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अब संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए नहीं लगाने पडेंगे चक्कर, इस डिजिटल सेवा के चलते भाग-दौड़ से मिलेगी निजात

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उत्तर प्रदेश में संपत्ति की रजिस्ट्री कराने के लिए रजिस्ट्रार ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पडेंगे क्योंकि अब प्रदेश के सभी प्राधिकरणों, आवास विकास सहित संपत्ति का लेनदेन करने वाले विभागों में ई-रजिस्ट्री को मंजूरी दे दी गई है। यह नया कदम सरकारी विभागों से शुरू हो चुका है, जिससे नागरिकों को काफी सुविधा मिलेगी और प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।ऐसी शुरुआत करने वाला उत्तर प्रदेश देश का दूसरा राज्य बन गया है।

सलाना होती हैं लाखों रजिस्ट्री-

उत्तर प्रदेश में सालाना लगभग 40 लाख रजिस्ट्री होती हैं, जिसमें एक बड़ी संख्या सरकारी विभागों से जुड़ी संपत्ति की है। प्रदेश सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लाखों परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी। अभी तक ई रजिस्ट्री की सुविधा केवल महाराष्ट्र में ही थी।

 भाग-दौड़ से मिलेगी निजात-

विकास प्राधिकरण, आवास विकास, और औद्योगिक प्राधिकरण जैसे संपत्ति से जुड़े सभी विभागों से आवंटित होने वाले भूखंड या आवास का पंजीकरण कराना अब चुनौतीपूर्ण नहीं रह गया है। पहले अलाटमेंट पत्र जारी होता था और फिर संबंधित विभाग रजिस्ट्री के लिए अधिकारी को नामित करता था। इसके बाद जब अधिकारी और आवंटी एक ही समय पर रजिस्ट्रार विभाग जाने का समय निकाल पाते थे, तब जाकर रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी होती थी। अब इस झंझट से मुक्ति मिल गई है।

ई-रजिस्ट्री क्या है?

ई-रजिस्ट्री एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसके माध्यम से संपत्ति की रजिस्ट्री ऑनलाइन की जा सकती है। इस सेवा का उद्देश्य संपत्ति लेनदेन को सरल, सुरक्षित और समयबद्ध बनाना है। इससे संपत्ति की खरीद-फरोख्त में धोखाधड़ी की संभावनाएं कम होंगी और लोग बिना किसी परेशानी के अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री कर सकेंगे।

ई-रजिस्ट्री के लाभ

  1. समय की बचत: रजिस्ट्रार ऑफिस जाने की जरूरत नहीं, जिससे समय की बचत होगी।
  2. पारदर्शिता: प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होंगी।
  3. सुरक्षा: डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सभी दस्तावेज सुरक्षित रहेंगे।
  4. सरलता: प्रक्रिया को सरल बनाया गया है जिससे सभी लोग आसानी से इसका लाभ उठा सकें।

क्या है पूरी प्रक्रिया?

  1. ऑनलाइन आवेदन: आवेदक को ई-रजिस्ट्री पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा।
  2. दस्तावेज अपलोड: आवश्यक दस्तावेजों को ऑनलाइन अपलोड करना होगा।
  3. फीस भुगतान: रजिस्ट्री फीस का ऑनलाइन भुगतान करना होगा।
  4. डिजिटल हस्ताक्षर: सभी संबंधित पक्षों को डिजिटल हस्ताक्षर करने होंगे।
  5. रजिस्ट्री प्रमाणपत्र: प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद, रजिस्ट्री प्रमाणपत्र ऑनलाइन जारी किया जाएगा।

 डिजिटल विकास की दिशा में कदम

सरकारी विभागों को इस प्रक्रिया में शामिल किया गया है ताकि सभी विभागों के बीच समन्वय बना रहे और नागरिकों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। प्राधिकरणों और आवास विकास विभागों को इस नई प्रणाली के तहत कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। ई-रजिस्ट्री सेवा की शुरुआत से संपत्ति लेनदेन में होने वाली मुश्किलें कम होंगी और नागरिकों को रजिस्ट्री प्रक्रिया में हो रहे सुधार का सीधा लाभ मिलेगा। यह कदम प्रदेश की डिजिटल विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

 

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