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सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सीओ जियाउल हक हत्याकांड पर जाँच करने के दोबारा दिए आदेश, 3 महीने बाद कोर्ट में पेश होगी रिपोर्ट

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उत्तर प्रदेश के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की मुश्किलें दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही हैं। जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने जिआ उल  हत्याकांड को लेकर सीबीआई को दोबारा से राजा भईया के पुराने रिकोड खंगालने को कहें हैं। तो दूसरी तरफ राजा भईया की पत्नी भवानी सिंह ने साकेत कोर्ट में गुजारा भत्ता की याचिका दायर करते हुए 10 लाख के गुजारे भत्ते की मांग की है। जिसकी सुनवाई कोर्ट में 3 नवम्बर को होगी। 

मायावती की सरकार में गर्दिश में आए सितारे-

इसी दौरान सीबीआई को दिया हुआ सुप्रीम कोर्ट का 3 महीने का समय नवम्बर में पूरा होने वाला है। ऐसे में दोनों ही मामले राजा भईया के गले की हड्डी बने हुए हैं। वो कहते हैं ना कि इंसान का अच्छा समय चलता है तो सब तरफ से ही अच्छा होता हैं और जब बुरा समय चलता हैं तो सब तरफ से बुरा होता है और ऐसा ही कुछ राजा भईया के साथ भी हुआ है। जन्म से ही मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होने वाले राजा भईया का नाम बचपन में ही राजा पड़ गया था और तब से लेकर सन् 2002 दो तक राजा भईया का कुंड़ा के साथ साथ पूरे उत्तर प्रदेश में सिक्का चलता था। लेकिन सन् 2002 में मायावती की सरकार आने के बाद राजा भईया के सितारे गर्दिश में जाने लगें और साल 2013 तक उन पर धमकी देने, हत्या करने, अपहरण करने, गैगंस्टर जैसे कई मामले दर्ज हुए जिसमें से कुछ ऐसे भी मामले थे, जिनमें उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इन्हीं मुकदमों में से एक मुकदमा डीसीपी जिआ उल हक की हत्या का था, इस हत्याकांड में अब तक 14 लोगों को आरोपी बनाया जा चुका हैं। जिसमें राजा भईया समेत उनके चार कारोबारी और साथियों का भी नाम शामिल है। लेकिन क्या है ये जिआ उल हक हत्याकांड जिसने राजा भईया जैसे दिग्गज नेता को हिला कर रख दिया है।  

तो आइये जानते हैं.... 

दरअसल, बात दस साल पुरानी है जब प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार थी, उस दौरान राजा भईया यूपी के कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे। बताया जाता है कि साल 2013 में 2 मार्च को प्रतापपुर के गांव बलीपुर में एक ऐसा हत्याकांड हुआ था, जिसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया था। बताया जाता है कि सन 2 मार्च 2013 में कुंडा के बलीपुर गांव में ग्राम प्रधान जमीन को लेकर विवाद चल रहा था इस दौरान विधानसभा क्षेत्र के गांव बलीपुर में ग्राम सभा जमीन की पैमाइश होनी थी। इस पैमाइश में गांव के ग्राम प्रधान नन्हे सिंह यादव की कुछ लोगों के साथ झड़प हो गई, जिस झड़प में नन्हे यादव को गोली मार दी गई। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें पास के स्थानीय अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराय, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 

इसके बाद प्रशासन ने शव का बिना पोस्टमार्टम करवाये उनके परिजनों को सौंप दिया। इसके थोड़ी देर बाद जब पुलिस को अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह मृतक के गांव बलीपुर शव लेने पहुंची। इस दौरान ग्राम प्रधान की हत्या से आक्रोशित भीड़ ने पुलिस वालों पर हमला कर दिया और बीच बचाव में नन्हें के भाई सुरेश यादव ने फायरिंग कर दी और वह गोली उन्हीं को जाकर लग गई। जिसके बाद नन्हें के बेटे ने पुलिस पर हमला करते हुए डीएसपी को गोली मार दी जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। 

14 लोगों के पर दर्ज हुई एफआईआर-
इसके बाद पुलिस ने इस मामले में 14 लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज की थी, जिसके बाद पुलिस मामले की जांच जुट गई, इस बीच खबर मिली कि डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद ने राजा भईया समेत उनके 4 साथियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए थाने में एफआईआर दर्ज करा दी है। इस एफआईआर में हरिओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह, राजा भैया के ड्राइवर रहे संजय सिंह उर्फ गुड्डू का नाम भी शामिल था। इसकी खबर जब राजा भईया को लगी तो उन्होंने सीबीआई से मामले की जांच करने की मांग की।  इसके बाद कई महीनों तक चली सीबीआई की जांच ने दो दिनों तक लगातार राजा भईया से पूछताछ की। जिसमें राजा भईया और उनके साथियों के खिलाफ कोई सबूत न मिलने पर सीबीआई ने पांचों लोगों को क्लीनचिट दे दी।

वहीं परवीन आजाद ने सीबीआई की क्लीनचिट को चुनौती देते हुए ट्रायल कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई। जिसमे ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई की जांच को खारिज करते हुए 8 July 2014 को फिर से मामले की जांच करने के आदेश दिये। जिसके बाद ट्रायल कोर्ट के इस आदेश को सीबीआई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी और हाई कोर्ट ने 25 Nov 2022 को ट्रायल कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया, और राजा भईया सहित अन्य लोगों को निर्दोश करार कर दिया।

इसके बाद परवीन आजाद ने सन् 2022 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर 2023 को सीबीआई क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए सीबीआई को दोबारा से जांच करने के निर्देश दिए हैं और 3 महीने के अन्दर यानी की नवम्बर तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने बुधवार को दोबारा से जांच शुरू कर दी है।  

वहीं बुधवार को सीबीआई की पांच सदस्यीय टीम ने बलीपुर पहुंचकर घटनास्थल देखा और करीब दो घंटे तक गांव में घूमने के बाद टीम ने गांव के ही दो लोगों से पूछताछ भी की। इसके बाद वापस हथिगवां थाने पहुंचकर कुछ जानकारी जुटाई। इसी के साथ यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वह जल्द ही पूछताछ के लिए राजा भईया के घर भी पहुंच सकती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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