीएस की फैक्ट्री कहा जाता है और साथ ही इस वर्ष के  सिविल सर्विसेज दिवस पर सम्मनित होने वाले यूपी के डीएम  में भी चर्चा करेंगे।

दरअसल यूपी की राजधानी लखनऊ से करीब 300 किलोमीटर दूर बसा जिला है जौनपुर। इसका एक गांव है माधोपट्टी। 75 घर वाले इस गांव में 40 लोग आईएएस, पीसीएस और पीबीएस अधिकारी हैं। यही नहीं इस गांव के लोग इसरो, भाभा और विश्व बैंक में भी काम कर रहे हैं। नगर पंचायत बन चुके इस गांव में पहली बार साल 1952 में डॉ इंदुप्रकाश आईएएस बने। डॉ इंदुप्रकाश फ्रांस समेत कई देशों के राजदूत रह चुके हैं। डॉ इंदुप्रकाश के बाद उनके चार भाई विनय कुमार सिंह,छत्रसाल सिंह,अजय सिंह  और  शशिकांत सिंह आईएएस अधिकारी बने। उसके बाद यहाँ की महिलाएं आशा सिंह, ऊषा सिंह और  इंदु सिंह भी सिविल सेवक बनी। यही नहीं डॉ इंदुप्रकाश के परिवार में  दूसरी  पीढ़ी में भी कई लोगों ने सिविल परीक्षा निकाली। आईएएस के अलावा यहाँ कई पीसीएस अधिकारी भी हैं। यही नहीं माधोपट्टी के जन्मेजय सिंह विश्व बैंक में कार्यरत हैं और  डॉ. नीरू सिंह और लालेंद्र प्रताप सिंह भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक हैं। यही नहीं  यहाँ के डॉ. ज्ञानू मिश्रा इसरो में वैज्ञानिक हैं और  देवेंद्र नाथ सिंह गुजरात के सूचना निदेशक रहें हैं।

यूपी के रामपुर के डीएम  
रामपुर के डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुपोषण के खिलाफ के खिलाफ किये गए नवाचार के लिए सम्मानित किया। लगे हाथ आपको बता दें कि श्री रविंद्र को जल संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्यों पर जल प्रहरी सम्मान भी मिला है। 

लगे हाथ आपको बता दें कि  सिविल सर्विसेज के अधिकारी देश के हर स्तर पर काम करने के लिए सक्षम होते हैं। चाहे नीति बनानी हो या कानून लागू करवाना हो। कहने के लिए तो पांच साल या 10 साल के लिए सरकार बनती है और वो देश में बड़े बदलाव करती है लेकिन सच यह होता है कि बड़े निर्णय की भूमिका बनाने से लेकर उनको जमीन पर कैसे अमल में लाया जायेगा यह सब सिविल सेवक ही तय करते हैं। सचिव से लेकर डीएम, एसडीएम और तहसील तक सिविल सेवक ही काम करते हैं। चलते-चलते आपके लिए एक सवाल छोड़ जाते हैं जिसका जवाब हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताइयेगा- पहली बार सिविल सेवा दिवस कब मनाया गया था और इस वर्ष के सिविल सर्विसेज डे की थीम क्या है।

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