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यूपी के इस जिले में पहुँचेगा देश का पहला हाइड्रोजन जलयान!

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यह देश का पहला हाइड्रोजन ईंधन सेल कैटामरान पोत है। इसे कोलकाता में बनाया गया था। जिसे करीब 15 दिन पहले कोलकाता से रवाना किया गया था। जिसके बाद अब यह बनारस पहुँचने वाला है। बता दें कि कोचीन शिपयार्ड ने उत्तर प्रदेश में वाराणसी के लिए देश का पहला हाइड्रोजन ईंधन सेल कैटामरान पोत बनाने के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने उत्तर प्रदेश के लिए छह इलेक्ट्रिक कैटामरान जहाजों और गुवाहाटी के लिए दो ऐसे जहाजों के निर्माण के लिए एक और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। 

भारत के पहले हाइड्रोजन ईंधन सेल का महत्व-

भारत के पहले हाइड्रोजन ईंधन सेल कैटामरान पोत के महत्व के बारें में बात करें तो वाराणसी में इसकी शुरूआत से जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी लाने में मदद मिलेगी। यह जलयान भारत में स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण प्रतीक भी है।

इसकी मुख्य विशेषताओं पर गौर करें तो-

1. कोचीन शिपयार्ड के अनुसार, वातानुकूलित हाइड्रोजन ईंधन सेल कैटामरान पोत में 100 यात्रियों के बैठने की क्षमता होगी।

2. कोच्चि में परीक्षण के बाद इस पोत को वाराणसी में तैनात किया जाएगा। पोत का डिजाइन और विकास कोचीन शिपयार्ड द्वारा मेसर्स केपीआईटी, पुणे के सहयोग से किया गया है।

3. उत्तर प्रदेश और गुवाहाटी के लिए वातानुकूलित इलेक्ट्रिक हाइब्रिड जहाज, जो नदी के पानी में कम दूरी की यात्रा के लिए डिजाइन किए गए हैं, में 50 यात्रियों के बैठने की क्षमता होगी।

4. इन जहाजों में यात्रियों के लिए शौचालय और वाशरूम की सुविधा के अलावा चालक दल के लिए आवास की भी व्यवस्था होगी।

5. नवीनतम जहाज राष्ट्रीय जलमार्गों में प्रदूषण के स्तर को कम करने में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण का प्रयास-

भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण का प्रयास है कि जलयान के संचालन को पर्याप्त हाईड्रोजन सुलभ हो ताकि गंगा में उसका ट्रायल पूरा किया जा सके। इसके लिए रामनगर मल्टीमाडल टर्मिनल पर ही अस्थायी प्लांट स्थापित करने की दिशा में काम शुरू हुआ है। यहीं से सिलेंडर में भरकर हाईड्रोजन जलयान तक पहुंचाए जाएंगे और नदी में संचालन किया जाएगा। ट्रायल पूरा होने के बाद जलयान को पर्यटन विभाग अपनी निगरानी में संचालित करेगा। किराया और रूट निर्धारण किया जाएगा। हैंडओवर की प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद तीन स्थायी हाईड्रोजन प्लांट स्थापित होंगे। प्राधिकरण की तरफ से प्रतिदिन 1500 किलोग्राम गैस उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उत्पादन शुरू करने के लिए दो कंपनियों से बातचीत भी अब अंतिम दौर में है।

कोलकाता में शुरू हो चूका है निर्माण-

कोचीन शिपयार्ड के एक अधिकारी के अनुसार बनारस, मथुरा और अयोध्या को एक-एक और इलेक्ट्रिक कैटामरान मिलेगा। जिनका निर्माण कार्य कोलकाता में शुरू किया जा चूका है। जिन्हें सितंबर के अंतिम सप्ताह से निर्धारित स्थानों पर भेजा जाने लगेगा। बनारस और अयोध्या में एक-एक कैटामरान पहले ही उपलब्ध कराया जा चुका है।

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