उत्तर प्रदेश के 2200 से अधिक राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड (प्रशिक्षित स्नातक या सहायक अध्यापक) और प्रवक्ता के रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया अब जल्द ही शुरू होने जा रही है। लोक सेवा आयोग की नियमावली संबंधी आपत्तियों का निवारण होने के बाद अब कैबिनेट की स्वीकृति का इंतजार है। मंजूरी मिलते ही शिक्षा विभाग 7,814 सहायक अध्यापक और सैकड़ों प्रवक्ता के पदों पर भर्ती प्रक्रिया आरंभ करेगा।
लोक सेवा आयोग ने हटाई नियमावली की अंतिम अड़चन-
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने नई नियमावली तैयार कर उसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया था, लेकिन लोक सेवा आयोग ने कुछ बिन्दुओं पर आपत्ति जताते हुए नियमावली को वापस भेजा था। आयोग की आपत्ति मुख्य रूप से विभिन्न डिग्रियों और योग्यता संबंधी बिन्दुओं पर थी, ताकि चयन के बाद किसी प्रकार की कानूनी समस्या न उत्पन्न हो। शिक्षा विभाग ने उच्च शिक्षा विशेषज्ञों से सलाह लेकर सभी आपत्तियों का निवारण कर दिया है। अब कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही भर्ती प्रक्रिया शीघ्र शुरू हो जाएगी।
राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों के 7814 पद रिक्त-
राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 7814 पद खाली हैं। इनमें पुरुष वर्ग के लिए 4771 पद और महिला वर्ग के लिए 3043 पद आरक्षित हैं। इसके अलावा प्रवक्ताओं के लिए पुरुष वर्ग में 496 और महिला वर्ग में सैकड़ों पद खाली हैं। इससे पहले 15 मार्च 2018 को 10,768 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें अर्हता को लेकर विवाद सामने आए थे। इसके बाद दिसंबर 2020 में प्रवक्ता के 1473 पदों पर भर्ती शुरू की गई, लेकिन उसमें भी अर्हता संबंधी विसंगतियाँ पाई गई थीं।
प्रतियोगी छात्रों का विरोध, कैंडल मार्च का ऐलान-
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की आगामी पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2024 और समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा को दो दिन में कराने की चर्चा के बाद छात्रों में असंतोष है। दो दिन परीक्षा कराने से नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से परीक्षा परिणाम में असमानता आने का भय है। इसी के चलते छात्रों ने 5:30 बजे मनमोहन पार्क से सुभाष चौराहे तक कैंडल मार्च निकालने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को शिवाजी पार्क, मम्फोर्डगंज में बैठक कर प्रतियोगी छात्रों ने अपने विरोध का ये तरीका चुना है।
भर्ती प्रक्रिया में सुधार की उम्मीद-
आयोग ने शिक्षकों और प्रवक्ताओं की भर्ती में अर्हता से संबंधित गतिरोधों को दूर करते हुए, एक मानकीकृत प्रक्रिया बनाने की कोशिश की है। कैबिनेट से नियमावली की मंजूरी मिलने के बाद विभाग अधिक सुगम और व्यवस्थित तरीके से रिक्त पदों को भरने की दिशा में आगे बढ़ेगा।